क्या दिल्ली में धूल नियंत्रण के लिए पानी का छिड़काव ही एकमात्र समाधान? या है सिर्फ दिखावटी काम_deltin51

Chikheang 2025-9-28 05:36:38 views 1037
  प्रदूषण नियंत्रण के लिए दिल्ली में लगाए गए वॉटर स्प्रिंक्लर। आर्काइव





संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। हम लाख पराली को दोषी ठहराएं, लेकिन दिल्ली में प्रदूषण के आंकड़े खुद बानगी करते हैं कि यहां दमघोंटू हवा के लिए वाहनों के जहरीले ईंधन के बाद दूसरा बड़ा कोई कारक है तो वो सड़कों पर उड़ती धूल है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

आज तक इस धूल के लिए छिड़काव जैसे फौरी राहत वाले उपायों से आगे कोई ठोस, स्थायी समाधान नहीं किया गया है। नाले नालियों का कूड़ा-मिट्टी आदिक की सड़क किनारे मोटी परत जमी रहती है, जिसे कभी भी समय पर नहीं उठाया जाता।



वाहनों के सहारे छोड़ दिया जाता है। सड़कों पर अक्सर खोदाई चलती रहती है। और कचरा तथा खुले में आग लगाना भी अहम कारक हैं। इन सब कारकों से एक बात तो स्पष्ट है कि इसमें स्थानीय निकाय एवं अन्य निगरानी एजेंसियों की अनदेखी बड़ा कारण है।

विभिन्न अध्ययनों के मुताबिक सर्दियों में दिल्ली में पीएम 2.5 में धूल प्रदूषण की हिस्सेदारी 20% और गर्मियों में 30%तक रहती है। धूल प्रदूषण के मुख्य स्रोत वाहनों के चलने पर सड़कों से उठने वाली धूल, कच्चे फुटपाथ और सड़कों के किनारे पर उड़ने वाली धूल तथा निर्माण साइट्स से उठने वाली धूल है।



निर्माण स्थलों पर धूल हवा में सूक्ष्म कणों, पीएम 10 और पीएम 2.5 को बढ़ाकर प्रदूषण फैलाती है, जो विध्वंस, मिट्टी हटाने, भारी मशीनों और सामग्री के परिवहन से पैदा होती है।

ये कण हवा में लंबे समय तक बने रहते हैं और स्थानीय क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता को खराब करते हैं। मानव स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। इसमें सिलिका व अन्य जहरीले फाइबर भी हो सकते हैं।




ambedkarnagar-general,Ambedkar Nagar student death,Inter college student murder,Sugarcane field death,Rape and murder suspicion,Ambedkar Nagar crime news,Student found dead,Uttar Pradesh crime,Police investigation,School girl murder case,Crime against women, अंबेडकर नगर की खबर, छात्रा का मिला शव, छात्रा का शव, छात्रा से दुष्कर्म,,Uttar Pradesh news   

\“औद्योगिक व निर्माण क्षेत्र में प्रदूषण नियंत्रण संयंत्र को प्रभावी रूप से क्रियान्वयन लागू करने से धूल को कम करने में मदद मिल सकती है। हर हाल में कचरे के सही प्रबंधन को बढ़ावा देने का प्रयास किया जाना चाहिए, जिसमें स्थानीय निकायों काॅरपोरेशन तथा अन्य सभी स्तरों पर भागीदारों की सार्थक जिम्मेदारी की बहुत अधिक आवश्यकता है। \“

- डाॅ. दीपांकर साहा, पूर्व अपर निदेशक, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी)



\“दिल्ली में वैसे हो तो 40 से अधिक वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन हैं, किंतु उनकी कार्य क्षमता एवं डाटा की गुणवत्ता में और सुधार की आवश्यकता है, इतने अधिक निगरानी स्टेशन के बावजूद टाक्सिक एवं कार्सिनोजेनिक वायु प्रदूषण पैरामीटर जैसे वालेटाइल आर्गेनिक कंपाउड (शीघ्र वाष्प रूप कार्बनिक रसायन), पाली एरोमेटिक हाइड्रोकार्बन एवं टाक्सिक धातु जैसे सीसा, आर्सेनिक, निकिल आदि को मापने का कोई नेटवर्क स्थापित नहीं किया गया, जिससे कि वायु में धूल कणों की सघनता का सही अनुमान लगाया जा सके। इस पर भी गंभीरता से ध्यान दिया जाना चाहिए।\“



- सुनील दहिया, संस्थापक एवं मुख्य विश्लेषक, एन्वायरोकैटेलिस्ट

धूल प्रदूषण के मुख्य कारण

  • इमारतों का मलबा : इमारतों में तोड़फोड़ का मलबा हटाने से बड़ी मात्रा में धूल हवा में फैलती है।
  • भारी मशीनरी का उपयोग : बुलडोजर, डंपर जैसी भारी मशीनें चलती हैं और मिट्टी या कंक्रीट पर काम करती हैं, जिससे धूल के कण हवा में उठते हैं।
  • सामग्री का परिवहन : रेत, बजरी और सीमेंट जैसी निर्माण सामग्री को साइट पर लाने और ले जाने के दौरान धूल उड़ती है।
  • निर्माण सामग्री : सीमेंट, कंक्रीट व सिलिका से निकलने वाले कण भी हवा में पहुंचते हैं।
  • वाहन और डीजल इंजन : निर्माण स्थलों पर चलने वाले वाहनों के डीजल इंजन से जहरीली गैस निकलती हैं।

धूल रोकथाम के दिखावटी काम

  • मैकेनिकल रोड स्वीपिंग (एमआरएस) मशीनें
  • वाॅटर स्प्रिंकलर
  • मोबाइल एंटी-स्माॅग गन


नोट: आबादी के अनुपात में इनकी संख्या बहुत कम। निगरानी व सख्ती के अभाव में कोई सकारात्मक परिणाम नहीं आते। इस बार ऊंची इमारतों पर भी एंटी स्माग गन लगाई जानी हैं, इसके परिणाम समय आने पर ही सामने आ पाएंगे।


इस साल ये प्रयास और किए

  • सेंसर और विंड बैरियर या ब्रेकर की मदद भी ली जाएगी।
  • दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण के लिए पूर्व निर्धारित 27 मानकों में बदलाव किया गया, मिलते-जुलते, अव्याहारिक और निर्माण परियोजनाओं के समय पर पूरा होने में बाधा बनने वाले मानकों को हटाया गया, अब केवल 12 मानकों का पालन करना होगा।

इन मानकों का करना होगा पालन

  • निर्माण स्थल पर लो कास्ट पीएम 2.5 और पीएम 10 सेंसर लगाकर उन्हें डीपीसीसी पोर्टल पर क्लाउड स्टोरेज प्लेटफार्म पर लाइव डेशबोर्ड के साथ जोड़ना होगा।
  • रिमोट कनेक्टिविटी के साथ निर्माण स्थल पर वीडियो कैमरा लगाकर पोर्टल से जोड़ना होगा।
  • धूल नियंत्रण के लिए क्या उपाय किए, इसकी जानकारी देनी होगी।
  • अधिकतम 10 मीटर ऊंचाई वाले विंड बैरियर या ब्रेकर लगाने होंगे।
  • निर्माण स्थल के आकार के अनुपात में एंटी स्माॅग गन तैनात करनी होंगी। यह भी बताना होगा।
  • निर्माण स्थल को साइडों से ग्रीन नेट से ढका गया है या नहीं।


यह भी पढ़ें- पराली जलाने पर सख्ती: पंजाब-हरियाणा में फ्लाइंग स्क्वायड तैनात, CQM की बैठक में जीरो टॉलरेंस नीति लागू



like (0)
ChikheangForum Veteran

Post a reply

loginto write comments
Chikheang

He hasn't introduced himself yet.

410K

Threads

0

Posts

1310K

Credits

Forum Veteran

Credits
137380

Get jili slot free 100 online Gambling and more profitable chanced casino at www.deltin51.com, Of particular note is that we've prepared 100 free Lucky Slots games for new users, giving you the opportunity to experience the thrill of the slot machine world and feel a certain level of risk. Click on the content at the top of the forum to play these free slot games; they're simple and easy to learn, ensuring you can quickly get started and fully enjoy the fun. We also have a free roulette wheel with a value of 200 for inviting friends.