बिंदू ने कहा कि अभिभावकों को बच्चों को खेलकूद में प्रोत्साहित करना चाहिए।
जागरण संवाददाता, आजमगढ़। अंतरराष्ट्रीय पटल पर मिट्टी वाले अखाड़े की कुश्ती का कोई मतलब नहीं है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुश्ती के क्षेत्र में जौहर दिखाना है तो मैट पर कुश्ती की तैयारी करनी होगी। पिछले 10 सालों से सरकार ने खे कूद की दिशा में योजनाबद्ध तरीके से कार्य किया है। जिसके चलते खिलाड़ियों ने देश के लिए अनेक मेडल जीता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
यह बातें अंतरराष्ट्रीय पहलवान व रामायन सीरियल में हनुमान का किरदार निभाने वाले दारा सिंह के पुत्र हिंदी, पंजाबी और टीवी फिल्म एवं बिग बास टीवी सीरियल के तीसरे सीजन के विजेता बिंदू दारा सिंह ने रविवार को तहसील सगड़ी के अंजान शहीद बाजार में होली ग्रेस हास्पिटल के उद्घाटन के बाद मीडिया से बातचीत में कहीं।
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गांव में विलुप्त हो रही कुश्ती प्रतिभाओं के संबंध में ‘दैनिक जागरण’ से बिंदू दारा सिंह ने कहा कि पंजाब, हरियाणा और महाराष्ट्र में कुश्ती हो रही है। कुश्ती हर जगह नहीं हो पा रही है। इसे पूरे देश में होना चाहिए। ग्रामीण क्षेत्र के लोग आज भी अखाड़े की मिट्टी में कुश्ती की तैयारी कर रहे हैं। जिसका वर्ल्ड स्टेज पर कोई मतलब नहीं है। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लड़ने के लिए मिट्टी की कुश्ती छोड़नी होगी। मिट्टी की कुश्ती लड़ने वाला वर्ल्ड लेबर पर कोई मुकाबला नहीं जीत पाएगा।
उन्होंने कहा कि इस दिशा में शिक्षकों का भी बड़ा योगदान है। यदि छात्र के इसके अंदर दौड़ने की प्रतिभा है तो उसे उसी क्षेत्र में प्रोत्साहन देने की जरूरत है। आज खेलों के क्षेत्र में भी असीम संभावनाएं हैं। खेल के क्षेत्र में काम करने वाले लोग आज बेहतर जीवन जी रहे हैं और देश का भी नाम रोशन कर रहे हैं।
उन्होंने अभिभावकों का आह्वान किया कि पढ़ाई ही एकमात्र प्रगति का संसाधन नहीं है।यदि बच्चा खेलकूद में आगे जाना चाहता है तो उसे प्रोत्साहित करें और उसे खेलकूद के क्षेत्र में ही आगे बढ़ने का अवसर दें। उन्होंने कहा कि पिछले 10 साल से सरकार ने खेलों के लिए काफी काम किया है। जिसके चलते हमारे देश के तमाम खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर के मेडल देश के लिए जीत रहे हैं।
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