परिवहन मंत्री डॉ पंकज सिंह की उध्यक्षता में हुई बैठक।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली सरकार ने 2030 तक सड़क दुर्घटनाओं को 50 प्रतिशत कम करने का लक्ष्य रखा है। यह फैसला बुधवार काे हुई राज्य सड़क सुरक्षा परिषद की की पहली बैठक में लिया गया। यह बैठक दो साल बाद हुई है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
बैठक की अध्यक्षता करते हुए परिवहन मंत्री डा पंकज सिंह ने इस लक्ष्य को लेकर विभिन्न विभागों के अधिकारियों से चर्चा की। रोड सेफ्टी वर्क प्लान 2025-2030 में एक मुख्य प्राथमिकता कमजोर सड़क उपयोगकर्ताओं, खासकर पैदल चलने वालों, साइकिल चलाने वालों और स्कूली बच्चों की सुरक्षा रखा गया है। सरकार ने इसके पहले चरण में 100 स्कूलों में सेफ स्कूल जोन शुरू करने की घोषणा की है।
स्कूलों में चल रहा रोड सेफ्टी क्लब
सभी दिल्ली सरकार के स्कूलों में रोड सेफ्टी क्लब पहले से ही चल रहे हैं, और जागरूकता और तैयारी को मजबूत करने के लिए उनके सदस्यों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। काउंसिल ने रिंग रोड, आउटर रिंग रोड और एनडीएमसी के अधिकार क्षेत्र वाले इलाकों में उचित बस-लेन मार्किंग के साथ जीरो टालरेंस जोन बनाने का निर्देश दिया।
अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली में एआइ आधारित 47 कैमरे पहले से ही काम कर रहे हैं, और दिल्ली ट्रैफिक पुलिस, IIT दिल्ली के साथ मिलकर ऐसे और हाई-रिस्क वाले हिस्सों की पहचान करेगी जहां चौबीसों घंटे निगरानी की जरूरत है।
ब्लैक सपॉट्स पर सुधार की समीक्षा
इस बीच दिल्ली गेट और आइएसबीटी कश्मीरी गेट जैसे 18 पहचाने गए ब्लैक स्पाट के सुधार पर भी प्रगति की समीक्षा की गई, जहां पहले ही सुरक्षा संकेतकों में सुधार देखा गया है। पीड़ितों की मदद की योजनाओं पर भी बैठक में चर्चा की गई। इसमें कैशलेस इलाज योजना, हिट-एंड-रन सहायता और राह-वीर गुड समैरिटन योजनाएं शामिल हैं।
मंत्री डा सिंह ने कहा कि सामूहिक प्रयासों, सख्त प्रवर्तन और नागरिक-केंद्रित योजनाओं के माध्यम से दिल्ली सरकार जीवन बचाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने काउंसिल ने विशेषज्ञों, एजेंसियों और जनता के बीच सहयोग को सुविधाजनक बनाने के लिए 2026 में दिल्ली रोड सेफ्टी समिट आयोजित करने का भी प्रस्ताव दिया। पिछली सड़क सुरक्षा बैठक फरवरी 2023 में हुई थी।
राजधानी का बुरा हाल
बता दें कि दिल्ली में हर साल सड़क दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या लगभग 1,200 से 1,400 के बीच रहती है।, जिसमें इस साल 30 नवंबर तक 1445, 2024 में 1427 और साल 2023 में 1,457 मौतें दर्ज की गईं थीं। यानी प्रतिदिन औसतन मौत हुईं और 2022 में 1,412 मौत हुईं थीं। इसमें पैदल चलने वाले और दोपहिया वाहन चालक सबसे अधिक प्रभावित होते हैं।
दिल्ली को दुर्घटनाओं के मामले में देश के सबसे खतरनाक शहरों में से एक माना गया है। |