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2025 उतना डरावना नहीं था जितने हमने सोचा था क्या ये 2026 के तूफान से पहले की शांति है?

cy520520 2025-12-28 22:57:45 views 672
  

2026 के तूफान से पहले की शांति ? (एआई जेनरेटेड)



डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। साल 2025 की शुरुआत इस डर के साथ हुई थी कि एक ग्लोबल संकट आएगा जो भारत को भी अपनी चपेट में ले लेगा। दूसरी बार ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से ग्लोबल ट्रेड वॉर का खतरा था,जिससे स्टॉक मार्केट क्रैश होने और अर्थव्यवस्था में मंदी आने की उम्मीद थी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ, आइए जानते हैं क्यों? विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

इसका पहला कारण है कि ट्रंप क बातें उनके कामों से ज्यादा बड़ी थीं। पहले, अमेरिकी राष्ट्रपति के बयानों को पॉलिसी कमिटमेंट माना जाता था, जो साल 2025 में बदल गया। ट्रंप ने बड़े कदमों की घोषणा की, फिर उन्हें टाल दिया या पूरी तरह से वापस ले लिया।

उन्हें एक राजनेता के बजाय एक बिजनेसमैन के तौर पर ज्यादा देखा गया, जो बहुत ज्यादा कीमत पर बातचीत शुरू करता था, लेकिन आखिर में बहुत कम पर समझौता कर लेता था। यह चीन के मामले में सबसे ज्यादा साफ था। ट्रंप ने आक्रामक बयानबाजी और चीनी सामानों पर 150% टैरिफ की धमकियों से शुरुआत की, लेकिन जल्द ही उन्हें कड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। इतना ज्यादा टैरिफ चीन के साथ व्यापार खत्म कर देता, और अमेरिका को उसके सस्ते कंज्यूमर सामानों की जरूरत थी।
चीन ने वर्चुअल वर्ल्ड मोनोपॉली को हथियार बनाया

इसके अलावा, चीन ने रेयर अर्थ एक्सपोर्ट में अपने वर्चुअल वर्ल्ड मोनोपॉली को हथियार बनाया, जो अमेरिकी मैन्युफैक्चरिंग और डिफेंस के लिए जरूरी था। अमेरिकी कॉर्पोरेट लीडर्स ने भी विरोध किया। Nvidia के चीफ और दूसरे टेक एग्जीक्यूटिव्स ने सही कहा कि चीनी AI मार्केट अमेरिकी कंपनियों के लिए छोड़ने के लिए बहुत बड़ा था। ट्रंप पीछे हट गए।
ट्रंप की धमकियों का नहीं हुआ असर

ट्रंप ने साल की शुरुआत बड़े रेसिप्रोकल टैरिफ की धमकियों से की, जो न तो रेसिप्रोकल थे और न ही आर्थिक तर्क पर आधारित थे। “अनुचित व्यापार“ की उनकी परिभाषा बस कोई भी ऐसा देश था जो अमेरिका के साथ सरप्लस में चल रहा था, जो बेसिक इकोनॉमिक्स के खिलाफ था। यूरोप, जापान और दूसरों द्वारा व्यापारिक जवाबी कार्रवाई के डर से ग्लोबल स्टॉक मार्केट में भारी बिकवाली हुई। लेकिन आखिर में लगाए गए टैरिफ धमकी दिए गए टैरिफ से कहीं ज्यादा मामूली थे।
ट्रंप ने भारत पर लगाया टैरिफ

जब यह साफ हो गया कि ट्रंप की शुरुआती बातें मोलभाव की रणनीति थीं, तो मार्केट स्थिर हो गए। भारत एक अपवाद था। ट्रंप ने 50% टैरिफ लगाया, जिसका आधा हिस्सा भारत पर रूसी तेल खरीदना बंद करने का दबाव डालने के लिए था। इन टैरिफ से अमेरिका में बेतहाशा महंगाई नहीं बढ़ी। अमेरिकी कंपनियों ने ऊंचे टैरिफ की आशंका में महीनों पहले ही कम ड्यूटी वाले इंपोर्ट का स्टॉक जमा कर लिया था। कई चीनी एक्सपोर्ट को चुपचाप तीसरे देशों के रास्ते भेजा गया, जो ट्रेड डायवर्जन का एक रहस्यमय लेकिन जाना-पहचाना तरीका है।

रूस से तेल इंपोर्ट पर अमेरिकी प्रतिबंध धीरे-धीरे लगाए गए और नवंबर के आखिर में ही सच में सख्त हुए। जहां टैरिफ का असर हुआ, वहां बोझ बांटा गया। चीनी और भारतीय एक्सपोर्टर्स ने लागत का कुछ हिस्सा उठाया, अमेरिकी इंपोर्टर्स ने दूसरा हिस्सा लिया, और बाकी हिस्सा ही कंज्यूमर्स तक पहुंचाया गया। हालांकि, समय के साथ, पूरा टैरिफ पास कर दिया जाएगा।
चीन की ग्रोथ में मामूली गिरावट

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, चीन की ग्रोथ में सिर्फ मामूली गिरावट आई है। पूरे एशिया में, वियतनाम, फिलीपींस, इंडोनेशिया जैसे ट्रेड में रुकावटों का सामना करने वाले देशों ने जल्दी से खुद को ढाला और बढ़ते रहे। टैरिफ के झटकों को नजरअंदाज करने में भारत अकेला नहीं है। हालांकि, भारत का प्रदर्शन असाधारण रहा है। इसकी लॉन्ग-टर्म ग्रोथ ट्रेंड सालाना 6.5% रही है।
भारत की जीडीपी में इजाफा

सरकार ने अनुमान लगाया था कि ट्रंप के टैरिफ से GDP ग्रोथ 0.5% कम हो सकती है। इसके बजाय यह बढ़ गई है, इस वित्तीय वर्ष की पहली दो तिमाहियों में औसतन 8% रही है। मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन का यह सुझाव सही है कि भारत 7% से ज्यादा की नई, हाई ग्रोथ ट्रेंड की ओर बढ़ गया है।
भारत में GCC का उदय

भारत की हाई ग्रोथ पिछले कुछ सालों में कई अलग-अलग सुधारों का मिला-जुला असर है। सबसे खास डेवलपमेंट ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (GCCs) का उदय और विकास रहा है। अमेरिकी दिग्गज गूगल, अमेजन और माइक्रोसॉफ्ट ने नए GCCs में कुल $67.5 बिलियन का निवेश करने की योजनाओं की घोषणा की है, जिसमें AI के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर और डेवलपमेंट शामिल है।

दुनिया भर में MNCs में STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, गणित) ग्रेजुएट्स की कमी है और चीन को छोड़कर भारत सबसे बड़ा सप्लायर है। यह भारतीय टैलेंट को ग्लोबल लेवल पर अपस्किल कर रहा है, जिसका असर पूरी इकॉनमी पर पड़ेगा क्योंकि GCC स्टाफ को बाद में भारतीय कंपनियां हायर करेंगी।

अभी इतना ही कहा जा सकता है कि साल 2025 तूफान से पहले की शांति हो। जो 2026 में दिखाई दे सकता है।

यह भी पढ़ें- दुनिया मान रही भारतीयों के दिमाग का लोहा, ग्लोबल कंपनियों के लिए नया ब्रेन हब बना भारत
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