जागरण संवाददाता, अयोध्या। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि स्वतंत्र भारत में अयोध्या ने रामजन्मभूमि आंदोलन के कई पड़ाव देखे हैं। रामनगरी के शौर्य, वैभव व पराक्रम के आगे कोई टिक नहीं पाया, लेकिन कुछ लोगों ने स्वार्थ, मजहबी जुनून और सत्ता के तुष्टिकरण की निकृष्टता में पड़कर अयोध्या को भी उपद्रव और संघर्ष का अड्डा बना दिया था। जिस अयोध्या में कभी संघर्ष नहीं होता था, वहां पिछली सरकारों के शासन में आतंकी हमले होते थे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इसे लहूलुहान करने का प्रयास हुआ, परंतु जहां प्रभु की कृपा बरसती हो और स्वयं हनुमान जी विराजमान हैं, वहां कोई आतंकी कैसे दुस्साहस कर सकता था। पांच जुलाई 2005 को कुछ आतंकियों ने यह हरकत की तो पीएसी जवानों ने उन्हें गोली मार गिराया था। मुख्यमंत्री बुधवार को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की द्वितीय वर्षगांठ पर आयोजित प्रतिष्ठा द्वादशी समारोह में उपस्थित रामभक्तों को संबोधित कर रहे थे।
कभी भुलाई नहीं जा सकेगी तीन तिथियां
मुख्यमंत्री ने कहाकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में 11 वर्षों के भीतर तीन महत्वपूर्ण घटनाएं अयोध्या कभी विस्मृत नहीं कर सकती हैं। स्वतंत्र भारत में पांच अगस्त 2020 को पहली बार किसी प्रधानमंत्री का अयोध्या में आगमन हुआ और उन्होंने अपने हाथों राम मंदिर का भूमि पूजन किया। पौष शुक्ल द्वादशी तिथि पर 22 जनवरी 2024 को फिर वह स्वयं अयोध्याधाम आए और रामलला के भव्य विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा की। इसी वर्ष उन्होंने विवाह पंचमी के दिन 25 नवंबर 2025 को राम मंदिर के मुख्य शिखर पर सनातन धर्म की ध्वजा-पताका को प्रतिष्ठित किया और संदेश दिया कि सनातन धर्म से ऊपर कोई नहीं है।
मंदिर आंदोलन में रक्षा मंत्री की रही प्रत्यक्ष भूमिका
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के योगदान को याद करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहाकि उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते हुए और संगठन के विभिन्न दायित्वों का निर्वहन करते हुए राम मंदिर आंदोलन में प्रत्यक्ष का निर्वहन किया। अब पांच सौ वर्षों के बाद जन्मभूमि पर रामलला को अपने धाम में विराजमान देख कर वह भी आनंद व गौरव की अनुभूति कर रहे हैं। उसी का परिणाम रहा कि प्रतिष्ठा द्वादशी पर जब वह माता अन्नपूर्णा मंदिर के शिखर पर सनातन पताका फहरा रहे थे तो वह भावुक हो उठे। उनकी आंखें द्रवित हो गईं।
पांच साल में अयोध्या आए 45 करोड़ से अधिक श्रद्धालु
योगी ने कहाकि वर्ष 2017 के पहले बिजली, पानी, स्वच्छता, सड़क, कनेक्टिविटी व सुरक्षा का अभाव था। जयश्रीराम बोलने वालों पर लाठी बरसती थी, गिरफ्तारी होती थी, लेकिन अब वही अयोध्या पूरी दुनिया को सनातन धर्म का संदेश दे रही है। देश-दुनिया के श्रद्धालु यहां दर्शन करके अभिभूत हो रहे हैं। पहले कुछ लाख लोग आते थे, परंतु पिछले पांच साल में 45 करोड़ से अधिक श्रद्धालु आए। सूर्यवंश की राजधानी अयोध्या देश की पहली सोलर सिटी के रूप में विकसित हो गई है। आज यहां अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट है। रेलवे की डबल लाइन है। गोरखपुर, काशी, प्रयाग, लखनऊ आदि शहरों से अयोध्या सीधे जुड़ी है। सिंगल लेन के स्थान पर फोरलेन सड़कें हैं।
अब कहीं भी बोल सकते हैं जयश्रीराम
गोरक्षपीठाधीश्वर ने कहाकि अब पूरे देश में कहीं भी जयश्रीराम और राम-राम बोल सकते हैं। केंद्र सरकार ने भी रोजगार की गारंटी के लिए ‘जी-रामजी’ योजना लागू कर दी है। यह रोजगार की सबसे बड़ी योजना बनेगी। कोई भी बेरोजगार कहेगा कि मुझे अपनी ग्राम पंचायत में रोजगार चाहिए तो उसे एक वर्ष में 125 दिन रोजगार मिल जाएगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पांच सौ वर्षों के इतिहास का जिक्र करते हुए कहाकि 1528 से लेकर 1992 तक और इसके उपरांत भी अयोध्या में हर 20-25 वर्ष पर राम मंदिर को वापस लेने के लिए रामभक्तों ने लगातार संघर्ष किया। उन लोगों ने सत्ता, दमन, लाठी व गोली की परवाह भी नहीं की। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने आंदोलन को नई ऊंचाइयां दीं और अशोक सिंघल ने रामभक्तों व साधु-संतों को एक मंच पर संगठित किया तो गुलामी का कलंक मिटा और जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर का मार्ग प्रशस्त हुआ।
उन्होंने कहा कि अयोध्या की भव्यता, दिव्यता को अनंतकाल तक अक्षुण्ण रखने को हर सनातन धर्मावलंबी को आगे आना होगा। यह यात्रा का विराम नहीं, बल्कि नई यात्रा की शुरुआत है। हमें विरासत पर गौरवानुभूति करते हुए विकास के नए प्रतिमान स्थापित करना है। पीएम मोदी की संकल्पना के अनुसार हर भारतवासी को अपने-अपने क्षेत्र में उत्कृष्टतम कार्य करके दिखाना होगा।
सियावर रामचंद्र की जय से शुरू किया संबोधन, दी बधाई
मुख्यमंत्री ने अपना संबोधन सियावर रामचंद्र की जय से शुरू किया। लगभग 15 मिनट तक उन्होंने उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करके अंत में अंग्रेजी नववर्ष के प्रथम दिन कोई संकल्प लेकर कुछ अच्छा करने का आह्वान किया और नए वर्ष की बधाई दी। कहा, यह दिन सबके लिए मंगलकारी व शुभकारी हो। |