जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा। कासना क्षेत्र के सिरसा गांव में हुए चर्चित निक्की भाटी हत्याकांड में आरोपित ससुर सतवीर की जमानत अर्जी पर शुक्रवार को सत्र न्यायाधीश अतुल श्रीवास्तव की अदालत में सुनवाई हुई। अदालत ने कहा कि मामले की प्रकृति गंभीर है, इसलिए इस चरण में आरोपित को रिहा करना उचित नहीं होगा। अदालत ने माना कि आरोपित के बाहर होने से गवाहों को प्रभावित करने की आशंका से रहेगी। इसलिए जमानत अर्जी खारिज की जाती है। इससे पहले इसी मामले में आरोपित जेठ रोहित भाटी की जमानत खारिज हो चुकी है। सास दया और पति विपिन की जमानत अर्जी अभी नहीं लगाई गई है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
500 पेज की चार्जशीट दाखिल
घटना में मृतका निक्की भाटी के पति विपिन भाटी, सास दया, ससुर सतवीर और जेठ रोहित भाटी के खिलाफ बहन कंचन ने 22 अगस्त को कासना कोतवाली में मामला दर्ज कराया था। पुलिस ने आरोपितों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। विवेचना पूरी कर पुलिस ने करीब 500 पेज की चार्जशीट दाखिल की थी।
इसमें पति समेत अन्य आरोपितों द्वारा साजिश रचाकर निक्की को जलाकर मारने की बात कही गई है। शुक्रवार को आरोपित पक्ष के अधिवक्ता मनोज माटी ने ससुर सतवीर की जमानत अर्जी दाखिल की।
झूठे आरोप में फंसाने की बात
अदालत के सामने दलील दी कि घटना के समय सतवीर किराने की दुकान पर था। शोर सुनकर बाद में मौके पर पहुंचा। उसने न केवल मृतका को अस्पताल ले जाने में मदद की बल्कि अस्पताल में भी मौजूद रहा, ऐसा सीसीटीवी फुटेज में दिखाता है। मृतका ने अस्पताल में डाॅ. यासिर खान और नर्स कोमल वाजपेयी को बताया था कि खाना बनाते समय सिलिंडर फटने से जली है।
वादी ने भी घटना के बाद निक्की से कहा था ‘निक्की, तूने ये क्या किया?’ वादी ने तत्काल किसी पर आरोप नहीं लगाया था। आरोपित के खिलाफ लगाए आरोप संदिग्ध प्रतीत होते हैं। आरोपित का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है और वह तीन महीने से जेल में है। मामला पारिवारिक रंजिश का है उसे झूठा फंसाया गया है। इसलिए राहत देनी चाहिए।
जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी ब्रह्मजीत सिंह और मृतका के स्वजन के अधिवक्ता दिनेश कल्सन, संतोष बंसल, उधम सिंह तोंगड़ ने कहा कि सतवीर की दुकान घर के नीचे ही है। इसलिए उसका घटनास्थल पर न होना असंभव है। निक्की एक वर्ष पहले पंचायत के माध्यम से ससुराल लौटी थी। पारिवारिक तनाव पहले से था।
आरोपित घटना में प्रत्यक्ष रूप से शामिल है और उसके खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य हैं। आरोप गंभीर प्रकृति के हैं। यदि आरोपित जेल से बाहर आया तो गवाहों को प्रभावित कर सकता है। दोनों पक्ष की दलीलें सुनने के बाद सत्र न्यायाधीश ने पाया कि मृतका की बहन की ओर से स्पष्ट आरोप लगाए गए हैं।
अदालत ने इन बिंदुओं पर किया गौर
विवेचना के दौरान दर्ज गवाहों के बयान, चिकित्सीय रिपोर्ट, प्रथम सूचना के आधार पर आरोपित के खिलाफ लगाए गए आरोप गंभीर प्रकृति के प्रतीत होते हैं। ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता कि आरोपित घटना में संलिप्त नहीं था। आरोपित रिहाई से गवाह प्रभावित कर सकता है। इससे मामले की निष्पक्ष सुनवाई प्रभावित होगी। इन बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए अदालत ने कहा कि जमानत देने के लिए पर्याप्त आधार नहीं है। इसलिए आरोपी की जमानत अर्जी खारिज की जाती है।
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