Perfect Family Review: पर्दे के पीछे से पंकज त्रिपाठी ने मिडिल क्लास को दिखाया आईना, खुद से सवाल पूछने पर मजबूर करती है सीरीज

cy520520 2025-11-28 20:55:45 views 750
  

वेब सीरीज \“परफेक्ट फैमिली\“ का रिव्यू



एकता गुप्ता, नई दिल्ली। हमारे देश में ज्यादातर संख्या मीडिल क्लास परिवार की ही है और इसीलिए हर तरह संघर्ष भी इसी वर्ग को देखने पड़ते हैं। कई बार ये मीडिल क्लास परिवार दूर से देखने में तो खुश लगते हैं लेकिन सच्चाई कुछ और ही होती है। घर बनाने से लेकर बच्चों की परवरिश, बीवी की ख्वाहिश पूरी करने से लेकर हसबैंड के लिए अपने सपने कुर्बान तक और सबसे बड़ी बात समाज में अपनी इज्जत के लिए संघर्ष करने तक, ये सभी बातें मीडिल क्लास परिवार में एक आम बातें होती हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

लेकिन बहुत आम दिखने वाली ये चीजें किसी इंसान को अंदर ही अंदर कितना परेशान करती हैं फिजिकल हेल्थ के साथ मेंटल हेल्थ पर कितना असर डालती है, इन्हीं सब बातों का जवाब देती है पंकज त्रिपाठी की परफेक्ट फैमिली। आइए जानते हैं इस रिव्यू में कि कैसी है यह सीरीज-

  

वेब सीरीज का नाम- परफेक्ट फैमिली (Perfect Family)
कलाकार- मनोज पाहवा, सीमा पाहवा, गुलशन दैवेया, गिरीजा ओक, नेहा धूपिया
प्रोड्यूसर- पंकज त्रिपाठी
डायरेक्टर- सचिन पाठक
लेखक- मलक भांबरी और अदिराज शर्मा
रिलीज डेट- 27 नवंबर
रेटिंग- 3/5
क्या है परफेक्ट फैमिली की कहानी

ये कहानी है एक ऐसी फैमिली की जिसमें तीन पीढ़ियां एक साथ दिखाई गई हैं। मनोज पहवा जो कि इस परिवार के मुखिया हैं एक मिठाई की दुकान चलाते हैं वहीं उनकी वाइफ का रोल निभाने वाली सीमा पाहवा हाउस वाइफ के रोल में हैं। उनके बेटे और बहू विष्णु (गुलशन दैवेया) और नीति ( गिरिजा ओक) हैं। विष्णु एक कॉर्पोरेट कंपनी में काम करता है और अपने प्रमोशन के लिए जी जान लगाता है क्योंकि उसे अपनी वाइफ को एक घर दिलाने की इच्छा पूरी करनी है। वहीं नीति ने परिवार के लिए अपनी मनचाही जॉब छोड़ दी थी। दोनों की बेटी दानी स्कूल में पढ़ती है।

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कहानी की शुरुआत ही एक झगड़े से होती है जिसमें विष्णु के माता-पिता उनके अलग घर में रहने से खुश नहीं है, ये लड़ाई चारों के बीच इतनी बढ़ जाती है कि छोटी दानी पर इसका बुरा असर पड़ता है और उसे एंग्जाइटी अटैक आने लगते हैं। जब स्कूल में उसके साथ ऐसा होता है तो प्रिंसिपल पूरी फैमिली को बुलाती है और उन्हें दानी के लिए मेंटल थैरेपी सेशन जॉइन करने की सलाह देती हैं। इसके बाद वे सब एक साथ थेरेपी के लिए जाते हैं और कहानी धीरे-धीरे आगे बढ़ती है जिसमें पता चलता है कि सभी अपनी-अपनी पर्सनल लाइफ में एक जंग लड़ रहे हैं और उससे निकलने के लिए अलग तरीके खोजते हैं- जैसे नीति (गिरिजा ओक) जब गुस्से में होती है और उसके मन का कुछ नहीं हो रहा होता तो वो अपनी जांघ पर ब्लैड से काट देती है। वहीं विष्णु (गुलशन दैवेया) जब स्ट्रेस में होता है तो वो अकेले में सेल्फ प्लेजर करता है।

इस फैमिली में गुलशन की बहन भी है जिसकी शादी हो चुकी है लेकिन वह इस शादी में खुश नहीं है और अपने पिता का बिजनेस आगे बढ़ाना चाहती है। क्या यह फैमिली इस मेंटल हेल्थ थैरेपी सेशन से नॉर्मल हो पाएगी, क्या इस सीरीज की हेप्पी एंडिंग होगी या नहीं, इन सवालों के जवाब के लिए आपको सीरीज देखनी होगी।

  
परफेक्ट फैमिली रिव्यू

1. परफेक्ट फैमिली अब तक मीडिल क्लास परिवारों पर बनाई गई सीरीज से थोड़ी अलग है क्योंकि इसे मेंटल हेल्थ के साथ जोड़कर दिखाया गया है। इस सीरीज में मेंटल हेल्थ पर फोकस करने की जरुरत को खुलकर दिखाया गया है जो एक अच्छी बात है। इस तरह ये मध्यम वर्गीय परिवारों के रोजमर्रा के स्ट्रगल तो दिखाती है उसके साथ ही इन छोटी-छोटी चीजों का दिमाग पर कैसा असर पड़ता है इस पर अच्छी तरह से फोकस करती है।

2. सीरीज में सभी एक्टर्स ने अच्छा काम किया है, मनोज पहवा, सीमा पहवा ने सास-ससुर और मां-बाप का रोल बखूबी निभाया है। वहीं गुलशन देवैया और गिरिजा ओक की पति-पत्नी के रूप में नेचुरल एक्टिंग भी बेहतरीन रही। वहीं बच्चों ने भी इसमें कमाल की एक्टिंग की है। वहीं नेहा धूपिया बतौर थेरेपिस्ट प्रोफेशनल नजर आई हैं।

3. इसकी एक और अच्छी बात ये है कि इसमें तीन पीढ़ियों को एक साथ दिखाया गया है जिससे अलग-अलग जनरेशन की सोच, लाइफस्टाइल किस तरह अलग है और उन चीजों के साथ बाकी की पीढ़ियां किस तरह घूलती-मिलती है, देखने को मिलता है।

4. इन सबके अलावा समाज के छोटे-छोटे मुद्दे और बड़ा असर डालते हैं जैसे-महिलाओं का खुद को प्राथमिकता ना देना, मेंटल हेल्थ जैसी चीजों को नजरअंदाज करना या उससे शर्म करना, पेरेंट्स के साथ ना रहने की जिद, मीडिल क्लास परिवार की उम्मीदें, सपने, सास बहू की नोंकझोंक, पति-पत्नि के बीच खोते हुए प्यार को दिखाना, ये सारी चीजें बहुत ही सिंपल तरीके से दिखाई गई है।

  
क्या है कमी

1. पंकज त्रिपाठी ने इस सीरीज में मेंटल हेल्थ जैसे बड़े मुद्दे को सेंटर में रखकर कई छोटे-छोटे मुद्दों पर सवाल उठाए हैं, लेकिन 8 एपिसोड कुछ ज्यादा ही टाइम टेकिंग है। बीच में कहानी थोड़ी खींची हुई लगती है यानि इससे कम टाइम या एपिसोड में भी कहानी दिखाई जा सकती थी।

2. दूसरा मेंटल हेल्थ पर भले ही ज्यादा अवेयरनेस ना हो लेकिन ये सवाल मन में जरुर उठेगा क्या वाकई में हर मीडिल क्लास परिवार में होने वाली इन छोटी-बड़ी समस्याओं के लिए इस तरह की थेरेपी की जरुरत पड़ती है।

3. Spoiler: एक बात ये तो अच्छी है कि हर इंडियन सीरीज की तरह इसमें हैप्पी एंडिंग नहीं रही, वहीं क्लाईमैक्स में दूसरे सीजन का हिंट दिया गया। जबकि 8 एपिसोड में ही कहानी पूरी की जा सकती है दूसरे सीजन की जरूरत नहीं थीं।
फाइनल वर्डिक्ट

पंकज त्रिपाठी की यह वेब सीरीज कई सवालों के जवाब बड़ी ही आसानी से दे जाती है क्योंकि इसमें तीन पीढ़ियों की कश्मकश को एक साथ दिखाया गया है। अगर एक-दो सीन को नजर अंदाज कर दिया जाए तो आप इसे फैमिली के साथ बैठकर देख सकते हैं क्योंकि आखिरकार फिल्म का मैसेज तो अच्छा है ही साथ ही यह मीडिल क्लास परिवार पर बनी अब तक की सीरीज से थोड़ी अलग भी है।

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