deltin33 • 2025-11-14 20:36:20 • views 983
पैरेंट्स अपने बच्चों की छुट्टी कराकर घर लेकर जाते हुए।
डिजिटल डेस्क, फरीदाबाद। दिल्ली में लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए कार ब्लास्ट की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, अल-फलाह यूनिवर्सिटी का नाम इस केस से और गहराई से जुड़ता जा रहा है।
पिछले दो दिनों में जांच एजेंसियों द्वारा यूनिवर्सिटी कैंपस और यहां मौजूद आतंकियों के आवासों पर की गई लगातार छापेमारी ने माहौल पूरी तरह बदल दिया है। अब कैंपस में पढ़ने वाले छात्र भी अपने भविष्य को लेकर चिंतित है, उनके अभिभावक भी परेशान हो रहे हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
छात्रों में घबराहट, अभिभावक लेने पहुंच रहे
यहां पर पढ़ रहे छात्रों और उनके पैरेंट्स की चिंता इस वक्त चरम पर है। पुलिस, NIA और फोरेंसिक टीमों की लगातार मौजूदगी ने छात्रों की चिंता बढ़ा दी है।
बताया जा रहा है कि छात्र कक्षाओं में नहीं जा रहे हैं। पैरेंट्स अल फलाह यूनिवर्सिटी पहुंच रहे और अपने बच्चों की छुट्टी कराकर अपने साथ ले जा रहे हैंञ
अभिभावकों की चिंता क्यों बढ़ी?
जैसे ही आतंकवादी गतिविधियों में अल फलाह यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. शाहीन, डॉ. मुजम्मिल और डॉ. उमर के नाम सामने आए, यूनिवर्सिटी सवालों के घेरे में आ गई। आतंक का अड्डा दिख रही यूनिवर्सिटी को लेकर अभिभावकों की चिंता कई गुना बढ़ गई।
यूनिवर्सिटी तीनों प्रोफेसर के नाम दिल्ली ब्लास्ट से क्यों जुड़ा ?
- डॉ. मुजम्मिल: जांच में इसका नाम एक ऐसे रेंटेड हाउस से जुड़ा, जहां से सैकड़ों किलो अमोनियम नाइट्रेट और विस्फोटक सामग्री बरामद की गई।
- डॉ. शाहीन सईद: इसके नाम पर एक कार रजिस्टर्ड मिली। जिसमें असॉल्ट राइफल, कारतूस और संदिग्ध सामग्री बरामद हुई। ये आतंकी संगठन जैश की महिला विंग के लिए भारत में काम कर रही थी।
- डॉ. उमर: ये वही है, जिसने दिल्ली में लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास कार में धमाका किया। यह फिदायीन हमला था, जिसमें डॉ. उमर भी मारा गया।
हालांकि यूनिवर्सिटी प्रशासन बार-बार बयान जारी कर रहा है कि कैंपस का किसी भी आतंकी गतिविधि से कोई संबंध नहीं है। हर तरह की जांच में सहयोग किया जा रहा है। मगर छात्रों और उनके अभिभावकों का भरोसा हिल चुका है।
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