बेस अस्पताल में हर महीने आ रहे है तीन मामले। प्रतीकात्मक
संस, जागरण, अल्मोड़ा। पहाड़ी क्षेत्रों में नवजात शिशुओं में कंजेनिटल हार्ट डिजीज (जन्मजात हृदय रोग) के मामले सामने आ रहे हैं। बीते एक वर्ष में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) की रिपोर्ट के अनुसार जिले में 10 से अधिक शिशुओं में जन्मजात हृदय में छेद (सीएचडी) की पुष्टि हुई है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार जन्मजात हृदय रोग कई प्रकार के होते हैं। कुछ मामलों में हृदय में हल्के छेद होते हैं, जबकि कुछ शिशुओं में यह समस्या गंभीर होती है। गंभीर मामलों में शिशु को तत्काल सर्जरी की आवश्यकता पड़ती है, अन्यथा जान का खतरा भी हो सकता है।
बेस अस्पताल के बाल रोग विभागाध्यक्ष डॉ. अमित कुमार सिंह ने बताया कि हृदय में छेद एक जन्मजात दोष है, जिसमें शिशु का हृदय पूरी तरह विकसित नहीं हो पाता। इसके लक्षणों में सांस लेने में कठिनाई, अत्यधिक नींद आना, त्वचा, होंठ और नाखूनों का नीला पड़ना प्रमुख हैं।
हर माह सामने आ रहे तीन नए मामले
अल्मोड़ा: कुमाऊं क्षेत्र के अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज से प्राप्त जानकारी के अनुसार औसतन हर माह हृदय में छेद के लगभग तीन शिशुओं का जन्म हो रहा है। सभी नवजातों की पल्स ऑक्सीमीटर से स्क्रीनिंग की जाती है। किसी भी प्रकार की गड़बड़ी के संकेत मिलने पर इको जांच कराकर बीमारी की पुष्टि की जाती है।
हृदय में छेद के प्रमुख कारण
विशेषज्ञों के अनुसार शिशुओं में जन्मजात हृदय रोग के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं। गर्भावस्था के दौरान वायरल संक्रमण, आनुवंशिक कारण, गर्भवती महिला में मधुमेह, समय से पहले जन्म (प्री-मेच्योर शिशु) आदि शामिल है।
“जन्मजात हृदय में छेद के मामलों में जागरूकता बेहद जरूरी है। ऐसे शिशुओं को विशेष देखरेख और समय पर उपचार की आवश्यकता होती है।” - नवीन चंद्र तिवारी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, अल्मोड़ा
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