इलाहाबाद हाई कोर्ट ने निचली अदालतों से कहा, हिंदी और अंग्रेजी के मिश्रण में नहीं लिखे जा सकते फैसले

cy520520 2025-11-15 14:07:19 views 830
  



विधि संवाददाता, जागरण, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्देश में कहा कि अधीनस्थ अदालतें निर्णय हिंदी या अंग्रेजी में लिखने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन वे आंशिक अंग्रेजी और आंशिक हिंदी में फैसले नहीं लिख सकतीं। दहेज हत्या मामले में अभियुक्त को बरी करने संबंधी अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश, न्यायालय (संख्या 10) आगरा के फैसले को चुनौती देने वाली वेद प्रकाश त्यागी की आपराधिक अपील खारिज करते हुए न्यायमूर्ति राजीव मिश्रा व न्यायमूर्ति डा. अजय कुमार (द्वितीय) की खंडपीठ ने इसे अनुचित प्रथा का ‘उत्कृष्ट उदाहरण’ बताया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

खंडपीठ ने निर्णय को उचित कार्रवाई के लिए मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखने और राज्य भर के सभी न्यायिक अधिकारियों को प्रसारित करने का निर्देश दिया है। खंडपीठ ने कहा कि निचली अदालतों में फैसले लिखने की द्विभाषी प्रणाली अस्तित्व में है। निचली अदालतों के पीठासीन अधिकारी निर्णय हिंदी या अंग्रेजी में लिखने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन इसका अर्थ आंशिक रूप से अंग्रेजी और आंशिक रूप से हिंदी में फैसला लिखना नहीं हो सकता।

हिंदी भाषी राज्य के नाते राजभाषा में फैसले लिखने का मुख्य उद्देश्य यह है कि आम वादी समझ सकें और अपने दावे को स्वीकार या अस्वीकार करने के लिए दिए गए कारणों को भी जान जाएं। इस संबंध में 11 अगस्त, 1951 और दो दिसंबर 1972 के आदेशों का हवाला देते हुए खंडपीठ ने कहा, ‘देवनागरी लिपि में हिंदी, उच्च न्यायालय के अधीनस्थ सभी आपराधिक अदालतों की भाषा है। न्यायिक अधिकारियों को हिंदी या अंग्रेजी में निर्णय लिखने की अनुमति है, लेकिन दोनों का मिश्रण नहीं हो सकता।’

कोर्ट का कहना था कि विवादित निर्णय 54 पृष्ठों और 199 अनुच्छेदों में है। इनमें 63 अनुच्छेद अंग्रेजी व 125 हिंदी में थे जबकि 11 अनुच्छेदों में दोनों भाषाएं थीं, कहीं-कहीं तो आधा वाक्य हिंदी और आधा अंग्रेजी में था। खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि हिंदी निर्णय में उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का अंग्रेजी अंश उद्धृत करना (और इसके विपरीत भी) स्वीकार्य है, लेकिन न्यायिक अधिकारी को उसका अनुवाद उपलब्ध कराना होगा ताकि तर्क बोधगम्य रहे।

यह भी पढ़ें- उन्नाव-प्रयागराज और बरेली समेत छह जिलों में नए BSA की तैनाती, व‍िभाग ने सभी को द‍िए ये न‍िर्देश  

यदि कोई निर्णय अंग्रेजी में है और मृत्यु पूर्व कथन हिंदी में है तो निश्चित रूप से ऐसे मृत्यु पूर्व कथन को निर्णय में शब्दशः उद्धृत किया जा सकता है। पीठासीन अधिकारी को गवाह के साक्ष्य के कुछ अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रासंगिक अंश हिंदी में दर्ज करने की स्वतंत्रता है। प्रश्नगत मुकदमे में खंडपीठ ने सबसे पहले अधीनस्थ न्यायालय के उस निष्कर्ष की जांच की जिसमें अभियुक्तों को भारतीय दंड संहिता की धारा 498-ए, 304-बी और दहेज निषेध अधिनियम की धारा 4 के अपराधों से बरी कर दिया गया था।

कोर्ट ने कहा कि दहेज के लिए क्रूरता साबित नहीं हुई। दो गवाहों ने शादी के बाद दिए गए आभूषणों-पैसों के बारे में विरोधाभासी बयान दिया। दोनों डाक्टरों ने कहा है कि अंकिता को उसके पति रवि ने अस्पताल में भर्ती कराया था। बिलों का भुगतान करने के साथ ही अस्पताल में था। निचली अदालत के निष्कर्ष साक्ष्यों के उचित मूल्यांकन पर आधारित थे।
like (0)
cy520520Forum Veteran

Post a reply

loginto write comments
cy520520

He hasn't introduced himself yet.

410K

Threads

0

Posts

1310K

Credits

Forum Veteran

Credits
132914

Get jili slot free 100 online Gambling and more profitable chanced casino at www.deltin51.com, Of particular note is that we've prepared 100 free Lucky Slots games for new users, giving you the opportunity to experience the thrill of the slot machine world and feel a certain level of risk. Click on the content at the top of the forum to play these free slot games; they're simple and easy to learn, ensuring you can quickly get started and fully enjoy the fun. We also have a free roulette wheel with a value of 200 for inviting friends.