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3 दिन में 62 लोगों को कुत्तों ने बनाया शिकार, लोगों में दहशत; तावड़ू में बच्चों का घर से बाहर निकलना बैन

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जागरण संवाददाता,तावड़ू। बीते दिनों जयपुर की स्नेह एनिमल वेलफेयर ट्रस्ट एजेंसी को कुत्तों की नसबंदी के टेंडर जारी किए गए थे। जिसमें एक कुत्ते की नसबंदी पर 1430 रुपये खर्च करने की बात कही थी। नसबंदी के लिए 500 कुत्तों को चिह्नित किया गया था। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

एक सप्ताह से अधिक समय बीत गया है लेकिन नगर में आवारा कुत्तों का आतंक अभी भी चरम पर है। क्षेत्र में आवारा और कथित पागल कुत्तों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है।

हालात इतने भयावह हो गए हैं कि पिछले तीन दिनों में ही पांच दर्जन से अधिक 62 लोग कुत्तों के काटने का शिकार हो चुके हैं। इस बढ़ती घटना से नगरवासियों में दहशत और आक्रोश का माहौल है। लोग प्रशासन से जल्द से जल्द ठोस कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

आवारा कुत्तों का सबसे अधिक आतंक नगर के साथ लगती ग्वारका काॅलोनी में देखा जा रहा है। स्थानीय लोगों की माने तो बीते दो दिनों में ही इस कालोनी में करीब 15 छोटे-बड़े लोग कुत्तों के हमले में घायल हुए हैं। लोग बच्चों को बाहर भेजने से भी डर रहे हैं।

बूराका कालोनी निवासी वसीम,साहुल अली और मोहम्मद ने बताया कि मंगलवार सुबह एक आवारा पागल कुत्ते ने 16 वर्षीय युवक गुलफान पर हमला कर दिया। कुत्ते ने युवक के चेहरे पर गंभीर रूप से काट लिया।

घायल को पहले तावडू के सरकारी अस्पताल ले जाया गया,जहां से उसे नल्हड़ मेडिकल काॅलेज रेफर कर दिया गया। स्थानीय लोगों ने बताया कि पिछले एक सप्ताह में इस काॅलोनी में करीब 15 लोग कुत्तों का शिकार बन चुके हैं।

इनमें गुलफान पुत्र साहुन (16),मिस्बाबुल पुत्र अब्बास (22) गंभीर रूप से घायल हैं। इसके अलावा फरदीन और अयान दोनों भाई भी आवारा कुत्तों के हमले में गंभीर रूप से चोटिल हुए हैं। परेशान क्षेत्रवासी जल्द ही ग्राम पंचायत और अन्य सामाजिक लोगों के सहयोग से तावडू उपमंडल अधिकारी को ज्ञापन सौंपेंगे और आवारा कुत्तों पर शिकंजा कसने की मांग करेंगे।

स्थानीय लोगों की माने तो प्रतिदिन 15 से 20 ऐसे मामले सामने आ रहे हैं। खास बात यह है कि अधिकतर मामले तावडू नगर क्षेत्र से ही जुड़े हुए हैं। गौरतलब है कि तावडू में आवारा कुत्तों की नसबंदी और जनसंख्या नियंत्रण के लिए नगर पालिका प्रशासन द्वारा जयपुर की स्नेह एनिमल वेलफेयर ट्रस्ट एजेंसी को टेंडर दिए गए हैं।

इसके तहत प्रत्येक कुत्ते के बंध्याकरण पर 1430 रुपये खर्च किए जा रहे हैं, जिसमें से लगभग 500 कुत्तों की नसबंदी की जानी है। हालांकि प्रक्रिया चालू होने के बावजूद आवारा कुत्तों के आतंक पर अब तक कोई प्रभावी नियंत्रण नजर नहीं आ रहा है।

आवारा कुत्तों पर लगाम कसने को लेकर प्रशासन की ओर से अभी तक कोई स्पष्ट रणनीति या आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर आम जनता की सुरक्षा को लेकर प्रशासन कब गंभीर कदम उठाएगा।



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बीते तीन दिनों में ही 62 डाॅग बाइट के मामले सामने आए हैं, जिनको रिकाॅर्ड के अनुसार रेबीज के इंजेक्शन लगाए गए हैं। यह आंकड़े बढ़ भी सकते हैं क्योंकि बहुत से लोग घर पर ही घरेलू उपचार करा लेते हैं।


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- डाॅ. निहाल सिंह सोलंकी ,एसएमओ, सीएचसी तावड़ू
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