हमारे शिक्षक को मारेंगे, हमारे स्कूल तोड़ेंगे, अब ऐसा नहीं होने देंगे, दो साल में 4500 नक्सली कम हुए- छग उप-मुख्यमंत्री

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छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीेएम विजय शर्मा का एक्सक्लुसिव इंटरव्यू  



संदीप राजवाड़े, नई दिल्ली।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने देश को नक्सल मुक्त बनाने के लिए 31 मार्च 2026 की डेडलाइन तय की है। इसे लेकर नक्सल प्रभावित राज्यों में बड़े पैमाने पर ऑपरेशन चलाया जा रहा है। हाल ही में बड़े सक्रिय नक्सली माड़वी हिड़मा को फोर्स ने मार गिराया, इसके साथ ही कई बड़े नामी नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। छत्तीसगढ़ नक्सल प्रभावित प्रमुख राज्य है, इसके बस्तर संभाग के कई जिले इससे बुरी तरह प्रभावित रहे हैं। दिल्ली आए छत्तीसगढ़ के उप- मुख्यमंत्री और गृह मंत्री विजय शर्मा ने जागरण प्राइम के साथ एक्सक्लुसिव बातचीत में कहा कि केंद्र सरकार के तय डेडलाइन पर ही नक्सलियों का खात्मा होगा। नक्लिॉयों के सामने दो ही ऑप्शन हैं, पहला आत्मसमर्पण कर दें या फोर्स की गोली खाने को तैयार रहें। इसके अलावा और कुछ नहीं हो सकता है। राज्य व केंद्र सरकार नहीं चाहती है कि एक भी गोली चले, लेकिन वे बंदूक के दम पर सरकार बनाना चाहते हैं। वे हमारे शिक्षकों को मारेंगे, वे हमारे स्कूलों को तोड़ेंगे, अब ऐसा नहीं होगा। अब बस्तर के लोग ही लाल आतंक नहीं चाहते हैं, बस्तर यहां के लोगों का है, वे ही इसके जल, जंगल और सपंदा के मालिक हैं। उप मुख्यमंत्री शर्मा से बातचीत-   विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

  
- देश को नक्सल मुक्त करने की दिशा में केंद्र सरकार ने 31 मार्च 2026 का लक्ष्य रखा है, अब तक हमें कितनी सफलता मिली है और इस टारगेट के कितने करीब पहुंचे हैं

डिप्टी सीएम- 75 फीसदी नक्सली समाप्त हो चुके हैं। उन्होंने पुनर्वास किया है या गिरफ्तार हुए हैं या उन्हें मार दिया गया है। अब तक 2300 नक्सलियों का पुनर्वास हुआ है, 1800 गिरफ्तार हुए हैं और करीबन 500 (अब तक 490) मारे जा चुके हैं। यह कहा जा सकता है कि इन दो वर्षों में करीबन 4500 नक्सलियों की संख्या कम हुई है। यह बड़ी सफलता है। हमारे जवानों की भुजाओं की ताकत पर यह संभव हुआ है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जनवरी 2024 में छत्तीसगढ़ सरकार बनने के बाद ही बैठक लेकर एक रणनीति तय की थी। उस पर आगे काम होता गया तो गृह मंत्री ने आकलन और गंभीर गणनाओं के आधार पर देश से नक्सल समस्या को समाप्त करने की एक तारीख तय कर दी। एक ऐसे विषय पर जिसमें सबकुछ अनिश्चित दिखता है, उसमें भी एक निश्चित समय तय कर देना, यह उनके बड़े व्यक्तित्व के साथ उनकी सोच को दर्शाता है। लगातार इसे लेकर काम हो रहा है, निर्धारित समय में इसे लेकर छत्तीसगढ़ में सबकुछ ठीक हो जाएगा।  

  

- नक्सल का दंश या नुकसान सबसे ज्यादा छत्तीसगढ़ ने सहा है, इस मायने से प्रदेश का नक्सल मुक्त होना कितनी अहमियत रखता है?

डिप्टी सीएम- छत्तीसगढ़ में जनवरी 2024 में पूरे देश के नक्सल प्रभावित राज्यों के पुलिस प्रमुख आए थे तो एक गणना हुई थी, उसमें सामने आया था कि समूचे देश का 75 फीसदी नक्सलवाद तो छत्तीसगढ़ में ही है। विशेष रूप से बस्तर के कुछ जिलों में है। बस्तर ही सर्वाधिक प्रभावित रहा है। बस्तर के लोगों का इस्तेमाल किया गया है। 13-14 उम्र के बच्चों को अनिवार्यता से एक घर से एक लड़का या लड़की नक्सली ले जाकर उन्हें शामिल करते थे। आज लियोर ओयना योजना के माध्यम से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के युवाओं को रायपुर घुमाने लाते हैं तो उस समय पता चलता है कि 25 साल के एक युवक ने कभी टीवी तक नहीं देखा है। आज के युग में क्या यह संभव है, क्या आप यह सोच सकते हैं।

बस्तर के गांवों में स्कूल, बिजली, अस्पताल, आंगनबाड़ी, सिंचाई की व्यवस्था, पानी, मोबाइल टॉवर, उन्नत किस्म के बीज नहीं होते हैं। यह आज की मौलिक सुविधाएं हैं। मैं नहीं कहता हूं कि बस्तर को हमारी तरह हो जाना चाहिए, किसी विकसित शहर की तरह, बिल्कुल नहीं होना चाहिए। पर्यावरण से समृद्ध उनका जीवन है, बहुत सुंदर। उनका जीवन व संस्कार बहुत ही अच्छा है। हमसे ज्यादा खुशी में वे जीते हैं। सहकारिता उनकी रगों में है। उनकी क्लास ही अलग है। उनके उन भावों में किसी तरह के बदलाव की जरूरत नहीं है, लेकिन उनके पास मौलिक सुविधाएं तो पहुंचनी चाहिए। आज के युग में जहां एआई पर बातें हो रही हैं, जहां सरकारें एआई डेटाबेस पॉलिसी पर काम कर रही हैं, तब वहां का 25 साल के बच्चे ने टीवी तक नहीं देखा हो, यह कैसे संभव है। बस्तर में मौलिक सुविधाएं पहुंचे, इसके लिए सरकार प्रतिबद्ध है। भारत का संविधान बस्तर के कोने-कोने तक लागू होना चाहिए, इसके लिए सरकार काम कर रही है। इन सारी परिस्थितियों से उठकर आज बस्तर आगे बढ़ रहा है।  
- नक्सल की समस्या से हम पिछले 35- 40 साल से जूझ रहे हैं, फिर अब जाकर इसके खात्मे तक पहुंच रहे हैं। पिछली सरकारों ने क्यों नहीं किया?



डिप्टी सीएम- यह काम बहुत बड़ा है। मैं बताता हूं कि यह कैसे हुआ। छत्तीसगढ़ चुनाव के पहले हमारे माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रदेश में आगमन होता है। उस दौरान उन्होंने जनसभा में ऐलान किया था कि छत्तीसगढ़ से नक्सलवाद खत्म करेंगे। छत्तीसगढ़ सरकार बनती है और गृहमंत्री अमित शाह का दौरा होता है, उनकी रणनीति परफेक्ट होती है, यह मैंने बार-बार देखा है। उन्होंने इस मामले में काम करने को लेकर आधार तय किए, काम करने के लिए स्पष्टता तय की, उस आधार पर हम काम करते हुए आगे बढ़े।

इस मिशन को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का मार्गदर्शन अनवरत मिलता रहा है। सभी सरकारों ने काम किया है, सभी ने काम किया है, लेकिन मूल विषय है कि अब बस्तर की जनता नहीं चाहती कि लाल आतंक हो। बस्तर की जनता के मनोभाव के अनुरूप यह काम हो रहा है।सरकारें जो होती हैं, उनका संकल्प होता है, पिछली सरकारें जो छतीसगढ़ में थी, उनका इस विषय पर भाव कैसा था और वर्तमान की सरकार का भाव कैसा है। बस्तर में कोई अधिकारी नहीं बदले गए न ही पुलिस की कोई टीम बदली गई, सबकुछ वही है। लेकिन आज पिछले दो वर्षों में काम दिख रहा है, उसके पीछे सरकार का संकल्प भी है। और सबसे बड़ी बात यह सबकुछ जवानों की भुजाओं और ताकत पर ही संभव होता है, जो कुछ भी हो रहा है, वह हमारे जवानों के पराक्रम के आधार पर हो रहा है।  
- देश समेत छत्तीसगढ़ में अब कितने सक्रिय और बड़े नक्सली नेता बचे हैं, उनके हथियार छोड़ने को लेकर सरकार की कोई बातचीत चल रही है?



डिप्टी सीएम- आज ही नहीं, बल्कि इस अभियान के शुरू से ही केंद्रीय गृह मंत्री के साथ राज्य के मुख्यमंत्री ने बार-बार अग्राह किया है कि पुनर्वास करें। हम लोगों ने भी हाथ जोड़-जोड़कर आग्रह किया है कि पुनर्वास करें। जिन लोगों ने पुनर्वास किया है, वह आज हमारे पुनर्वास केंद्रों में व्यवस्थित हैं। उनका जीवन आगे ठीक से चले, इसके लिए हम पूरी कोशिश कर रहे हैं। हमारा सक्रिय नक्सलियों से आग्रह है कि हथियार छोड़ दें। आप हथियार लेकर चलते हो, यह संवैधानिक नहीं है, गैर कानूनी है। आप तालाब के किनारे, नदी के किनारे, सड़के किनारे आईईडी लगा देते हैं, इस आईईडी में जवान ही नहीं आम लोग भी हताहत होते हैं। जानवर भी हताहत होते हैं, यह तो नहीं चलेगा।  

आप हमारे शिक्षा दूतों की हत्या कर दें, यह नहीं चलेगा। आप स्कूलों को बम से उड़ा दें, यह नहीं चलेगा। आप पुल-पुलिया और सड़क को खत्म कर दें, यह नहीं चलेगा। काम करने जाने वाले ठेकेदारों की गाड़ियां जला दें, उनकी हत्या कर दें, यह नहीं चलेगा। जनअदालत लगाकर आप लोगों को मृत्युदंड दें, यह नहीं चलेगा। यह सबकुछ समाप्त होना ही चाहिए। इसी भाव को लेकर वहां काम करते हुए सभी सरकारों ने काम किया, परंतु इस सरकार ने इसे विशेषतौर पर अभियान की तरह लेकर काम किया है। योगदान सबका है लेकिन अमित शाह ने जिस सोच के साथ इस काम को आगे बढ़ाया है, उसी का नतीजा है कि आज परिणाम मिल रहे हैं।  
- देश के बड़े नक्सली माड़वी हिड़मा के मारे जाने के बाद उनके बड़े नक्सलियों को सरकार ने समर्पण को लेकर कोई ऑफर दिया है क्या, उनके सामने क्या रास्ते बचे हैं?

डिप्टी सीएम- आर्म्स फोर्स अपना काम करेगी ही। पहले सरेंडर नहीं हुआ करता था, हम इसे सरेंडर नहीं पुनर्वास कहते हैं, अब हम इसे पुनर्वास भी नहीं बल्कि ससम्मान पुनर्वास कह रहे हैं। इस ससम्मान पुनर्वास को हजारों नक्सलियों ने स्वीकारा है, जो नहीं आए हैं, वे मारे गए हैं। अब कौन-कौन शेष रह गए हैं, उनके नाम का उल्लेख करने का कोई अर्थ नहीं है। उनके बटालियन के कुछ शेष रह गए हैं। कुछ नाम हैं जो पश्चिम और दक्षिण बस्तर में शेष रह गए हैं। इन लोगों से लगातार सामाजिक तौर पर समाज प्रमुख भी जाकर बात कर रहे हैं, जनप्रतिनिधियों से आग्रह किया है, वे भी बात कर रहे हैं, पत्रकार साथी जो उनके संपर्क में हैं, वे भी उनसे भी बात कर रहे हैं।  

इसके अलावा प्रशासनिक तौर पर भी सभी एसपी के नंबर जारी किए गए हैं, सिर्फ उनको फोन कर दीजिए, उन्हें बता दीजिए की आना है। वहां पर कोई ऑपरेशन नहीं होगा, पूरा रास्ता हम क्लियर करके देंगे और आपको बुलाएंगे। आप कहेंगे कि आप अकेले नहीं मिलना चाहते हैं तो आप किसी भी पत्रकार या समाज प्रमुख के साथ आइए, पुलिस उनके साथ चल देगी। केंद्र व राज्य सरकार के मन में यह भाव नहीं है कि गोली चले, लेकिन संंविधान की रक्षा सरकार का दायित्व है।   
- आपकी राय में नक्सली इतने साल तक देश के आठ- दस राज्यों में कैसे सक्रिय रह पाए?

डिप्टी सीएम- कोई भी व्यक्ति अगर आपसे कहता है कि यह सोशल इकोनॉमी प्रॉब्लम का नतीजा है तो यह सरासर झूठ बोल रहा है। आपने अर्बन नक्सली सुना होगा, अर्बन नक्सली शहर में हैं तो उन्हें क्या सोशल इकोनॉमी प्रॉब्लम है, वहां क्यों हो रहे हैं। हो इसलिए रहा है कि यह एक विचारधारा है, जिसमें लोग बंदूक के दम पर सरकार बनाना चाहते हैं। देश में अनेक विद्रोह होते हैं, उनमें उनकी कुछ मांगे होती हैं, आप बताइए बस्तर के नक्सलियों या देश के अन्य क्षेत्र के नक्सलियों की क्या मांगें हैं, वे क्या चाहते हैं.. उनकी कोई मांग ही नहीं है। वे सिर्फ देश में बंदूक के दम पर सरकार बनाना चाहते हैं। वे लोकतंत्र की हत्या करना चाहते हैं और हम लोकतंत्र को अजय और अमर बनाना चाहते हैं।  
- आज शहरी और पढ़े लिखे कुछ लोगों की आतंकी सोच और नक्सल विचारधारा का समर्थक होना कितना खतरनाक है?

डिप्टी सीएम- हमारे भारत का संविधान आपको वैचारिक रूप से काम करने की स्वतंत्रता प्रदान करता है। भारत में कितने राजनीतिक दल हो सकते हैं, उसकी कोई संख्या सीमित नहीं है। हमारा सिर्फ यह कहना है कि आप हथियार छोड़ दें, लोगों की हत्या करके आप यह नहीं कर सकते हैं, बाकी आपको जो करना है वह करें। हम शहर में ये नक्सली वह नक्सली कहकर पकड़ने वाले नहीं है। इसकी कोई आवश्यकता भी नहीं है। वह जनता तय कर लेगी कि किसका क्या काम है, लेकिन भारतीय मान बिंदुओं के अपमान करने वाले, भारतीय संस्थानों को दूषित कहने वाले, भारतीय परंपराओं को नीचा दिखाने वाले, भारतीय लोगों की हंसी उड़ाने वाले लोगों को जनता जवाब देती है। जहां तक नक्सलवाद विषय की बात है तो हम चाहते हैं कि आप हथियार छोड़ें, आप मुख्यधारा में आएं और अपनी विचारधारा के अनुरुप सामने जाएं, जनता उनका निर्धारण करेगी।   
- छत्तीसगढ़ समेत देश में साइबर क्राइम एक बड़ी चुनौती है, इसके कंट्रोल को लेकर क्या रोडमैप?

डिप्टी सीएम- साइबर क्राइम को लेकर प्रदेश में बहुत काम हुआ है। एक नेशनल लेवल पर ट्रेनिंग प्रोग्राम होता है, उसमें छत्तीसगढ़ की अच्छी भागीदारी है। हमारे यहां एक टीम तैयार की जा रही है, जो साइबर क्राइम को कंट्रोल और ट्रेस करने का काम करेगी। अब साइबर क्राइम का दूसरा तरीका सामने आ रहा है, जो एआई बेस्ड है। एक फाइनेंशियल क्राइम है दूसरा एआई बेस्ड साइबर क्राइम है।  

मैंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव से भी आग्रह किया है कि हमें एक ऐसा टूल बनाकर दिया जाए जिसमें एआई जनरेटेड कोई भी टेक्स्ट, फोटो, वीडियो, ऑडियो अगर अपलोड या लिंक पोस्ट करते हैं तो वह प्रामाणिकता के साथ बता दे, जिसकी कोर्ट में भी मान्यता हो कि यह एआई जनरेटेड है कि ओरिजिनल है। उम्मीद है कि जल्द ही इस तरह का टूल देश को मिलेगा। ऐसे समाधान वाला टूल के मिलने से बहुत सारी आत्महत्याएं बच जाएंगी, बहुत सारे विवाद दूर हो जाएंगे, क्योंकि वह प्रमाण पत्र देगा कि यह वीडियो एआई जनरेटेड है।  

आपसे इतना ही कहूंगा कि सत्य, असत्य, अंधेरे, उजाले, अपराध और कानून यह द्धंद सनातन भी है और शाश्वत भी है और रहेगा.. लेकिन अंततः सारी बातों पर कानून की ही जीत होगी।
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