जेल न बेल, चंडीगढ़ पुलिस की लापरवाही से नाराज अदालत ने रिहा किए आरोपित, जानलेवा हमले में किए थे गिरफ्तार

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कोर्ट का रुख पुलिस की कार्यप्रणाली पर कड़ा सवाल खड़ा करता है।



मनोज बिष्ट, चंडीगढ़। गांव दड़वा में दो युवकों पर चाकू से जानलेवा हमला करने के मामले में पुलिस की गंभीर लापरवाही उजागर होने पर जिला अदालत ने चारों आरोपितों को न तो पुलिस रिमांड दिया, न ही न्यायिक हिरासत, बल्कि सीधे छोड़ दिया। अदालत ने यह निर्णय इसलिए लिया क्योंकि पुलिस ने गिरफ्तारी के दौरान बीएनएसएस की धारा 47 के तहत आवश्यक कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

आरोपितों की ओर से पेश वकील हिमांशु शर्मा ने अदालत में दलील दी कि दड़वा चौकी पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं किया और गिरफ्तारी का आधार भी नहीं बताया गया। अदालत ने इसे गंभीर त्रुटि मानते हुए चारों को छोड़ने के आदेश दिए। कोर्ट का यह रुख पुलिस की कार्यप्रणाली पर कड़ा सवाल खड़ा करता है।

हमले में घायल एक युवक की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है और वह सेक्टर-32 जीएमसीएच में उपचाराधीन है। बबलू समेत अन्य घायल भी अस्पताल में भर्ती हैं। उधर, आरोपितों के छूटते ही यह मामला इंडस्ट्रियल एरिया थाना पुलिस के लिए सिरदर्द बन गया है। पुलिस अब इनकी दोबारा गिरफ्तारी के लिए छापेमारी कर रही है, लेकिन आरोपित हाथ नहीं लग रहे।
8 दिसंबर की रात हुआ था जानलेवा हमला

8 दिसंबर की रात पंचकूला स्थित राजीव काॅलोनी निवासी बबलू अपने दोस्तों युवराज, अनुराग और अभिषेक के साथ दड़वा गांव की स्ट्रीट नंबर-1 पर खाने का सामान गया था। इसी दौरान झगड़ा हो गया। अशोक वर्मा, शुभम दुबे, विकास दीप और एक अज्ञात युवक ने मिलकर बबलू और उसके दोस्तों पर हमला किया। हमले में शुभम दुबे ने बबलू की पीठ में चाकू घोंप दिया।

युवराज को भी तेजधार हथियार से गहरी चोटें आईं। घायल युवकों को पहले पंचकूला सिविल अस्पताल और बाद में सेक्टर-32 जीएमसीएच रेफर किया गया। घटना के बाद पुलिस ने अशोक वर्मा, शुभम दुबे, विकास दीप और अशिष बहादुर को गिरफ्तार किया। पूछताछ में अशोक वर्मा ने बताया कि वारदात में इस्तेमाल चाकू उसने अपने दोस्त अक्षय के पास रखवा दिया था, जिसकी जानकारी सिर्फ उसी को है।
गिरफ्तारी सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के विपरीत

पुलिस ने अशोक के दो दिन के रिमांड की मांग की, ताकि चाकू की बरामदगी और अन्य कड़ियों को जोड़ा जा सके। लेकिन अदालत ने पाया कि गिरफ्तारी सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के विपरीत थी, न तो गिरफ्तारी के कारण बताए गए, न प्रक्रिया का पालन किया गया। नतीजन कोर्ट ने चारों आरोपितों को छोड़ने के आदेश दे दिए।
क्या है बीएनएसएस की धारा-47

नवीन आपराधिक कानून-2023 के भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता( बीएनएसएस ) की धारा - 47 के अनुसार पुलिस को बिना वारंट गिरफ्तारी करने पर संबंधित को बताना होगा कि उसे किस अपराध में गिरफ्तार किया गया है।

यदि अपराध जमानती है, तो आरोपित को बताया जाये कि वह जमानत का हकदार है और उसकी व्यवस्था कर सकता है। लेकिन इस मामले में पुलिस ने इसकी पालना नहीं की थी। जिसके चलते कोर्ट ने आदेश दिए।
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