search

बिना इजाजत बनाया, उग्रवादियों के नाम... मणिपुर में रिंग रोड के काम को NGT ने रोकने का क्यों दिया आदेश?

Chikheang 2025-12-29 05:26:42 views 151
  

मणिपुर में रिंग रोड बनाने पर एनजीटी ने क्यों लगाई रोक?  



डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मणिपुर में एक ऐसी रिंग रोड का मामला सामने आया है जिसे राज्य सरकार की मंजूरी के बिना बनाया गया। यह रोड 6 जिलों के जंगलों से होकर गुजरती है। यह मामला तब सामने आया जब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने मणिपुर सरकार को रिंग रोड पर और कोई निर्माण कार्य न करने का आदेश दिया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, एनजीटी ने मणिपुर के मुख्य सचिव को छह प्रभावित जिलों के मजिस्ट्रेटों और पुलिस प्रमुखों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने के लिए कहा। यह जंगल वाला रिंग रोड उस सरकारी मंजूरशुदा रिंग रोड जैसा नहीं है जो एशियन डेवलपमेंट बैंक की मदद से राज्य की राजधानी इम्फाल में बन रहा है।
एनजीटी ने किसके निवेदन पर दिया आदेश?

कोलकाता में एनजीटी की ईस्टर्न जोन बेंच का यह आदेश मणिपुर के मेइतेई समुदाय के सिविल सोसाइटी संगठनों की अंब्रेला बॉडी, COCOMI की ओर से दायर एक निवेदन पर आया है, जिसमें सड़क बनाने वालों को तुरंत काम रोकने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

COCOMI ने एनजीटी में अपनी अर्जी में कहा कि जंगल वाले इलाकों में सड़क बनाने का काम पूरे पर्यावरण और भूवैज्ञानिक सुरक्षा मूल्यांकन के बिना जारी नहीं रखा जा सकता। संगठन ने प्रोजेक्ट साइट का निरीक्षण करने, रिपोर्ट देने और किसी भी नियम तोड़ने वाले को सजा देने के लिए विशेषज्ञों की एक हाई-लेवल कमेटी बनाने की मांग की।
एनजीटी ने क्या कहा?

एनजीटी ने कहा कि आवेदक ने उन्हें बताया कि चुराचांदपुर, कांगपोकपी, नोनी और उखरुल जिलों में जंगल और पहाड़ी इलाकों से गुजरने वाली सड़क पर निर्माण कार्य कुकी समुदाय की ओर से किया जा रहा है। एनजीटी ने कहा, “जैसा कि वर्ल्ड कुकी-जो इंटेलेक्चुअल काउंसिल द्वारा 5 फरवरी, 2025 को सौंपे गए एक मेमोरेंडम से पता चला है।“

एनजीटी ने आगे कहा, “आवेदक ने पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन निदेशालय, ग्रामीण इंजीनियरिंग विभाग और वन विभाग सहित संबंधित अधिकारियों से जानकारी इकट्ठा की है। उन्होंने बताया है कि ऐसे निर्माण के लिए कोई आधिकारिक मंजूरी, अनापत्ति प्रमाण पत्र या वन मंजूरी जारी नहीं की गई है। आवेदक ने आगे बताया है कि सैटेलाइट इमेज से पता चलता है कि इकोलॉजिकली संवेदनशील इलाकों में गैर-कानूनी गतिविधि हो रही है।“
\“सिर्फ मणिपुर में ही ऐसा हो सकता है\“

एनजीटी के आदेश के बाद सिविल सोसाइटी संगठनों की अम्ब्रेला बॉडी ने पत्रकारों को बताया कि इस सड़क को स्थानीय तौर पर जर्मन रोड और कुछ हिस्सों में टाइगर रोड कहा जाता है। बता दें कि \“जर्मन\“ और \“टाइगर\“ कुकी विद्रोहियों के उपनाम हैं।

एक स्थानीय का कहना है, “सिर्फ मणिपुर में ही बिना मंजूरी, इजाजत और पर्यावरण आकलन के जंगल के बीच से उग्रवादियों के नाम पर सड़क बनाई जा सकती है। ऐसे उदाहरणों की वजह से ही मणिपुर के लोग नाराज हैं। जो लोग कानून की परवाह नहीं करते, जो खुलेआम विद्रोहियों के साथ काम करते हैं और सभी संवैधानिक प्रावधानों को तोड़ते हैं, उन्हें सजा नहीं मिलती।“
COCOMI ने क्या कहा?

COCOMI ने बताया, “इस (सड़क) के बारे में लोगों को तब पता चला जब मणिपुर संकट के दौरान सोशल मीडिया पर कुछ वीडियो वायरल हुए, जिसमें कथित तौर पर साइकुल विधायक के शामिल होने वाला एक उद्घाटन कार्यक्रम और \“टाइगर रोड\“ नाम का गेट लगी तस्वीरें शामिल थीं।“

संगठन ने कहा, “यह भी एक गंभीर सार्वजनिक चिंता का विषय है, जिसे सक्षम अधिकारियों के सामने पेश किए गए अभ्यावेदनों, फील्ड ऑब्जर्वेशन और सिविल सोसाइटी रिपोर्टों में लगातार उठाया गया है कि संकट के दौरान प्रशासनिक गड़बड़ी के समय इस सड़क का इस्तेमाल एक गुप्त गलियारे के रूप में किया गया था। ये आरोप अवैध ड्रग्स की गैरकानूनी तस्करी, छोटे हथियारों और गोला-बारूद की अनधिकृत आवाजाही और बिना दस्तावेज वाले या अनधिकृत प्रवासियों की आवाजाही के लिए इसके संदिग्ध इस्तेमाल से संबंधित हैं।“

यह भी पढ़ें: मणिपुर में केंद्र का विकास की ओर बड़ा कदम, भारत-म्यांमार सीमा पर सुरक्षा; इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने पर जोर
like (0)
ChikheangForum Veteran

Post a reply

loginto write comments

Get jili slot free 100 online Gambling and more profitable chanced casino at www.deltin51.com