राज्यसभा सांसद संत बलबीर सिंह सीचेवाल। फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, सुल्तानपुर लोधी (कपूरथला)। संसद के चल रहे शीतकालीन सत्र के दौरान राज्यसभा सदस्य संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने आज सदन में किसानों से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर कई सीधे सवाल उठाए।
उन्होंने सभी फ़सलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) न देने, किसानों की आय दोगुनी करने के वादे, कॉरपोरेट घरानों की तर्ज़ पर किसानों के कर्ज़ माफ़ करने की मांग और किसानों द्वारा की जा रही आत्महत्याओं के रिकॉर्ड तथा उनके कारणों के बारे में केंद्र सरकार से जवाब मांगा। केंद्र की भाजपा सरकार इन सभी प्रश्नों से बचती हुई नज़र आई। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार द्वारा किसानों के लिए किए गए कार्यों की लंबी सूची तो गिनाई, लेकिन संत सीचेवाल द्वारा पूछे गए सीधे सवालों का एक भी ठोस उत्तर नहीं दिया। उन्होंने फसल बीमा योजना, किसानों के खातों में भेजी गई किसान निधि जैसी योजनाओं का ज़िक्र किया, पर मूल प्रश्नों पर चुप्पी साधे रखी।
संत सीचेवाल ने स्पष्ट पूछा था कि क्या केंद्र सरकार किसानों की आत्महत्याओं का कोई रिकॉर्ड रखती है? यदि हां, तो पिछले 15 वर्षों में राज्यों के अनुसार आत्महत्याओं का विवरण प्रस्तुत किया जाए और यह भी बताया जाए कि इसके प्रमुख कारण क्या हैं।
यदि नहीं- तो क्यों नहीं? इतने सीधे सवाल का जवाब देने के बजाय केंद्रीय मंत्री चौहान ने केवल लच्छेदार भाषण दिया और कहा कि आत्महत्याओं के पीछे अन्य कारण भी हो सकते हैं, लेकिन कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी। इसी तरह सभी फ़सलों पर एमएसपी न देने और घोषित एमएसपी तथा मंडियों में होने वाली वास्तविक खरीद के अंतर के बारे में पूछे गए सवालों को भी मंत्री टाल गए।
बातचीत के दौरान संत सीचेवाल ने कहा कि देश का अन्नदाता आज आए दिन सड़कों पर संघर्ष करने के लिए मजबूर है, जबकि किसानों को सड़कों पर नहीं बल्कि खेतों में होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि यदि सदन में किसानों से जुड़े सवालों के संतोषजनक उत्तर मिलते, तो देश के किसानों का हौसला बढ़ता कि सरकार उनकी मांगों और भविष्य को लेकर गंभीर है। लेकिन कृषि मंत्री के जवाब से किसानों में निराशा ही फैली है, जिसने यह साबित कर दिया कि केंद्र सरकार किसानों को लेकर कितनी गंभीर है।
पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी उठा चुके हैं सवाल
उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष देश के पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी एक कार्यक्रम के दौरान किसानों के पक्ष में खुलकर बात की थी। उन्होंने कृषि मंत्री से सवाल करते हुए कहा था कि जब भारत का प्रधानमंत्री आज विश्व के शीर्ष नेताओं में गिना जाता है, तो फिर मेरा किसान दुखी और चिंतित क्यों है?
यह बहुत गंभीर मुद्दा है, जिस पर हम गंभीर नहीं हैं और हमारी नीति निर्माण प्रक्रिया सही दिशा में नहीं है। उन्होंने यह भी कहा था कि “विकसित भारत का रास्ता किसानों के खेतों से होकर गुजरता है। |