GI टैग प्राप्त उत्पादों का शतक लगाएगा उत्तराखंड, उत्पादों की संख्या 100 तक ले जाने का है लक्ष्य

Chikheang 2025-11-22 15:06:44 views 854
  

राज्य के 29 उत्पादों पर अभी तक हासिल हो चुका है जीआइ टैग। जागरण  



केदार दत्त, देहरादून। समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के साथ ही उत्तराखंड अपने विशिष्ट उत्पादों के लिए भी पहचान रखता है। इन उत्पादों को राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने के लिए इन्हें भौगोलिक संकेतक यानी जीआई (ज्योग्राफिकल इंडिकेशन) टैग दिलाने की दिशा में कसरत तेज की गई है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

अभी तक 20 कृषि-औद्यानिकी व नौ हस्तशिल्प समेत अन्य उत्पादों पर जीआइ टैग मिल चुका है और अब इस संख्या को 100 तक ले जाने की तैयारी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी राज्य स्थापना की रजत जयंती के अवसर पर जीआइ टैग के महत्व को रेखांकित किया था। इसे देखते हुए कृषि एवं औद्यानिकी उत्पादों के बारे में सभी जिलों से ब्योरा मांगा गया है।

जीआइ टैग के 19 प्रस्ताव पाइपलाइन में
उत्तराखंड की ओर से कृषि-औद्यानिकी से जुड़े 21 उत्पादों पर जीआइ टैग के लिए पूर्व में प्रस्ताव भेजा गया था। महानियंत्रक पेटेंट, डिजाइन एवं ट्रेड मार्क्स की टीम इन प्रस्तावों का परीक्षण कर चुकी है। इनमें से हाल में ही बेडू और बदरी गाय घी पर जीआइ टैग हासिल हुआ है। शेष 19 में भी यह जल्द मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।

इसलिए महत्वपूर्ण है जीआइ टैग

जीआइ टैग किसी भी उत्पाद को उसके विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र से जोड़ता है। यह उसके मूल स्थान, प्रतिष्ठा, गुणवत्ता समेत अन्य विशेषताओं को प्रदर्शित करता है। किसी उत्पाद को जीआइ टैग मिलने पर कोई दूसरा उसके नाम का उपयोग नहीं कर सकता। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत महानियंत्रक पेटेंट, डिजाइन व ट्रेड मार्क्स हर पहलू से परीक्षण करने के बाद जीआइ टैग प्रदान करता है।

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यह होता है लाभ

जीआइ टैग प्राप्त होने के बाद संबंधित उत्पाद को राष्ट्रीय व वैश्विक स्तर पर न केवल पहचान मिलती है, बल्कि ब्रांडिंग व प्रतिस्पर्धा में भी लाभ मिलता है। यही कारण भी है कि राज्य सरकार ने यहां के ज्यादा से ज्यादा उत्पादों को जीआइ टैग दिलाने पर ध्यान केंद्रित किया है।

उत्तराखंड के जीआइ टैग प्राप्त उत्पाद

कृषि-औद्यानिकी :- बेडू, बदरी गाय का घी, तेजपात, बासमती चावल, मुनस्यारी सफेद राजमा, कुमाऊं च्यूरा आयल, बेरीनाग चाय, मंडुवा, झंगोरा, गहथ, लाल चावल, काला भट, माल्टा, चौलाई, बुरांस शर्बत, बिच्छू बटी फेब्रिक्स, पहाड़ी तोर दाल, अल्मोड़ा लखौरी मिर्च, रामनगर-नैनीताल लीची, रामगढ़-नैनीताल आड़ू। हस्तशिल्प व अन्य :- एपण कला, रिंगाल क्राफ्ट, भोटिया दन, ताम्र उत्पाद, थुलमा, नैनीताल मोमबत्ती, कुमाऊंनी पिछौड़ा, चमोली रम्माण मुखौटा व उत्तराखंड लिखाई लकड़ी की नक्काशी।

इन उत्पादों पर जीआइ टैग जल्द
उत्तराखंड कुट्टू-फाफर, हर्षिल राजमा, जख्या, जम्बू, टिमरू, पहाड़ी मसूर, नवरंग दाल, रुद्राक्ष, पुलम, नाशपाती, काफल, किल्मोड़ा, अल्मोड़ा बाल मिठाई, अल्मोड़ा सिंगोड़ी मिठाई, नैनीताल ज्योलीकोट शहद, कौसानी चाय, गंदरायणी, नींबू, पहाड़ी आलू।


राज्य के ज्यादा से ज्यादा उत्पादों को जीआइ टैग हासिल हो, इनके चयन व प्रस्ताव तैयार करने के दृष्टिगत विभागों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। इसी कड़ी में किन-किन कृषि-औद्यानिकी उत्पादों को यह टैग दिलाया जा सकता है, इस बारे में जिलों के मुख्य कृषि एवं उद्यान अधिकारियों से ब्योरा मांगा गया है।
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-विनय कुमार, प्रबंध निदेशक, उत्तराखंड जैविक उत्पाद परिषद।
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