पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ। (रॉयटर्स)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड ने करप्शन पर लगाम लगाने के लिए 7 बिलयन डॉलर के बेलआउट पैकेज के तहत पाकिस्तान पर 11 नई शर्तें लगाई हैं। फंड की दूसरी रिव्यू के लिए स्टाफ लेवल रिपोर्ट के मुताबिक, इस कदम से पाकिस्तान पर 18 महीने में कुल कम्पलायंस जरुरतें 64 हो गई हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब IMF ने पाकिस्तान के इकोनॉमिक मैनेजमेंट और रिफॉर्म रिकॉर्ड पर चिंता जताई, जबकि उसने बेलआउट प्रोग्राम के तहत लगभग 1.2 बिलियन डॉलर के नए डिस्बर्समेंट को मंजूरी दी। साथ ही पॉलिसी में गलतियों, कमजोर इंस्टीट्यूशन और लगातार स्ट्रक्चकल कमजोरियों से होने वाले रिस्क की चेतावनी दी।
पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति
आईएमएफ ने कहा कि पाकिस्तान की एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (ईएफएफ) के तहत लगभग $1 बिलियन और रेजिलिएंस एंड सस्टेनेबिलिटी फैसिलिटी के तहत लगभग 200 मिलियन डॉलर के तुरंत डिस्बर्समेंट को मंजूरी दी है।
लेकिन यह मंजूरी परफॉर्मेंस क्राइटेरिया का पालन न करने की छूट के अनुरोध के साथ आई, जो पाकिस्तान के प्रोग्राम कमिटमेंट्स के कम्प्लायंस में लगातार कमियों को दिखाता है।
आईएमएफ की शर्तें
आईएमएफ ने कहा कि पॉलिसी प्रायोरिटीज मैक्रोइकॉनॉमिक स्टेबिलिटी बनाए रखने और पब्लिक फाइनेंस को मजबूत करने, कॉम्पिटिशन बढ़ाने, प्रोडक्टिविटी और कॉम्पिटिटिवनेस बढ़ाने, सोशल सेफ्टी नेट और ह्यूमन कैपिटल को मजबूत करने, एसओई में सुधार करने और पब्लिक सर्विस प्रोविजन और एनर्जी सेक्टर वायबिलिटी को बेहतर बनाने के लिए रिफॉर्म्स को आगे बढ़ाने पर केंद्रित हैं।
पाकिस्तान का भारी कर्ज बोझ
आईएमएफ ने पाकिस्तान के भारी कर्ज के बोझ और बाहरी फाइनेंसिंग पर निर्भरता की ओर भी ध्यान दिलाया। रिपोर्ट में पता चलता है कि कुल पब्लिक कर्ज 307 बिलियन डॉलर से ज्यादा है, जिसमें बाहरी कर्ज, कुल कर्ज का एक-तिहाई से ज्यादा है और आईएमएफ की जिम्मेदारियां मल्टीलेटरल लायबिलिटीज का एक बड़ा हिस्सा हैं।
आईएमएफ की चेतावनी
आईएमएफ ने अपनी एग्जीक्यूटिव समरी में कहा, “लगातार मजबूत पॉलिसी लागू करने से पाकिस्तान को इस साल कई झटकों से निपटने में मदद मिली है, लेकिन चेतावनी दी कि हाल की बाढ़ ने वित्त वर्ष 2026 के आउटलुक को थोड़ा कम कर दिया है।
बता दें कि पाकिस्तान के 37 महीने के EFF को सितंबर 2024 में मंजूरी मिली थी, जबकि 28 महीने के RSF को मई 2025 में मंजूरी मिली थी। इन प्रोग्राम का मकसद पाकिस्तान की इकॉनमी को स्थिर करना, भरोसा वापस लाना और सुधारों को सपोर्ट करना है, लेकिन IMF के नए रिव्यू से यह साफ है कि लगातार कम्प्लायंस और सुधार की रफ्तार अभी भी बहुत जरूरी है।
IMF की नई चेतावनियों से पता चलता है कि और फंड मिलने के बावजूद, पाकिस्तान की आर्थिक मुश्किलें अभी हल नहीं हुई हैं और प्रोग्राम के आगे के रिव्यू के लिए लगातार जांच जरूरी रहेगी।
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