प्रधानमंत्री कार्यालय का नाम सेवा तीर्थ रखना अनुचित... जरूरत पड़ी तो न्यायालय जाएंगे : स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद

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डिफेंस कालोनी में सुदीप अग्रवाल के निवास पर पत्रकार वार्ता करते ज्योतिष पीठाधीश्वर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती। जागरण  



जागरण संवाददाता, मेरठ। ज्योतिष पीठाधीश्वर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती प्रधानमंत्री कार्यालय का नाम सेवा तीर्थ रखने को लेकर नाराज दिखाई दिए। कहा कि राजनैतिक और धार्मिक शब्दावली दोनों अलग-अलग हैं। प्रश्न किया कि प्रधानमंत्री कार्यालय में कौन सा तीर्थ है, जहां जाने से पाप धुल सकते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

प्रधानमंत्री कार्यालय में विभिन्न धर्मों के लोग नौकरी करते हैं। चमड़े के जूते पहनकर जाते हैं। ऐसे में उस स्थान का नाम तीर्थ क्यों रखा गया। तीर्थ तो पवित्र और धार्मिक शब्दावली से जुड़ा नाम है। ऐसे में प्रधानमंत्री कार्यालय का नाम सेवा तीर्थ रखना अनुचित है। जरूरत पड़ी तो इस मामले में न्यायालय में भी जाएंगे। उन्होंने कहा कि गोरक्षा के लिए शपथ और संकल्प लेने के लिए गोमाता के समर्थन में बिहार में 243 सीटों पर प्रत्याशी खड़े किए।

चुनाव में 45 प्रत्याशियों ने अपने नाम वापस ले लिए। चुनाव में 198 प्रत्याशी चुनाव लड़े। औसतन प्रत्येक विधानसभा में प्रत्याशी को करीब तीन हजार वोट मिले। इसी तरह आगामी उत्तर प्रदेश व पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव में प्रत्येक सीट पर गोसेवक के रूप में प्रत्याशी खड़े किए जाएंगे। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती शहर में तीन दिवसीय प्रवास पर हैं। शनिवार को गांधी आश्रम के पास श्री कृष्णबोधाश्रम दंडी आश्रम में चल रहे निर्माण कार्य का निरीक्षण करने के बाद मवाना रोड स्थित डिफेंस कालोनी में सुदीप अग्रवाल के निवास पर पत्रकारों से वार्ता करते हुए अयोध्या राम मंदिर में ध्वजारोहण समारोह को लेकर सवाल उठाए।

कहा कि भारत के कौन से मंदिर में चमड़े के जूते पहनकर धर्म ध्वजा फहराई गई। यह गलत हुआ। उन्होंने कहा कि सरकार जब घुसपैठियों की बात करती है, तो जहां पर बरसों से भाजपा सरकार है तो वहां पर घुसपैठियों पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई। भाजपा कार्यकाल में घुसपैठिए कैसे अंदर आ गए। एसआइआर को सही ठहराते हुए कहा कि गोमाता को राष्ट्रीय माता घोषित करने व गोहत्या निरोधी कानून लागू करने के लिए देशभर में जागरूकता अभियान जारी है। इससे आगे बढ़कर सभी संतों से आह्वान किया है कि यदि सरकार उनके अनुरूप कार्य नहीं कर रही है तो वह उस पर अपनी बात रखेंगे। इसके लिए अगले वर्ष मार्च में दिल्ली में संतों की सभा बुलाई गई है, जिसमें सभी संत विचार-मंथन करेंगे।

बद्रीनाथ धाम यात्रा के संबंध में कहा कि शीतकालीन में कपाट बंद हो जाते हैं और ग्रीष्मकालीन में कपाट खुलते हैं, लोगों में यह गलत अवधारणा बन गई थी, लेकिन ऐसा नहीं है। शीतकालीन में भी पूजन अर्चन जारी है। श्रद्धालु भी दर्शन करने पहुंच रहे हैं। इसलिए हमने तीन वर्षों से लगातार शीतकालीन यात्रा करने का कार्य शुरू किया।
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