ग्रेटर नोएडा में एयर फोर्स नेवल हाउसिंग बोर्ड, हिंदुस्तान पेट्रोलियम जैसी सोसाइटियों के खरीदारों को जल्द ही रजिस्ट्रेशन की सुविधा मिलेगी। फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा। ग्रेटर नोएडा में मालिकाना हक का इंतजार कर रहे एयर फोर्स नेवल हाउसिंग बोर्ड, हिंदुस्तान पेट्रोलियम, MEA कोऑपरेटिव हाउसिंग और सीनियर सिटीजन होम कॉम्प्लेक्स जैसी सोसाइटियों के खरीदारों को जल्द ही रजिस्ट्रेशन की सुविधा मिलेगी। पावर ऑफ अटॉर्नी के आधार पर फ्लैट खरीदारों के नाम पर जल्द ही रजिस्ट्रेशन शुरू होगा। इससे करीब चार हजार लोगों को राहत मिलेगी। ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने पिछले महीने हुई बोर्ड मीटिंग में लिए गए फैसले के बारे में ऑफिस ऑर्डर जारी किया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
ऑफिस ऑर्डर के मुताबिक, सोसायटी मैनेजमेंट के अधिकृत अधिकारियों को अथॉरिटी को रहने वालों की लिस्ट के साथ एक सर्टिफिकेट और एफिडेविट देना होगा, जिसमें यह सर्टिफाई किया गया हो कि रहने वाला अभी अलॉटेड बिल्डिंग या फ्लैट पर काबिज है। रजिस्ट्रेशन को आसान बनाने के लिए, कमेटी को हर फ्लैट के लिए अलग से नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट जारी करना होगा। कमेटी को ओरिजिनल अलॉटी से लेकर अभी रहने वाले तक की पूरी डिटेल देनी होगी।
अगर रजिस्ट्रेशन के बाद ओरिजिनल अलॉटी या उनके वारिसों को कोई आपत्ति होती है, तो पूरी जिम्मेदारी उस रहने वाले की होगी जिसके पक्ष में अथॉरिटी प्रॉपर्टी को रजिस्टर करेगी। प्राधिकरण के एसीईओ सुनील कुमार सिंह की ओर से जारी आदेश के अनुसार, यह नीति सोसायटी प्रबंधन द्वारा सूचीबद्ध भवनों को छोड़कर किसी अन्य भवन पर लागू नहीं होगी। मूल आवंटी के बाद अंतिम निवासी, जिसके पक्ष में प्राधिकरण सीधे संपत्ति का पंजीकरण करता है, को प्राधिकरण द्वारा निर्धारित दरों के अनुसार प्रत्येक हस्तांतरण के लिए हस्तांतरण शुल्क और स्टांप शुल्क वहन करना होगा।
निवासियों को एक शपथ पत्र देना होगा कि वे किसी भी आपत्ति के लिए पूरी तरह जिम्मेदार होंगे। 100 रुपये के स्टांप पेपर पर एक क्षतिपूर्ति बांड जमा किया जाएगा, जिसमें यह बताया जाएगा कि निवासी भविष्य में किसी भी बकाया राशि का भुगतान करेगा और अदालत में कोई मुकदमा दायर नहीं करेगा।
हाउसिंग सोसायटी की सूची में मूल सदस्य के बाद अंतिम निवासी को प्राधिकरण द्वारा निर्धारित हस्तांतरण शुल्क का भुगतान करना होगा। यह नीति केवल हाउसिंग सोसायटी के पूरा होने से पहले खरीदे गए मामलों पर लागू होगी। ऐसी सोसाइटियों में खरीदार पावर ऑफ़ अटॉर्नी का इस्तेमाल करके प्रॉपर्टी खरीद और बेच रहे हैं। रजिस्ट्रेशन न होने की वजह से मालिकाना हक नहीं मिल पा रहा है।
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