साल 2025 में महिलाओं में हर क्षेत्र में लहराया परचम।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। साल 2025 अब समाप्त होने को है। ये साल कई ऐसी कहानियां और यादें दे गया। इस साल महिलाएं अब बड़ी कहानी में हाशिए पर पड़ी रहने वाली हस्ती नहीं रहीं, बल्कि वे खुद कहानी बन गईं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
ये साल महिलाओं के लिए कई मायनों में खास रहा, जिसने एक नई दिशा तय की। इस साल संकटों और उत्सवों, चुनावों और युद्धक्षेत्रों, मंचों और बोर्डरूमों में महिलाएं निर्णायक शक्ति के रूप में उभरीं, जिन्होंने परिणामों और कथाओं को आकार दिया।
अपने इस आर्टिल हम आपको बताएंगे कि कैसे महिलाएं 2025 का निर्णायक कारक बनीं। ऑपरेशन सिंदूर के प्रतीकात्मक महत्व और दृढ़ संकल्प से लेकर बिहार का भाग्य एक बार फिर तय करने वाली महिला मतदाताओं तक कई ऐसे मौके रहे, जब महिलाओं ने नई दिशा दी।
पहलगाम हमला और ऑपरेशन सिंदूर
इस साल अप्रैल में कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला हुआ। इसमें 26 भारतीय नागरिकों की जान गईं। पहलगाम में आतंकियों ने सबसे पहले पुरुषों को निशाना बनाया। इस दौरान एक मार्मिक तस्वीर सामने आई, जिसमें एक महिला अपने पति के शव के पास बैठी हुई नजर आई। इस पल ने भारतीय लोगों का खून खौला दिया।
इस आतंकी हमले के बाद भारतीय सेनाओं ने ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया और पाकिस्तान और गुलाम कश्मीर में 9 आतंकी ठिकानों को तबाह किया। इसकी छवि बेहद स्पष्ट और सोची-समझी थी — लाल और काला, चेतावनी के तौर पर फैला हुआ सिंदूर। यह प्रतिशोध, दृढ़ संकल्प और आतंकवाद के प्रति राज्य की प्रतिक्रिया का प्रतीक भी बना।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम अपने पहले संबोधन में पीएम मोदी ने कहा था कि आतंकवादियों ने हमारी बहनों के माथे से \“सिंदूर\“ पोंछने की हिम्मत की; इसीलिए भारत ने आतंकवाद के मुख्यालय को ही नष्ट कर दिया।
महिलाओं ने बिहार में नीतीश की नैया की पार
बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव भी हुए। इस चुनाव में एनडीए को शानदार जीत मिली। नीतीश कुमार ने 10वीं बार सीएम पद की शपथ ली। हालांकि, नीतीश की इस जीत का श्रेय महिलाओं को ही जाता है। बिहार में महिलाओं ने एक बार फिर निर्णायक भूमिका निभाई और नीतीश कुमार को ऐसी जीत दिलाई जिस पर आंकड़ों के आधार पर विवाद करना मुश्किल है।
उल्लेखनीय है कि 2005 से ही जेडीयू-भाजपा सरकार के महिला समर्थक एजेंडे के प्रति उनका समर्थन स्थिर रहा है, लेकिन इस चुनाव में निर्णायक उछाल देखने को मिला। मतदान प्रतिशत ने खुद ही कहानी बयां कर दी।
इस चुनाव में 71.6% महिलाओं ने मतदान किया, जो पुरुषों की तुलना में लगभग नौ प्रतिशत अंक अधिक है और 2020 के 59.7% से इसमें उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। चुनाव से ठीक पहले 1.5 करोड़ से अधिक महिलाओं को 10,000 रुपये का नकद हस्तांतरण एक जबरदस्त प्रोत्साहन साबित हुआ।
कई देशों के प्रमुख पदों पर महिलाओं की भागीदारी
दुनिया के कई देशों में पहली बार महिलाओं ने प्रमुख पदों की कमान संभाली। इस साल विभिन्न महाद्वीपों में महिलाओं का सर्वोच्च राजनीतिक पद पर पहुंचना अब अपवाद की बजाय एक लंबे समय से प्रतीक्षित सुधार जैसा प्रतीत होने लगा।
इसी साल मार्च में नामीबिया की नेटुम्बो नंदी-नदैतवाह ने देश की पहली महिला राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। एक ऐसे क्षेत्र में जहां सत्ता लंबे समय से पितृसत्तात्मक परंपराओं द्वारा आकारित रही है। इसके कुछ महीनों बाद दक्षिण अमेरिका में भी यही बदलाव देखने को मिला। जुलाई में सूरीनाम ने जेनिफर गीरलिंग्स-साइमन्स को अपनी पहली महिला राष्ट्रपति के रूप में चुना। यह ऐसे समय हुआ जब देश आर्थिक अनिश्चितता और हाल ही में खोजे गए समुद्री तेल भंडारों से प्रेरित सतर्क आशावाद से ग्रस्त था।
वहीं, अक्तूबर में सनाए ताकाइची का जापान की पहली महिला प्रधानमंत्री बनना देश की सबसे पुरानी राजनीतिक बाधाओं में से एक को तोड़ गया। पुरुषों के वर्चस्व वाली इस व्यवस्था में उनका उदय न केवल पार्टी पदानुक्रम में बल्कि जनता की अपेक्षाओं में भी एक बदलाव का संकेत था।
खेल के क्षेत्र में महिलाओं को सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन
साल 2025 महिलाओं के लिए खेल क्षेत्र में भी काफी शानदार रहा। हरमनप्रीत कौर, जेमिमा रोड्रिग्स, दिव्या देशमुख, शीतल देवी, निकहत ज़रीन , स्टैनज़िन डोलकर, अनाहत सिंह और भारत की महिला फुटबॉल खिलाड़ियों ने 2025 में भारतीय खेल जगत को परिभाषित किया। उन्होंने ऐसे परिणाम दिए जो विभिन्न विधाओं में उत्कृष्ट थे। वहीं, एक ऐतिहासिक क्षण उस समय भी आया जब, भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने अपना पहला वनडे विश्व कप जीता।
केवल फुटबॉल और क्रिकेट ही नहीं बल्कि अन्य खेलों में भी महिलाओं ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दिया। दिव्या देशमुख शतरंज में सबसे कम उम्र की महिला विश्व कप चैंपियन बनीं, वहीं तीरंदाजी शीतल देवी ने पैरा-विश्व खिताब जीता और अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के दम पर सक्षम शारीरिक वर्ग की कंपाउंड टीम में जगह बनाई। इस साल के कुछ सबसे प्रभावशाली पल समावेशी और उभरते खेलों से आए। |