सीमावर्ती इलाकों में खुलेआम हो रहा उल्लंघन। सांकेतिक तस्वीर
जागरण संवाददाता, नौतनवा। सीमावर्ती इलाकों में स्क्रैप (कबाड़) का अवैध कारोबार इन दिनों खुलेआम धड़ल्ले से चल रहा है। गांवों और कस्बों के चौक-चौराहों पर नियमों को ताक पर रखकर स्क्रैप की दुकानें संचालित की जा रही हैं। हैरानी की बात यह है कि अधिकांश दुकानदारों के पास न तो दुकान संचालन का कोई वैध लाइसेंस है और न ही संबंधित विभागों की अनुमति, इसके बावजूद न तो इन दुकानों की नियमित जांच हो रही है और न ही कोई ठोस कार्रवाई दिखाई दे रही है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
सीमावर्ती क्षेत्र के सुंडी, हरदीडाली, रजियाघाट, डंडा हेड, सोनौली, श्यामकाट, भगवानपुर, सेवतरी, परसामलिक, झिंगटी, बरगदवा, ठूठीबारी और लक्ष्मीपुर जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों से बड़े पैमाने पर स्क्रैप की तस्करी हो रही है। यह स्क्रैप कब और कहां से आता है तथा किस माध्यम से सीमा पार पहुंचाया जाता है, इस पर प्रशासन की निगरानी बेहद कमजोर नजर आ रही है।
कई जगहों पर रात के अंधेरे में ट्रैक्टर, पिकअप और छोटे वाहनों से कबाड़ की आवाजाही होती है, लेकिन संबंधित विभाग आंख मूंदे बैठे हैं। नियमों के अनुसार स्क्रैप कारोबार के लिए पंजीकरण, जीएसटी, पुलिस सत्यापन और पर्यावरण मानकों का पालन अनिवार्य है, लेकिन सीमावर्ती इलाकों में इसका खुला उल्लंघन हो रहा है।
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इससे न केवल राजस्व को नुकसान पहुंच रहा है, बल्कि सुरक्षा के लिहाज से भी यह गंभीर चिंता का विषय बनता जा रहा है। कबाड़ के नाम पर चोरी का सामान, सरकारी संपत्ति और संदिग्ध वस्तुओं की खरीद-फरोख्त की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता।
पुलिस क्षेत्राधिकारी अंकुर गौतम ने बताया कि संबंधित थानाध्यक्षों को स्क्रैप तस्करी पर रोक लगाने के निर्देश दिए गए हैं। जमीनी हकीकत यह है कि कार्रवाई के नाम पर अब तक कोई ठोस पहल दिखाई नहीं दी है। |