1971 में हुई थी स्कूल की स्थापना। फोटो जागरण
संतोष कुमार, बोधगया। स्कूल में बच्चे न हों तो शिक्षक पढ़ाएंगे किसे? शिक्षक का काम पढ़ाना है लेकिन इसके लिए बच्चों का होना भी जरूरी है। अगर बच्चे नहीं हैं तो फिर स्कूल में शिक्षक का क्या काम।
अधिकारियों को भी इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि स्कूल में बच्चे हैं या नहीं क्योंकि स्कूल सरकारी है। हां, एक बात जो सत्य है वह यह कि स्कूल में पदस्थापित शिक्षक हर दिन स्कूल जरूर आते हैं, अपनी ड्यूटी पूरा करते हैं और शाम में घर चले जाते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
दरअसल, हम बात कर रहे हैं गया जिले के बोधगया स्थित प्राथमिक विद्यालय मगध विश्वविद्यालय बोधगया की। विद्यालय में 22 छात्र नामांकित है, और इन्हें पढ़ाने के लिए चार शिक्षक पदस्थापित हैं, लेकिन बच्चों की उपस्थिति शून्य रहती है।
प्रधानाध्यापक राकेश कुमार ने बताया कि बच्चों को स्कूल आने के लिए हर दिन शिक्षक गांव जाकर बच्चों और उनके माता-पिता को प्रेरित करते हैं। कई बार दो-चार बच्चे स्कूल आते भी हैं, लेकिन कई बार शिक्षक बिना बच्चों के शिक्षक लौट आते हैं। बीते मंगलवार को भी शिक्षक बच्चों को लाने के लिए उनके घर तक गये लेकिन चार बच्चे ही स्कूल आएं।
उन्होंने बताया कि स्कूल के जर्जर भवन और पेयजल, शौचालय के अभाव में माता-पिता अपने बच्चों को स्कूल भेजने से परहेज करते हैं। कहा, विद्यालय का अपना भवन नहीं है। स्कूल मगध विश्वविद्यालय के गोदाम में संचालित होता है, जहां शौचालय और पेयजल की सुविधा नहीं है।
वहीं राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे स्कूल संचालित होने के कारण माता-पिता अपने बच्चों को सड़क पार करने से डरते हैं। प्राधानाध्यापक ने बताया कि स्कूल की स्थापना वर्ष 1971 में हुई थी, लेकिन इसका अपना भवन नहीं बन सका। जब स्कूल की स्थापना हुई थी तब यहां बच्चों की अच्छी संख्या थी। लेकिन माकूल व्यवस्था नहीं होने के कारण इनकी संख्या लगातार घटती गई और मौजूदा दौर में यह संख्या गिनती की रह गई है, वहीं भी बुलाने पर।
वहीं दूसरी ओर, वार्ड पार्षद जमुना देवी ने कहा कि एनएच किनारे मगध विश्वविद्यालय में संचालित स्कूल में जाने के लिए बच्चों को सड़क पार करना होता है। एनएच पर भारी वाहनों के साथ छोटे वाहनों का हमेशा आवाजाही होता है।
ऐसे में माता-पिता अनहोनी की आशंका से सहम रहते हैं। बच्चों को स्कूल नहीं भेजने का बड़ा कारण यह भी है। वहीं स्कूल में मूलभूत सुविधा भी नहीं है। पेयजल की व्यवस्था नहीं होने से परेशानी होती है। उन्होंने कहा कि, स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के माता-पिता ने इसे बापू नगर स्थित स्कूल में स्थानांतरित करने की मांग कर रहे हैं। |