बिहार में स्वास्थ्य विभाग की संवेदना ने तोड़ा दम, नसबंदी के बाद फर्श पर लिटाए गए मरीज

cy520520 Yesterday 16:37 views 366
  

फर्श पर लेटे मरीज। फोटो जागरण  



जागरण संवाददाता, पूर्णिया। स्वास्थ्य विभाग की संवेदना ने दम तोड़ दिया है। श्रीनगर पीएचसी के बाद अब रुपौली रेफरल अस्पताल में सोमवार को दर्जनों मरीजों को बंध्याकरण के बाद बेड तक मुहैय्या नहीं कराई गई। सभी को फर्श पर ही लिटा दिया गया। प्रभारी सिविल सर्जन ने इसकी जानकारी मिलते ही टीम को रेफरल अस्पताल भेजने की बात कही। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

पूर्व में भी इस तरह का मामला सामने आया है लेकिन अस्पताल प्रबंधन और प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को क्लीनचिट मिल जाता है, इसी कारण से इस तरह की लापरवाही बराबर सामने आती रहती है।

चार दिनों पहले ही 28 बंध्याकरण ऑपरेशन श्रीनगर पीएचसी में किया गया था, जहां पर मरीजों को बेड तक मुहैय्या नहीं कराई गई थी। उसकी जांच के लिए टीम भी गठित की गई थी। मामले में अबतक किसी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

सोमवार को एक बार फिर रूपौली रेफरल अस्पताल में विभाग की पोल खुल गई, जब एक साथ दर्जनों महिलाओं का बंध्याकरण ऑपरेशन वहां के चिकित्सकों द्वारा किया गया और फर्श पर लाभार्थी को छोड़ दिया गया।

रेफरल अस्पताल में जितने संसाधन है, उसी अनुपात से बंध्याकरण ऑपरेशन क्यों नहीं किया जाता है, यह बड़ा सवाल है। लक्ष्य हासिल करने के लिए अस्पताल में मरीजों के जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। बाहर से बेड और गद्दा मंगवाकर देने का नियम है बावजूद अस्पताल प्रबंधन ने कोई व्यवस्था नहीं किया।
श्रीनगर पीएचसी में जांच रिपोर्ट का इंतजार

11 दिसंबर को श्रीनगर पीएचसी भी बंध्याकरण ऑपरेशन कराया गया था।इसके बाद बेड की कमी के कारण महिलाओं को जमीन पर लिटाया गया। देर रात सभी को बेड मुहैय्या कराई गई थी। उस मामले में जिला स्वास्थ्य समिति चिकित्सा पदाधिकारियों की टीम गठित हुई है। उस रिपोर्ट का इंतजार है।

जारी पत्र में भी माना गया था कि इस तरह की घटना शर्मसार करने वाली है और अमानवीय व्यवहार है। टीम में डॉ. आरपी मंडल जिला वाहक जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी, डॉ. केएम दास प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी कसबा और डा. दिनेश कुमार जिला संचारी रोग पदाधिकारी हैं।

टीम को तीन दिनों में संबंधित ( श्रीनगर पीएचसी) मामले में जांच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश सिविल सर्जन ने दिया है। पत्र 12 दिसंबर को जारी किया गया था। अब रुपौली रेफरल अस्पताल का मामला सामने आ चुका है। अस्पताल अलग है लेकिन कहानी एक जैसी है। विभागीय संवेदना और अमानवीय रवैया सभी अस्पतालों का एक समान है।

मामले में जब रुपौली रेफरल अस्पताल डॉ. नीरज से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने फोन नहीं उठाया है। रूपौली अस्पताल का कुप्रबंधन एक बार फिर उजागर हो गया।
अस्थाई शेड के लिए प्रदान की जाती है राशि

बंध्याकरण ऑपरेशन के दौरान लाभार्थी के लिए अगर अस्पताल में कमरे की कमी हो जाती है तो सरकार की तरफ से अस्थाई शेड के लिए रुपया प्रदान किया जाता है। 15 लाभार्थी के लिए 10 हजार देने का प्रावधान है।

मोबलाइजेशन से लेकर सभी कार्यों के सरकार से अतिरिक्त राशि का प्रावधान है। कुप्रबंधन के कारण इस तरह की घटना ने मानवता को शर्मसार कर दिया है।


मामले की जानकारी मिली है। तुरंत टीम को रेफरल अस्पताल रुपौली भेजा गया है, ताकि वस्तुस्थिति का आकलन कर आवश्यक कदम उठाया जाए।टीम की रिपोर्ट के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। -डॉ. कृष्ण मोहन दास, प्रभारी सिविल सर्जन।
like (0)
cy520520Forum Veteran

Post a reply

loginto write comments
cy520520

He hasn't introduced himself yet.

410K

Threads

0

Posts

1310K

Credits

Forum Veteran

Credits
136068

Get jili slot free 100 online Gambling and more profitable chanced casino at www.deltin51.com, Of particular note is that we've prepared 100 free Lucky Slots games for new users, giving you the opportunity to experience the thrill of the slot machine world and feel a certain level of risk. Click on the content at the top of the forum to play these free slot games; they're simple and easy to learn, ensuring you can quickly get started and fully enjoy the fun. We also have a free roulette wheel with a value of 200 for inviting friends.