Thaneliya disease treatment: इलाज के लिए जिला स्तर पर 17 मोबाइल टीम का गठन किया गया। फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, सीतामढ़ी। One call veterinary service : ठंड के मौसम में दुधारू पशुओं में होनेवाले खुरपका-मुंहपका, थनैला, निमोनिया, शीतदंश, पेचिश, अफारा जैसी बीमारियां होने का खतरा बना रहता है। इससे बचाव को लेकर जिला स्तर पर 17 मोबाइल टीम का गठन किया गया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
प्रत्येक प्रखंड के लिए भव्या एजेंसी की ओर से आधुनिक सुविधा से लैस मोबाइल वैन उपलब्ध कराया गया है। जिला पशुपालन पदाधिकारी डा. प्रेम कुमार झा के अनुसार, ठंड के मौसम को देखते हुए जिले के 1,38,075 दुधारू पशुओं की देखभाल के लिए 17 टीम का गठन किया गया है।
जबकि इसके लिए 38 प्रकार की दवाएं प्रचुर मात्रा में उपलब्ध कराया गया है। उन्होंने पशुपालकों से अपील करते हुए कहा हे कि पशुओं को सूखा और हवादार स्थान पर रखें। संतुलित आहार दें।
पशुपालकों को घर तक इलाज की सुविधा मिल सके, इसके लिए मोबाइल पशु चिकित्सालय की व्यवस्था है। यहां एक फोन पर पशुपालक के घर तक गाड़ी को पहुंचना है। मोबाइल वैन के साथ टेक्निशियन व डाक्टर की प्रतिनियुक्ति की गई है।
आधुनिक सुविधा से लैस है मोबाइल वैन
मोबाइल वैन आवश्यक दवाएं, प्राथमिक उपचार किट, उपकरण तथा रोग निदान की मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। आधा दर्जन मोबाइल वैन में विशेषकर दूध बुखार और थनैला रोग के उपचार के लिए जरूरी दवाएं उपलब्ध कराई गई है।
प्रत्येक मोबाइल वैन में एक चिकित्सक, परावैट और ड्राइवर की तैनाती की गई है। इन मोबाइल वैन का रूट चार्ट निर्धारित किया गया है। जो अपने-अपने प्रखंड के विभिन्न ग्रामीण इलाकों में भ्रमण कर पशुओं का इलाज करने सहायक साबित हो रहा है।
टीवीओ के सहारे पशुओं का इलाज
जिले में पशु चिकित्सा पदाधिकारी का अधिकांश पद खाली है। टीवीओ यानी चलंत पशु चिकित्सा पदाधिकारी के सहारे इन पशुओं को इलाज किया जा रहा है। जिले में 31 टीवीओ के विरुद्ध 27 कार्यरत हैं। जबकि 30 पशु चिकित्सा पदाधिकारी के विरुद्ध मात्र चार कार्यरत हैं।
जिले के 17 प्रखंड में एक भी पशु चिकित्सा पदाधिकारी है। इन प्रखंडों में पशुओं का इलाज इन्ही टीवीओ के सहारे किया जा रहा है। जिला पशुपालन पदाधिकारी ने बताया कि डाक्टरों के रिक्त पदों की जानकारी उच्चाधिकारियों को दी जा चुकी है। सीमित संसाधन के बीच पशुओं को इलाज किया जा रहा है।
पशुपालकों के काल की संख्या बढ़ी
ठंड बढ़ने के साथ मोबाइल वैनों पर आने वाले काल में भी संख्या में वृद्धि होने लगी है। बताया जा रहा है कि पहले जहां शून्य से चार पांच काल आते थे वहीं बढ़ते ठंड में औसतन प्रतिदिन 15-25 काल रिकार्ड किया जा रहा है। इन रिकार्ड के अनुसार, अधिकाशं पशुपालक थनैला, खुरपका-मुंहपका, जुकाम-खांसी, भूख न लगना, बछड़ों में न्यूमोनिया, आदि से संबंधित शिकायत दर्ज करा रहे हैं।
देर से पहुंचती है मोबाइल वैन
डुमरा के भूपभैरो गांव निवासी पशुपालक खिलावन राय बताते है कि शिकायत करने के बाद भी जल्दी मोबाइल वैन नहीं पहुंच रही है। शिकायत के अगले दिन मोबाइल वैन पहुंचता है। वहीं श्याम ठाकुर बताते है कि भैस की तबियत खराब थी। मोबाइल वैन के लिए काल किया। शिकायत तो दर्ज कर ली गई लेकिन, मोबाइल वैन एक दिन के बाद गांव में पहुंचा। हालांकि, वैन में शामिल लोगों ने पशुओ का इलाज कर दवा जरूर उपलब्ध कराई। बार मौसम या सड़क की खराब होने का बहाना बताकर मोबाइल वैन नहीं भी पहुंचती है। हारकर जिला अस्पताल जाना पड़ता है।
दुधारू पशुओं के इलाज के लिए प्रखंड बार मोबाइल वैन उपलब्ध कराया गया है। इसके लिए 17 टीम का गठन किया गया है। शिकायत के आलोक में संबंधित गांव में मोबाइल वैन भेजा जाता है। ठंड में पशुओं में होनेवाली बीमारियों के इलाज के प्रचुर मात्रा में दवा उपलब्ध कराया गया है। -
डा. प्रेम कुमार झा, जिला पशुपालन पदाधिकारी |