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वाराणसी में पुलवामा हमले के नाम पर अवध व‍िव‍ि के पूर्व कुलपत‍ि हुए डिजिटल अरेस्ट, पत्नी की सजगता से बचे

LHC0088 2025-12-30 15:57:39 views 237
  

इस मामले में सिगरा थाना में मुकदमा भी दर्ज कराया गया है।



जागरण संवाददाता, वाराणसी। साइबर ठगों ने पुलवामा हमले के नाम पर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के कामर्स फैकल्टी के हेड और डीन रहे डा. गुलाब चंद्र जायसवाल को डिजिटल अरेस्ट कर लिया। इस मामले में उनकी पत्नी डा. ऋचा जायसवाल ने सजगता दिखाई और इस घटना की जानकारी स्टांप मंत्री रवींद्र जायसवाल को दी। मंत्री की सलाह पर दंपती ने साइबर ठगों का सामना किया और अंततः डिजिटल अरेस्ट से बाहर आए। उन्होंने इस मामले में सिगरा थाना में मुकदमा भी दर्ज कराया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

डा. गुलाब चंद्र, जो सिगरा के त्रिदेव अपार्टमेंट में रहते हैं, पूर्व में अवध विश्वविद्यालय के कुलपति भी रह चुके हैं। रविवार को लगभग 12:30 बजे, वह लाजपत नगर पार्क में एक कार्यक्रम में थे, तभी उनके मोबाइल फोन पर एक काल आई। दूसरी तरफ से खुद को लखनऊ एटीएस का प्रभारी रंजीत कुमार बताते हुए कहा गया कि उनकी पत्नी डा. ऋचा के नाम पर जारी मोबाइल फोन के सिम का उपयोग पुलवामा आतंकी हमले में किया गया है। यह सिम पुणे से जारी किया गया है। साइबर ठग ने डा. गुलाब चंद्र को तुरंत घर लौटने के लिए कहा।

जब डा. गुलाब चंद्र घर पहुंचे, तो उन्हें वीडियो काल आया। दूसरी तरफ पुलिस की वर्दी पहने व्यक्ति ने खुद को पुणे पुलिस का अधिकारी बताया और फोन पर बने रहने की चेतावनी दी। साथ ही गिरफ्तारी वारंट भेजे जाने की धमकी दी। डा. गुलाब चंद्र को दबाव में आते देख, ठग ने उनसे बैंक खातों और उसमें जमा रुपयों की जानकारी मांगी। इसी दौरान, कॉलेज से उनकी पत्नी डा. ऋचा घर लौटीं और उन्होंने हैरान डा. गुलाब चंद्र को फोन पर बात करते देखा। उन्होंने तुरंत पारिवारिक मित्र स्टांप मंत्री रवींद्र जायसवाल को फोन किया।

मंत्री को वास्तविकता का अहसास होते ही उन्होंने डा. गुलाब चंद्र को बताया कि साइबर ठगों ने उन्हें डिजिटल अरेस्ट किया है। उन्होंने कहा, “डरें नहीं और इसका सामना करें। साइबर ठगों से कहें कि उन्हें पता है कि तुम लोग कौन हो?“ मंत्री की सलाह सुनकर डा. गुलाब चंद्र ने साइबर ठगों को दो टूक जवाब दिया और उनके चंगुल से मुक्ति पाई।

स्टांप मंत्री रवींद्र जायसवाल ने इस घटना पर टिप्पणी करते हुए कहा कि देश में कहीं भी डिजिटल थाना नहीं है और पुलिस कभी किसी को डिजिटल अरेस्ट नहीं करती है। यह सब साइबर ठगों की करतूत है। उन्होंने कहा कि अपराधी लोगों को तरह-तरह के डर दिखाकर उनकी मेहनत की कमाई उड़ा लेते हैं। इस प्रकार की घटनाओं से हर व्यक्ति को सजग रहना चाहिए। यदि कोई पुलिसकर्मी बनकर गिरफ्तारी का डर दिखाता है, तो डरने की बजाय उसका सामना करें और स्थानीय पुलिस या परिचित की मदद लें। इससे ठगी से बचा जा सकता है।

इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि साइबर ठगों से सावधान रहना आवश्यक है। डा. गुलाब चंद्र और डा. ऋचा की सजगता ने उन्हें इस संकट से बाहर निकाला। यह घटना सभी के लिए एक सीख है कि किसी भी प्रकार की अनजान कॉल या संदेश पर तुरंत प्रतिक्रिया देने से पहले सतर्क रहना चाहिए।
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