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शनि दोष से मुक्ति दिलाती है लोहे की अंगूठी? जानें किस उंगली में और कैसे पहनें इसे

deltin33 2 hour(s) ago views 227
  

क्यों पहनते हैं लोहे की अंगूठी? (Image Source: AI-Generated)



धर्म डेस्क, नई दिल्ली। अक्सर हम अपने जीवन में उतार-चढ़ाव देखते हैं, जिसमें ज्योतिषीय कारणों का भी बड़ा हाथ माना जाता है । हिंदू ज्योतिष में शनि ग्रह को न्याय का देवता और कर्मफल दाता कहा गया है। अगर, कुंडली में शनि की स्थिति अनुकूल न हो, तो व्यक्ति को \“शनि दोष\“ या \“शनि की साढ़ेसाती\“ व \“ढैया\“ जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में कई लोग शनि देव को प्रसन्न करने और शनि के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए लोह की अंगूठी धारण करते हैं। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि इसे पहनने का सही तरीका और नियम क्या है? आइए, इसके पीछे के कारण और पहनने की विधि को समझते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
लोहे की अंगूठी क्यों मानी जाती है शनि से संबंधित?

लोहा धातु को शनि ग्रह से सीधा संबंध माना गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार:

शनि की प्रिय धातु: लोहा शनि देव की प्रिय धातुओं में से एक है। लोहे की वस्तुओं का दान करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं, ठीक वैसे ही लोहे की अंगूठी धारण करना भी शनि के शुभ प्रभावों को आकर्षित करता है।

ऊर्जा को संतुलित करना: शनि ग्रह धीमी गति से चलता है और इसकी ऊर्जा अक्सर व्यक्ति में स्थिरता या बाधाएं ला सकती है। लोहा धातु पृथ्वी तत्व से संबंधित है और यह शनि की ऊर्जा को शरीर में संतुलित करने में मदद करती है, जिससे निगेटिविटी कम होती है।

नकारात्मक ऊर्जा से बचाव: माना जाता है कि लोहे की अंगूठी नकारात्मक ऊर्जाओं, बुरी नजर और जादू-टोने से भी व्यक्ति की रक्षा करती है।
लोहे की अंगूठी धारण करने का सही तरीका और नियम:

शनि के शुभ प्रभाव प्राप्त करने के लिए लोहे की अंगूठी को सही विधि से धारण करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

धारण करने का दिन: लोहे की अंगूठी हमेशा शनिवार (Saturday) के दिन ही धारण करनी चाहिए। यह शनि देव का दिन है और इस दिन यह सबसे अधिक प्रभावशाली होती है।

सही उंगली: पुरुषों को यह अंगूठी अपने दाएं हाथ की मध्यमा उंगली (Middle Finger) में पहननी चाहिए। मध्यमा उंगली शनि ग्रह से संबंधित मानी जाती है। महिलाएं इसे अपने बाएं हाथ की मध्यमा उंगली में पहन सकती हैं।

धातु की शुद्धता: यह सुनिश्चित करें कि अंगूठी शुद्ध लोहे से बनी हो। इसमें कोई अन्य धातु मिश्रित न हो। काले घोड़े की नाल या नाव की कील से बनी अंगूठी विशेष रूप से शुभ मानी जाती है।
पहनावे से पहले की तैयारी:

* शुद्धिकरण: शनिवार की शाम को अंगूठी को गंगाजल, कच्चे दूध या पंचामृत से अच्छी तरह धोकर शुद्ध कर लें।

* मंत्र जाप: इसे किसी साफ स्थान पर रखकर “ॐ शं शनैश्चराय नमः“ मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें।

* शनि देव को अर्पित करें: जाप के बाद इसे शनि देव के चरणों में या उनकी प्रतिमा के पास कुछ देर के लिए रख दें।

* शनिवार की शाम को धारण करें: सूर्यास्त के बाद या रात्रि में शुभ मुहूर्त देखकर इसे धारण करें।
सावधानियां:

* अंगूठी धारण करने के बाद किसी भी प्रकार का अनैतिक कार्य न करें।

* मांस-मदिरा का सेवन करने से बचें।

* अंगूठी को गंदा न होने दें और नियमित रूप से उसकी सफाई करते रहें।

इन नियमों का पालन करते हुए लोहे की अंगूठी धारण करने से शनि के बुरे प्रभावों को कम किया जा सकता है और व्यक्ति के जीवन में स्थिरता, शांति और सफलता आ सकती है। हालांकि, किसी भी ज्योतिषीय उपाय को अपनाने से पहले एक योग्य ज्योतिषी से सलाह लेना हमेशा उचित होता है।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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