कासगंज में टीबी मरीजों की संख्या में वृद्धि, 4466 नए रोगी मिलने के बाद स्वास्थ्य हुआ अलर्ट

Chikheang 2025-11-26 18:37:29 views 370
  

सांकेतिक तस्वीर।



जागरण संवाददाता, कासगंज। जिले में क्षयरोग (टीबी) के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इस वर्ष अभी तक 4466 रोगी चिह्नित हो चुके है। अभी भी रोगियों के मिलने का सिलसिला जारी है। जिले में 2289 पुरुष और 1651 महिला मरीज नए मिले हैं। जिले में सबसे अधिक मरीज सहावर ब्लाक में मिले हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
सहावर ब्लॉक में मिले सबसे अधिक 413 मरीज, महिलाओं की संख्या 1651


स्वास्थ्य विभाग पोलियो की तरह टीबी को भी 2025 में अलविदा करने की तैयारी में है। इसके लिए लगातार जिलों में टीबी रोगी खोजाे अभियान भी चलाया जा रहा है। जिले में पिछले वर्ष पांच हजार के करीब टीबी के नए रोगी मिले थे। माना जा रहा था कि इस बार मरीजों की संख्या में कमी आएगी। लेकिन ऐसा हुआ नहीं।

इस बार नवंबर तक 4466 टीबी के नए रोगी मिले। इनमें जिले में सबसे अधिक रोगी 413 सहावर ब्लाक के हैं। इनमें पुरुषों की संख्या 245 और महिलाओं की संख्या 192 है। जबकि सबसे कम संख्या सिढ़पुरा ब्लाक की है। यहां 250 रोगियों हैं, इसमें पुरुष 175 और महिलाएं 105 हैं। जिला क्षय रोग अस्पताल में सबसे अधिक मरीज विभिन्न अस्पतालों के माध्यम से पहुंचे। इनकी संख्या 1731 है। इनमें पुरुष 969 और महिलाएं 811 है।

भारत को टीबी मुक्त करने के लिए चल रहा रोगी खोजाे विशेष अभियान


जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. उत्कर्ष ने बताया कि भारत में तपेदिक की बीमारी काे खत्म करने के प्रयास तेजी से चल रहे हैं। इसी के तहत टीबी रोगी खोजाे अभियान चलाए जा रहे हैं। जिले में भी ये अभियान चल रहा है। स्वास्थ्य कर्मी घर-घर जाकर टीबी रोगी खोज रहे हैं। संभावित टीबी के मरीज होने पर उनकी जांच कराई जाती है। इसके साथ ही उनको दवा चलने तक हर माह एक हजार रुपये भी सरकार देती है। दो तरह की टीबी के मरीजों को दो चरणों में रखा गया है। एक गहन और दूसरा सतत चरण। गहन चरण में सामान्य टीबी के मरीजों को रखा जाता है। इसमें मरीज छह माह स्वस्थ हो जाता है।

सतत चरण में गंभीर टीबी रोगियों को रखा जाता है। इसमें रीड़ की हड्डी और दिमाग के टीबी मरीज होते है। इनका उपचार दो वर्ष तक चलता है। मरीजों को बिना चिकित्सक के परामर्श लिए दवा नहीं छोड़ने की सलाह दी जाती है। लेकिन कई मरीज बीच में ही दवा छोड़ देते हैं। इस बार भी कुछ मरीज ऐसे सामने आए हैं।


सामान्य टीबी के लक्षण



खांसी, सीने में दर्द, बुखार
रात में पसीना आना और अनजाने में वजन कम होना है।

  


फुफ्फुसीय (फेफड़े) टीबी के लक्षण



लगातार खांसी (दो सप्ताह या उससे अधिक समय तक), सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ, और खून या खूनी थूक (हेमोप्टाइसिस) के साथ खांसी आना।
एक्स्ट्रापल्मोनरी (फेफड़ों के बाहर) टीबी के लक्षण
सूजी हुई लिम्फ नोड्स, शरीर में दर्द और पीड़ा, जोड़ों या टखनों में सूजन

मस्तिष्क में टीबी के लक्षण
सिरदर्द, भ्रम, दौरे, या गर्दन में अकड़न
रीढ़ की हड्डी में: पीठ दर्द




टीबी मुक्त भारत बनाने के लिए रोगियों की तलाश की जा रही है। विभाग की टीम घर-घर जाकर रोगियों की तलाश कर रही है। टीबी रोगियों को उपचार के दौरान स्वास्थ्य विभाग प्रतिमाह हजार रुपये उपचार पूरा होने तक दे रहा है। डॉ. राजीव अग्रवाल, मुख्य चिकित्सा अधिकारी
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