Operation Ghuspathiya: लखनऊ नगर निगम से नौकरी छोड़ने वाले संदिग्ध बांग्लादेशियों की संख्या 183 पहुंची

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सख्ती  



जागरण संवाददाता, लखनऊ : एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर) मांगें जाने पर संदिग्ध बांग्लादेशी सफाई का काम छोड़कर भूमिगत हो रहे हैं। नगर निगम की तरफ से अधिकृत एजेंसियों को सफाई के साथ ही कूड़ा प्रबंधन का काम दिया गया लेकिन प्रशासन की सख्ती के बाद जब इन कर्मचारियों से एनआरसी मांगी जा रही है तो वे देने में आनाकानी कर रहे हैं लेकिन सख्ती होने पर काम ही छोड़ रहे हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

नगर निगम के जोन दो, पांच और आठ में कूड़ा प्रबंधन और सफाई का काम देख रही मेेसर्स लायन इंव्यारों के करीब पंद्रह कर्मचारी बिना किसी सूचना के दस दिन गायब हो गए हैं। उनके मोबाइल नंबर भी बंद चल रहे हैं। कंपनी ने इसकी सूचना नगर निगम को दे दी है, जिससे पुलिस को जानकारी देकर इन संदिग्ध बांग्लादेशियों के बारे में पता किया जा सके। अब तक एनआरसी मांगने पर नौकरी छोड़कर भागने वाले संदिग्ध बांग्लादेशियों की संख्या 183 पहुंच गई है।

संदिग्ध बांग्लादेशियों की पहचान करने को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सख्ती के साथ ही महापौर सुषमा खर्कवाल की अवैध बस्तियों में छापेमारी और पुलिस की निगरानी तेज से होने से भगदड़ मची है।

अब तो आतंकवाद निरोधक दस्ता ने भी जांच चालू करते हुए नगर निगम से उन संदिग्ध बांग्लादेशी सफाई कर्मचारियों और उनके ठेकेदारों की सूची मांगी है, जो असम का निवासी बता रहे हैं और आधार कार्ड व पासबुक से भारतीय बताने में जुटे हैं लेकिन इसमे अधिकांश एनआरसी नहीं दे पा रहे हैं।एनआरसी असम सरकार की तरफ से अपने प्रदेश के नागरिकों को दी गई है, जिसमे पूरा परिवार रजिस्टर है, जिससे पता चलता है कि कई दशक से उनके पूर्वजों भी असम के ही निवासी है, जो उनके बांग्लादेशी घुसपैठ नहीं होने का प्रमाण है।

इससे पहले नगर निगम के जोन एक, तीन, चार, छह, सात में कूड़ा प्रबंधन का काम देख रही मेसर्स लखनऊ स्वच्छता अभियान प्रबंधन ने भी अपने सफाई कर्मचारियों से एनआरसी मांगा तो उसमे से 168 उसे दे नहीं पाए थे और नौकरी छोड़कर ही भाग गए। जिनके बारे में कोई जानकारी नहीं है कि वे असम लौट गए हैं या फिर कहीं अन्य जगहों पर शरण लिए हुए हैं।
नरगिस के पकड़े जाने के बाद से हकीकत आई थी सामने

अभिलेख कुछ भी कहते हों, लेकिन हकीकत में इसमे अधिकांश बांग्लादेशी और रोर्हिंग्या हैं, जो असम में बने आधार कार्ड और पासबुक के सहारे खुद को असम का निवासी बता रहे हैं। पिछले दिनों ठाकुरगंज के बरौरा हुसैनबाड़ी में हिंदू बनकर हर रही बांग्लादेशी महिला को आतंकवाद निरोधी दस्ता (एटीएस) ने गिरफ्तार किया तो यह साफ हो गया कि बांग्लादेशी नाम बदलकर शहर में अलग-अलग इलाकों में रह रहे हैं।

नरगिस उर्फ जैसमीन अपना नाम निर्मला बताकर रह रही थी। वर्ष 2006 में पश्चिम बंगाल के रास्ते बांग्लादेशी पति शमीर के के साथ भारत में दाखिल हुई थी। नरगिस बांग्लादेश के जलोंकाठी के सदर उबावकाठी स्थित नाबेगांव क्रक्श बाजार निवासी है और उसका फर्जी दस्तावेज बनवाने वाले हरिओम आनंद भी पुलिस के हत्थे चढ़ गया था। ठाकुरगंज में निर्मला बनकर रहने के साथ ही नरगिस हिंदू पर्वों को मनाने के साथ ही अधिक समय पूजा करती थी, जिससे किसी को उसके बांग्लादेशी होने पर कोई शक नहीं होता था।
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