Guru Upay: इन उपायों से करें देवगुरु बृहस्पति देव को प्रसन्न, खुशियों से भर जाएगा जीवन_deltin51

LHC0088 2025-9-29 03:36:49 views 967
  Guru Upay: बृहस्पति देव को कैसे प्रसन्न करें?





आनंद सागर पाठक, एस्ट्रोपत्री। बृहस्पति देव सभी ग्रहों में सबसे बड़े शुभकारी माने जाते हैं। ये भाग्य और ज्ञान के कारक हैं। बृहस्पति देव सौभाग्य और समृद्धि के स्वामी हैं। ये जातक को अवसर, सौभाग्य, सुरक्षा और दिव्य अनुग्रह प्रदान करते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

  

ये धनु और मीन राशियों पर अधिकार रखते हैं। बृहस्पति देव को गुरु के नाम से भी जाना जाता है और ये जीवन में प्राप्त होने वाली आध्यात्मिक दिशा और मार्गदर्शन के अधिपति हैं। ये धर्म, धार्मिक स्थलों, आध्यात्मिक ज्ञान, गुरुओं और धार्मिक अनुष्ठानों के भी प्रतीक हैं। बृहस्पति देव शिक्षा के क्षेत्र के भी स्वामी हैं। ये उच्च ज्ञान और विधि (धर्म व कानून) का भी प्रतिनिधित्व करते हैं।



बृहस्पति देव ज्ञान, धर्म, सौभाग्य और आध्यात्मिक प्रकाश के अधिदेवता हैं। जब ये पीड़ित होते हैं, तो जीवन में भ्रम, अशुभता और मार्गदर्शन की कमी महसूस होती है। ऐसे में श्रद्धा और विधिपूर्वक किए गए उपाय बृहस्पति देव की अनुकंपा प्राप्त करने में सहायक होते हैं।araria-crime,Farbisganj theft,Araria crime news,robbery in Bihar,abc crime,homeowner attacked,theft investigation,Bihar police,Matiyari Panchayat,crime news Farbisganj,house robbery,Bihar news   
बृहस्पतिदेव के पीड़ित होने पर उपाय

  • जातक को मंदिर में चने की दाल या हल्दी की गांठ दान करनी चाहिए और जातक को केसर का तिलक मस्तक पर लगाना चाहिए।
  • जातक को केसर मिले दूध का सेवन करना चाहिए, जातक को शरीर पर सोना धारण करना चाहिए।
  • बृहस्पति देव की मूर्ति सोने से (या सुनहरे रंग में) बनवानी चाहिए। बृहस्पतिदेव को पीले वस्त्रों में सुशोभित, चार भुजाओं वाले, जिनमें एक में दंड, एक में अक्षसूत्र, एक में कमंडल और एक में आशीर्वाद की मुद्रा हो इस रूप में देखा जाना चाहिए।
  • बृहस्पतिदेव की पूजा उसी रंग के वस्त्रों और पुष्पों से, सुगंध, अगरबत्ती, दीप, हवन सामग्री, धूप, गुग्गुल आदि से की जानी चाहिए। ग्रह की मूर्ति की धातु और ग्रह द्वारा संकेतित प्रिय भोजन को श्रद्धा से दान किया जाना चाहिए जिससे पीड़ा का निवारण हो सके।
  • महर्षि पराशर ने कहा है कि बृहस्पतिदेव के मंत्र का उन्नीस हजार बार जप किया जाना चाहिए।
  • बृहस्पतिदेव के हवन में प्रयोग की जाने वाली लकड़ी “पीपल“ होनी चाहिए। हवन सामग्री को शहद, घी, दही या दूध में मिलाकर, मंत्रों के 108 या 28 बार उच्चारण के साथ अग्नि में आहुति देनी चाहिए।
  • इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए। बृहस्पतिदेव के उपाय में दही-चावल का प्रसाद आवश्यक है। पूजा के बाद दक्षिणा यजमान की श्रद्धा और ब्राह्मणों की संतुष्टि अनुसार देनी चाहिए।

मंत्र जप

सामान्यतः नीचे दिए गए मंत्रों का जाप बृहस्पतिदेव की पीड़ा को कम करने के लिए किया जाता है। बीज मंत्र को अधिक प्रभावशाली होने के कारण प्राथमिकता दी जाती है।



  • बृहस्पतिदेव का मंत्र: “ॐ गुरवे नमः”
  • बृहस्पतिदेव का बीज मंत्र: “ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः”


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लेखक: आनंद सागर पाठक, Astropatri.com अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए hello@astropatri.com पर संपर्क करें।

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