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हरियाणा मानवाधिकार आयोग ने एक साल में 5610 शिकायतों का निपटारा कर रचा इतिहास, अब केवल 1013 लंबित

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हरियाणा मानवाधिकार आयोग ने एक वर्ष में 5610 शिकायतों का निपटारा कर रचा इतिहास।



राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। मानवाधिकारों की रक्षा केवल संवैधानिक दायित्व नहीं, बल्कि मानवीय संवेदना की कसौटी भी है और इसी कसौटी पर खरा उतरते हुए हरियाणा मानवाधिकार आयोग ने बीते एक वर्ष में असाधारण कार्यकुशलता, संवेदनशीलता और सक्रियता का परिचय दिया है। आयोग ने 27 नवंबर 2024 से 23 दिसंबर 2025 के बीच कुल 5,610 मानवाधिकार शिकायतों का निपटारा कर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत 27 नवंबर 2024 को आयोग के पुनर्गठन के बाद जस्टिस ललित बतरा ने अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाला। उनके साथ न्यायिक सदस्य कुलदीप जैन तथा सदस्य दीप भाटिया ने आयोग को एक नई दिशा दी। पुनर्गठन के समय आयोग को 2,991 लंबित शिकायतें विरासत में मिली थीं, जबकि इस अवधि में 3,632 नई शिकायतें दर्ज हुईं। इस प्रकार कुल 6,623 मामलों में से 5,610 का निपटारा किया जाना प्रशासनिक दक्षता और न्यायिक प्रतिबद्धता का सशक्त उदाहरण है।

वर्तमान में केवल 1,013 शिकायतें लंबित हैं। आयोग ने केवल शिकायतों तक सीमित न रहते हुए गंभीर मानवाधिकार उल्लंघनों के मामलों में स्वत संज्ञान लेने की सशक्त परंपरा भी स्थापित की। इस दौरान 20 मामलों में आयोग ने स्वत संज्ञान लिया, जिनमें नाबालिग के साथ सामूहिक दुष्कर्म, अस्पताल में नवजात को गंभीर क्षति, दिव्यांग के साथ पुलिसिया उत्पीड़न, सीवर में उतरे सफाई कर्मियों की मृत्यु, अवैध खनन, हिरासत में कथित अत्याचार, लापता व्यक्तियों की बढ़ती घटनाएं तथा जेल सुरक्षा में चूक जैसे संवेदनशील विषय शामिल रहे।

कई मामलों में दोषी अधिकारियों पर जुर्माना, विभागीय कार्रवाई के निर्देश और पीड़ितों के पुनर्वास के आदेश भी दिए गए।न्याय को आमजन के और निकट लाने के उद्देश्य से गुरुग्राम में द्विमासिक ‘कैंप कोर्ट’ की पहल की गई, जहां 459 मामलों की सुनवाई हुई और 168 का निपटारा किया गया। यह प्रयोग त्वरित न्याय की दिशा में एक प्रभावी कदम सिद्ध हुआ।

इसके साथ ही आयोग ने जिला जेलों, वृद्धाश्रमों, महिला शरणालयों और अनाथालयों का निरीक्षण कर जमीनी हकीकत का आकलन किया।मानवाधिकार जागरूकता के विस्तार के लिए विश्व दिव्यांग दिवस पर राज्यस्तरीय संगोष्ठी तथा अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव-2025 के दौरान जागरूकता शिविर आयोजित किए गए। आयोग का स्पष्ट संदेश है कि समाज के कमजोर, वंचित और हाशिए पर खड़े वर्गों के अधिकारों की रक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता रहेगी।

हरियाणा मानव अधिकार आयोग के सदस्य दीप भाटिया ने हरियाणा पुलिस के महानिदेशक हरियाणा पुलिस से राज्य के सभी पुलिस अधिकारियों को सख्त और स्पष्ट निर्देश जारी करने को कहा है। आयोग ने साफ कहा है कि किसी भी व्यक्ति की गिरफ्तारी के बाद उसका मेडिकल परीक्षण कानून और माननीय सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुरूप अनिवार्य रूप से, पूरी गंभीरता और पारदर्शिता के साथ कराया जाना चाहिए।

आयोग के सदस्य दीप भाटिया ने जोर देकर कहा कि मेडिकल परीक्षण किसी भी सूरत में औपचारिकता बनकर नहीं रहना चाहिए। गिरफ्तार व्यक्ति के शरीर पर मौजूद प्रत्येक चोट, किसी भी प्रकार का दर्द, शारीरिक कष्ट अथवा स्वास्थ्य संबंधी शिकायत सबका विस्तृत और सही-सही ब्यौरा मेडिकल रिकार्ड में दर्ज होना अनिवार्य है। उन्होंने चेताया कि अधूरा या लापरवाही पूर्ण मेडिकल न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि यह व्यक्ति के मौलिक अधिकारों और मानवाधिकारों पर सीधा आघात भी है।
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