साढ़े चार महीने में 3.57 लाख श्रद्धालु...म्यांमार से कोरिया तक के पर्यटक पहुंचे, क्या खास है इस नए बुद्ध स्मृति स्तूप में?

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बुद्ध स्मृति स्तूप



जागरण संवाददाता, वैशाली। भगवान बुद्ध के पवित्र स्मृति अवशेषों को समर्पित वैशाली का नवनिर्मित बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय एवं स्मृति स्तूप अल्प समय में ही देश-विदेश के पर्यटकों और बौद्ध अनुयायियों के बीच विशेष आकर्षण का केंद्र बन गया है। उद्घाटन के महज साढ़े चार महीने के भीतर यहां 3 लाख 57 हजार से अधिक पर्यटकों ने दर्शन किया है। इनमें बड़ी संख्या में बौद्ध श्रद्धालु, छात्र-छात्राएं, शैक्षणिक भ्रमण पर आए स्कूली बच्चे और संगठित टूरिस्ट ग्रुप शामिल हैं। यह जानकारी राज्य के कला एवं संस्कृति विभाग की ओर से साझा की गई है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

विभाग के अनुसार स्मृति स्तूप के दर्शन के लिए निशुल्क ऑनलाइन बुकिंग की व्यवस्था की गई है, जिससे श्रद्धालुओं को सुविधा मिल रही है और आगंतुकों की संख्या लगातार बढ़ रही है।

खास बात यह है कि यह स्तूप अब सिर्फ धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पर्यटन का भी प्रमुख केंद्र बनकर उभरा है।
कई देशों से पहुंच रहे हैं पर्यटक

वैशाली स्थित इस भव्य स्मृति स्तूप के दर्शन के लिए म्यांमार, वियतनाम, सिंगापुर, अल्जीरिया, मलेशिया, दक्षिण कोरिया, थाईलैंड, अल्बानिया, नेपाल और अफगानिस्तान समेत दर्जनों देशों से पर्यटक पहुंच रहे हैं।

विदेशी बौद्ध अनुयायियों के साथ-साथ देश के विभिन्न राज्यों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आ रहे हैं। लगातार बढ़ती अंतरराष्ट्रीय आवक ने वैशाली को एक बार फिर वैश्विक बौद्ध मानचित्र पर प्रमुख स्थान दिलाया है।
मुख्यमंत्री ने किया था उद्घाटन

बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय और स्मृति स्तूप का उद्घाटन इसी वर्ष 29 जुलाई को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया था। लगभग 72 एकड़ क्षेत्र में फैला यह विशाल परिसर पूरी तरह बलुआ पत्थरों से निर्मित है।

स्तूप के निर्माण में कुल 42,373 बलुआ पत्थरों का उपयोग किया गया है। इसकी संरचना को भूकंप-रोधी बनाने के लिए आधुनिक तकनीकों का सहारा लिया गया है, ताकि यह स्मारक हजारों वर्षों तक सुरक्षित रह सके।
और निखरेगा परिसर

इस संबंध में भवन निर्माण विभाग के सचिव कुमार रवि ने बताया कि स्मृति स्तूप की भव्यता पर्यटकों को खासा आकर्षित कर रही है। परिसर को और अधिक सुंदर एवं आकर्षक बनाने का कार्य जारी है।

उन्होंने बताया कि आठ ऑस्पीशियस सिंबल, तारा मुद्रा प्रदर्श, लिच्छवि प्रदर्श का अधिष्ठापन किया जा चुका है। इसके साथ ही स्कल्पचर कार्य, अशोकन पीलर प्रदर्श सहित अन्य निर्माण और प्रदर्शनी कार्य तेजी से पूरे किए जा रहे हैं।संग्रहालय के भीतर भी प्रदर्श कार्य प्रगति पर है।

लगातार बढ़ती भीड़ और अंतरराष्ट्रीय पहचान के बीच यह स्मृति स्तूप वैशाली को बौद्ध पर्यटन का नया केंद्र बना रहा है।
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