एसएनसीयू में 12 से 18 हुए बेड। (प्रतीकात्मक फोटो)
जागरण संवाददाता, बरेली । शहर में प्री-मैच्योर डिलीवरी, सांस लेने संबंधी और बच्चों की अन्य बीमारियों से संबंधित बच्चों को जिला महिला अस्पताल के एसएनसीयू में भर्ती करके इलाज किया जाता है। वहां पर 12 बेड के अनुरूप स्टाफ है, जबकि अब वहां बेड की संख्या 18 हो चुकी है, जिन पर मरीज 32 तक भर्ती किए जाते हैं। इसके अलावा कंगारू मदर केयर यूनिट और एमएनसीयू में 20 बेड पर भी एसएनसीयू के स्टाफ से देखभाल कराई जा रही है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
जिला महिला अस्पताल में बच्चों के जन्म लेने के बाद बीमार होने, बाहर से बाने वाले बच्चों का सही ढंग से इलाज करने के लिए नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई (एसएनसीयू) वर्ष 2018 में खोला गया था, उस समय पर अस्पताल में 12 बेड एसएनसीयू में थे।
इलाज करने का काम शुरू
एसएनसीयू में प्री-मैच्योरिटी, कम वजन वाले और बीमार बच्चों रखकर इलाज करने का काम शुरू हो गया। इस 12 बेडेड एसएनसीयू के लिए बाल रोग विशेषज्ञों के साथ ही दो इमरजेंसी मेडिकल आफिसर और 12 स्टाफ नर्स की तैनाती होनी चाहिए थी। इसके बाद एक वर्ष पहले एसएनसीयू में छह बेड बढ़ाकर 18 बेड कर दिए गए। इसके अलावा जिला अस्पताल में तैनात मातृ नवजात शिशु देखभाल इकाई (एमएनसीयू) और कंगारू मदर केयर (केएमसीयू) को खोला गया। लेकिन इसी स्टाफ में इन यूनिटों को भी संचालित किया जा रहा है।
स्टाफ कर्मचारियों को बढ़ाने के साथ सीएमएस की ओर से शासन को पत्र भेजे जा चुके हैं, लेकिन इस पर अब तक कोई खास अमल नहीं हो पाया। बता दें कि एमएनसीयू में 12 बेड और कंगारू मदर केयर यूनिट में आठ बेड हैं। इसके अलावा एसएनसीयू के 18 बेड पर 26 से लेकर 32 बच्चे तक भर्ती रहते हैं, जिससे कई बार स्टाफ नर्स की कमी महसूस होती है, जिससे बच्चों की देखभाल अपेक्षित तरह से नहीं हे पाती है।
जिला महिला अस्पताल के एसएनसीयू, एमएनसीयू और कंगारू मदर केयर यूनिट में जितने कर्मचारियों की आवश्यकता है, उसी के अनुरूप डिमांड की गई। उपलब्ध स्टाफ में अच्छी सेवाएं देने के प्रयास चल रहे हैं। शासन से स्टाफ नर्स मिलने से सुविधाएं और बेहतर हो सकेंगीं। - डा. त्रिभुवन सिंह , मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, जिला महिला अस्पताल |