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सतना में HIV कांड पर अशोभनीय द्वंद्व, पीड़ितों से नहीं मिलवाया तो अधिकारियों पर भड़के NHRC सदस्य प्रियंक कानूनगो

deltin33 2025-12-29 00:57:43 views 370
  

प्रियंक कानूनगो।  



डिजिटल डेस्क, जबलपुर। सतना में थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को HIV संक्रमित रक्त चढ़ाने के मामले ने रविवार को हाई वोल्टेज ड्रामा का रूप ले लिया। मानवाधिकार आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो और जिला प्रशासनिक अधिकारियों के बीच तीखी नोकझोंक हुई, जिसके बाद मामला सोशल मीडिया तक जा पहुंचा। प्रियंक कानूनगो ने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट कर जिला प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए मामले को दबाने का दावा किया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

दरअसल, प्रियंक कानूनगो सिटी एसडीएम और प्रभारी सीएमएचओ से उस वक्त नाराज हो गए, जब HIV कांड के पीड़ित बच्चे अपने परिजनों के साथ सुबह सात बजे सर्किट हाउस में मौजूद नहीं मिले। इस पर उन्होंने अधिकारियों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि पीड़ितों को स्वयं वहां क्यों नहीं लाया गया।

हालांकि, प्रभारी सीएमएचओ डॉ. मनोज शुक्ला ने स्पष्ट किया कि पीड़ितों के परिजन ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं और उन्होंने सुबह सात बजे आने में असमर्थता जताते हुए दस बजे के बाद मिलने की सहमति दी थी। इसके बावजूद मानवाधिकार आयोग के सदस्य किसी भी स्पष्टीकरण को स्वीकार करने के मूड में नहीं दिखे।
रात में आया था संदेश, सुबह बना विवाद

जिला प्रशासनिक अधिकारियों के अनुसार, प्रियंक कानूनगो ने कटनी प्रवास के दौरान रात करीब नौ बजे सिटी एसडीएम को संदेश भेजकर सुबह सात बजे सर्किट हाउस में पीड़ितों से मिलने की इच्छा जताई थी। जब सुबह पीड़ित वहां नहीं पहुंचे, तो विवाद खड़ा हो गया। अधिकारियों का कहना है कि परिजनों ने घर जाकर मिलने का विकल्प भी दिया था।

इधर, प्रियंक कानूनगो को सुबह आठ बजे दीनदयाल शोध संस्थान में आयोजित मानवाधिकार संवाद कार्यक्रम में शामिल होना था। इसी बीच उन्होंने प्रशासन पर मामले को दबाने का आरोप लगाया और चित्रकूट के लिए रवाना हो गए।
पूर्व निर्धारित कार्यक्रम नहीं था

प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, प्रियंक कानूनगो का HIV पीड़ितों से मिलने का कोई पूर्व निर्धारित कार्यक्रम न तो जारी किया गया था और न ही आधिकारिक रूप से तय था। उल्लेखनीय है कि मानवाधिकार आयोग की अधिकृत टीम 29 तारीख को पीड़ितों के बयान दर्ज करने सतना आने वाली है।

यह भी पढ़ें- नाबालिग पीड़िता की इच्छा का सम्मान: हाई कोर्ट ने बच्चे को जन्म देने की दी मंजूरी, सरकार उठाएगी डिलीवरी का खर्च
उठते हैं कई अहम सवाल

इस पूरे घटनाक्रम ने कई संवेदनशील सवाल खड़े कर दिए हैं—

  • क्या पीड़ितों को सार्वजनिक रूप से सर्किट हाउस बुलाना उनकी पहचान उजागर करने जैसा नहीं है?
  • क्या बिना पूर्व सूचना के पीड़ितों को बयान के लिए बुलाया जाना उचित है?
  • क्या बिना जांच टीम का हिस्सा बने कोई सदस्य इस तरह बयान दर्ज कर सकता है?


हमे रात में सूचना मिली थी कि उन्हें (प्रियंक) सुबह सात बजे पीडितों व उनके स्वजनों से मिलना है, लेकिन पीड़ितों के स्वजन इतना सुबह मिलने को तैयार नहीं थे। हालंकि उनके अधिकारिक यात्रा कार्यक्रम में इस बात का उल्लेख नहीं था।
- राहुल सिलाढिया, सिटी एसडीएम।
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