आम की फसल। फाइल
संवाद सहयोगी, जागरण. कासगंज। केवीके कृषि वैज्ञानिक ने आम के बागानों को सलाह दी है कि वह अभी से आम के बागानों में प्रबंधन करें। दिसंबर माह में प्रबंधन अच्छे कर लिया तो आम के पेड़ों पर फल अधिक लगेंगे। प्रबंधन के लिए सिंचाई, कटाई छटाई, रसायन प्रबंधन, कीट व रोग प्रबंधन के लिए विस्तृत एडवाइजरी दी है। जिससे बौर अधिक आएगा और फसल भी अच्छी होगी।आम के बाग में दिसंबर में किया गया प्रबंधन ही निर्धारित करेगा की पेड़ पर कितने फल लगेंगे तथा उनकी गुणवत्ता कैसी होगी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
दिसंबर में आम के बागों की न करें सिंचाई
आम के बागों के लिए दिसंबर का महीना बहुत महत्वपूर्ण रहता है। इस समय का उचित प्रबंधन आने वाली फसल में अधिकतम पुष्पन (फूल आने) और उत्पादन सुनिश्चित करने में सहायक होता है। आम के बाग के लिए दिसंबर माह में सिंचाई पूरी तरह बंद कर दें, क्योंकि इससे पेड़ों में पुष्पन के लिए आवश्यक तनाव उत्पन्न होता है। दिसंबर के महीने में नाइट्रोजन का उपयोग बिलकुल भी न करें, क्योंकि यह नई पत्तियों के विकास को बढ़ावा देता है और पुष्पन में बाधा उत्पन्न करता है।
आम की फसल के प्रबंधन के कृषि वैज्ञानिक ने बताए उपाय
पेड़ों की सूखी, रोगग्रस्त और अवांछित शाखाओं की कटाई-छटाई करें। छंटाई से बाग में प्रकाश और वायु संचार बेहतर होगा। आम केपेड़ों पर फूलों के आने में एवं फूल आने के बाद झड़ने से रोकने के लिए पोटेशियम नाइट्रेट (एक प्रतिशित) का छिड़काव करें।प्लानोफिक्स, एक मिली प्रति तीन लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
दिसंबर में दिखते हैं ये रोग
दिसंबर में आम के पेड़ों में डाई-बैक रोग के लक्षण अधिक दिखाई देते हैं। जहां तक टहनी सुख गई है, उसके आगे 5-10 सेमी हरे हिस्से तक टहनी की कटाई-छंटाई करके उसी दिन कापर आक्सीक्लोराइड (तीन ग्राम प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करें तथा 10-15 दिन के अंतराल पर एक छिड़काव पुनः करें। कीटों जैसे बोरर और एफिड के प्रबंधन के लिए क्लोरपायरीफास दो मिली/लीटर पानी का छिड़काव करें। हल्की जुताई करें और बाग से खरपतवार निकाल दें। जिससे मिज कीट, फल मक्खी, गुजिया कीट एव जाले वाले कीट की अवस्थाएं नष्ट हो जाएंगे।
दिसंबर का महीना आम के बागों के लिए सबसे महत्वपूर्ण चरणों में से एक है। उचित प्रबंधन से न केवल पुष्पन बढ़ाया जा सकता है, बल्कि अगले वर्ष की फसल की गुणवत्ता और मात्रा भी सुनिश्चित की जा सकती है। - डॉ. अंकित सिंह भदौरिया, कृषि वैज्ञानिक (उद्यानिकी) केवीके। |