24 दिसंबर 2015 को मसूरी से अमृतसर तक निकाली गई ऐतिहासिक रोलर स्केटिंग रैली।
सूरत सिंह रावत, जगरण मसूरी: पहाड़ों की रानी मसूरी एक बार फिर अपने गौरवशाली स्केटिंग इतिहास को सम्मान देने की तैयारी में है। 24 दिसंबर 2025 को मसूरी से अमृतसर तक निकाली गई ऐतिहासिक रोलर स्केटिंग रैली के 50 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
भव्य स्वर्ण जयंती समारोह आयोजित कर रहे हैं। इस आयोजन में उस ऐतिहासिक रैली में शामिल, स्केटर्स तथा दिवंगत स्केटर्स के स्वजनों को सम्मानित किया जाएगा, ताकि उनके योगदान को आने वाली पीढ़ियां भी याद रख सकें।
वर्ष 1975 का समय मसूरी के स्केटिंग इतिहास का स्वर्णकालु माना जाता है। उस दौर में मसूरी का द रिंक स्केटिंग हाल एशिया का सबसे बड़ा और सबसे पुराना वुडन फ्लोर स्केटिंग रिक था।
हर वर्ष अक्टूबर में आयोजित होने वाली आल इंडिया रोलर स्केटिंग चैंपियनशिप के लिए देशभर के नामी स्केटर्स मसूरी पहुंचते थे। आधुनिक स्केट्स न होने पर भी युवा स्केटर्स लोहे के चार पहियों वाले साधारण स्केट्स पर कमाल का संतुलन और दक्षता दिखाते थे।
इसी उत्साह और साहस ने 1975 में मसूरी के स्केटर्स को एक अभूतपूर्व कदम उठाने के लिए प्रेरित किया। 15 दिसंबर 1975 को तीन बार के राष्ट्रीय फिगर स्केटिंग चैंपियन अशोक पाल सिंह के नेतृत्व में आनंद बरन मिश्रा, संगारा सिंह, गुरुदर्शन सिंह, गुरु सिंह, अजय मार्क, हरबीर सिंह, सिंह रावत, लखबीर सिंह जसविंदर सिंह अमृतसर के ऐतिहासिक रैली पर निकले।
यह 500 किलोमीटर से अधिक को करीप पत्र भी जिसमें हेड अनुकुल नहीं रहने वाले रास्तों और समित संसाधओं के बीच सात स्केट के अंत तक हटे हते हुए 24 दिसंबर 1975 को स्वर्ण मंदिर पहुंचका इतिहास रच दिया। उस समय यह एशिया की सबसे लंबी रोलर स्केटिंग रैली के रूप में दर्ज हुई थी। अब पांच दशक बार मसूरी एक बार फिर उस जज्बे और साहस को सलाम करने जा रहा है।
स्वर्ण जयंती समारोह इस उम्मीद को भी जगाता है कि शायद मसूरी में एक बार फिर स्केटिंग संस्कृति को नया जीवन मिले और भविष्य में स्केटस तर रोलर स्केटिंग और रोलर हाकी की परंपरा पर के लिए नई सुविधाएं विकसित हों।
1975 की रैली : चुनौतियों भरी लेकिन ऐतिहासिक यात्रा
लोहे के पहियों वाले साधारण स्केट्स, लंबी दूरी, कड़ाके की ठंड और कठिन रास्ते इन सभी चुनौतियों के बावजूद मसूरी के नौ स्केटर्स ने ऐतिहासिक रैली की शुरुआत की। सात स्केटर्स ने अमृतसर पहुंचकर उस रिकार्ड को स्थापित किया, जिसने एशियाई स्केटिंग इतिहास में मसूरी का नाम स्वर्ण अक्षरों में दर्ज कर दिया।
अतीत की चमक, आज की चुनौती
कभी मसूरी में द रिंक और स्टैंडर्ड रिंक जैसी विश्वस्तरीय सुविधाएं थीं, जो स्केटिंग के स्वर्णिम दौर की पहचान थीं। लेकिन समय के साथ दोनों ही रिक अग्निकांड की भेंट चढ़ गए। स्टैंडर्ड रिक 1967 में नष्ट हो गया, जबकि द रिंक सितंबर 2023 की आग में पूरी तरह समाप्त हो गया।
दुर्भाग्य से आज मसूरी में एक भी स्केटिंग रिंक शेष नहीं है, जिसका सीधा असर रोलर स्केटिंग और रोलर हाकी की परंपरा पर पड़ा है। स्वर्ण जयंती समारोह इस उम्मीद को भी जगाता है कि शायद मसूरी में एक बार फिर स्केटिंग संस्कृति को नया जीवन मिले और भविष्य में स्केटर्स के लिए नई सुविधाएं विकसित हों।
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