गाजियाबाद में आरसीएच पोर्टल पर पंजीकरण में गिरावट। फाइल फोटो
मदन पांचाल, गाजियाबाद। शिशु एवं मातृ मृत्यु दर में कमी लाने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत संचालित प्रजनन बाल स्वास्थ्य (आरसीएच) पोर्टल पर गर्भवती महिलाओं और बच्चों का पंजीकरण बेहद खराब पाए जाने पर सीएमओ डॉ. अखिलेश मोहन ने कड़ा रुख अपनाया है। चार ब्लॉक कार्यक्रम प्रबंधकों (बीपीएम) समेत आठ डाटा एंट्री ऑपरेटरों की सेवाएं समाप्त करने की तैयारी चल रही है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
सीएमओ ने इन्हें नोटिस जारी कर शत-प्रतिशत पंजीकरण पूरा करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है। इस अवधि में शत-प्रतिशत पंजीकरण नहीं हुआ तो सेवा समाप्ति की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। दैनिक जागरण ने इस मामले पर प्रमुखता से खबर प्रकाशित की थी।
खबर में ब्लॉक और शहर के अस्पतालों में हुए पंजीकरण का पूरा ब्योरा दिया गया था। पंजीकरण की कम दर का असर नियमित टीकाकरण पर पड़ रहा है। शहरी क्षेत्र में 53 शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 84 शहरी आयुष्मान आरोग्य मंदिर संचालित होने के बावजूद अनुमानित 80,332 गर्भवती महिलाओं में से केवल 6,821 और अनुमानित 69,862 बच्चों में से केवल 3,625 का ही पोर्टल पर पंजीकरण हो पाया है। शहरी क्षेत्रों में सबसे ज़्यादा डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी कार्यरत हैं।
आरसीएच पोर्टल के बारे में जानें
गर्भवती महिलाओं और बच्चों का पूरा विवरण आरसीएच (प्रजनन बाल स्वास्थ्य) पोर्टल पर दर्ज किया जाता है। इसे प्रजनन एवं बाल स्वास्थ्य (आरसीएच) पोर्टल कहा जाता है। आरसीएच का अर्थ है प्रजनन एवं बाल स्वास्थ्य, जो एक सरकारी कार्यक्रम है जो गर्भवती महिलाओं, माताओं और बच्चों को स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने में मदद करता है। यह कार्यक्रम अक्टूबर 1997 में मातृ, नवजात और बाल मृत्यु दर को कम करने और उससे निपटने के उद्देश्य से शुरू किया गया था।
सेवा समाप्ति के नोटिस जारी किए गए हैं: सभी ब्लॉक कार्यक्रम प्रबंधक
- सभी ब्लॉक डाटा एंट्री ऑपरेटर
- अमित कुमार, डाटा एंट्री ऑपरेटर, जिला संयुक्त चिकित्सालय
- रीता, डाटा एंट्री ऑपरेटर, जिला महिला चिकित्सालय
- राम पलट, डाटा एंट्री ऑपरेटर, शहरी प्रकोष्ठ
- भगवत दयाल, डाटा एंट्री ऑपरेटर, जिला प्रतिरक्षण कार्यालय
आरसीएच पोर्टल की रिपोर्ट के आधार पर संबंधित बीपीएम और डाटा एंट्री ऑपरेटरों को चेतावनी पत्र जारी किए गए हैं। यदि अगले एक सप्ताह में स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो उनकी सेवाएँ समाप्त कर दी जाएँगी।
- डॉ. अखिलेश मोहन, मुख्य चिकित्सा अधिकारी |