कुणाल खेमू ने निभाया सिंगल पिता का रोल
एकता गुप्ता, नई दिल्ली। बॉलीवुड, समाज के कई स्टीरियोटाइप तोड़ने में हमेशा से मुखर रहा है, जेंडर इक्वेलिटी से लेकर फेमिनिज्म, रेसिज्म से लेकर इंटरकास्ट मैरिज तक बॉलीवुड ने फिल्मों के जरिए कई मुद्दों को उठाया है। अब एक और सीरीज आई है जिसमें समाज के एक और बड़े स्टीरियोटाइप को तोड़ने की कोशिश की है और वो स्टीरियोटाइप है कि बच्चे की परवरिश सिर्फ मां ही अच्छे से कर सकती है। 2025 में मडगांव एक्सप्रेस के बाद कुणाल खेमू एक जबरदस्त विषय पर बनी सीरीज लेकर आए हैं जिसका नाम है- सिंगल पापा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
वेब सीरीज- सिंगल पापा (Single Papa)
कलाकार- कुणाल खेमू, मनोज पाहवा, आयशा रजा, प्राजक्ता कोली, नेहा धूपिता, ईशा तलवार, दयानंद शेट्टी
डायरेक्टर- शशांक खेतान, हितेश केवल्या, नीरज उधवानी
रिलीज डेट- 12 दिंसबर 2025
रेटिंग- 3/5
क्या है सीरीज की कहानी?
सिंगल पापा, जैसा की टाइटल से पता चलता है कि यह कहानी एक ऐसे पिता की है जो अकेले बच्चे की परवरिश करता है। कुणाल के किरदार का नाम गौरव है जो अपनी छोटी सी फैमिली के साथ रहता है जिसमें उसके माता-पिता (आयशा रजा और मनोज पाहवा) और बहन (प्राजक्ता कोली) रहती है। हालांकि गौरव की वाइफ भी होती है लेकिन दोनों तलाक ले लेते हैं और इसके पीछे का कारण है गौरव की पिता बनने की इच्छा होना।
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गौरव चाहता है कि उसका एक बच्चा हो लेकिन पत्नी के ना चाहने की वजह से उनका तलाक हो जाता है। जिसके बाद गौरव को अपनी ही कार में एक बच्चा अमूल के बॉक्स में मिलता है जिसे देखकर वह चौंक जाता है लेकिन खुश भी होता है क्योंकि उसे लगता है कि भगवान ने यह बच्चा उसी के लिए भेजा है। बस तभी से वह बच्चे को अडॉप्ट करने की जद्दोजहद में लग जाता है लेकिन उसकी इस कोशिश में मिसेज नेहरा के रोल में नेहा धूपिया बाधा बनती है जो कि बिल्कुल नहीं चाहती कि गौरव इस बच्चे के पिता बने, क्योंकि वह उसे लापरवाह और गैर जिम्मेदार समझती है। अब इस नोंकझोंक में बच्चा गौरव को मिलता है या नहीं और अगर मिलता भी है तो क्या गौरव सिंगल पिता की जिम्मेदारी अच्छे से निभाता पाता है यह जानने के लिए सीरीज देखनी होगी।
सिंगल पापा रिव्यू
1.सिंगल पापा एक ऐसी कहानी है जो हमारे आस-पास बहुत कम परिवारों में होती है लेकिन- सिंगल फादर का होना। ऐसा इसलिए क्योंकि समाज में कई सालों से यही स्टीरियोटाइप रहा है कि एक मां के बिना बच्चे की परवरिश नहीं की जा सकती, हालांकि कुछ हद तक यह सच भी है क्योंकि लड़कों की परवरिश ही इस तरह की जाती है कि वे बड़े होकर इसे एक जिम्मेदारी के तौर पर नहीं ले पाते। हालांकि ये सीरीज इन दोनों ही मुद्दों को खुलकर उठाती है। सीरीज का सब्जेक्ट यूनिक और हटकर है।
2. कुमाल खेमू का किरदार एक ऐसे लड़के का है जिसे बचपन से लेकर बड़े होने तक घर का कोई काम नहीं करना पड़ा। खाने से लेकर कपड़े तक सबकुछ तैयार उसके हाथों में परोसा गया, लेकिन बड़े होने और शादी होने के बाद उसके मन में पिता बनने की इच्छा जगी जो उसके तलाक का कारण भी बनी। हालांकि तलाक होने के बावजूद कुणाल के किरदार की पिता की बनने की इच्छा कम नहीं हुई।
3. इस कहानी में कुणाल के किरदार यानि गौरव की एक सिंगल पिता बनने और उसमें होने वाली जद्दोजहद को बड़ी ही हल्की फुल्की कहानी में दिखाया गया है। समाज के इस बड़े स्टीरियोटाइप को मेकर्स ने बड़ी ही आसानी से कॉमेडी और ड्रामा के धागे में पिरोया है।
4. कुणाल खेमू कम ही प्रोजेक्ट्स पर काम करते है लेकिन उनके ये प्रोजेक्ट्स कुछ हटकर भी होते हैं। इस सीरीज में उन्होंने अच्छी एक्टिंग की है। कॉमिक टाइमिंग के साथ-साथ कुणाल की इमोशनल एक्टिंग भी जबरदस्त रही। वहीं मनोज पाहवा, आयशा रजा और प्राजक्ता कोली ने भी एक मिडिल क्लास परिवार के किरदारों को अच्छी तरह निभाया। नेहा धूपिया का मिसेज नेहरा किरदार एक अनाथालय की मैनेजर के रूप में इंप्रेसिव रहा। वहीं दयानंद शेट्टी ने मेल नैनी के किरदार में भरपूर इमोशन डाले।
कहां रह गई कमी
1. सीरीज का कॉन्सेप्ट और सब्जेक्ट यूनिक है लेकिन कही-कहीं पर यह काफी ड्रामेटिक हो जाती है। गौरव का हर सिचुएशन में झूठ बोलना थोड़ा अनरियलिस्टिक लगता है।
2. कहानी में बच्चे का कोई बैकग्राउंड नहीं है, सीधा कार में बच्चा मिलना असलियत से काफी दूर लगता है। अगर बैकग्राउंड में कुछ होता तो कहानी में थोड़ा और इमोशन जुड़ सकता था।
3. म्यूजिक और डायरेक्शन थोड़ा और बेहतर हो सकता था।
देखें या नहीं?
वीकेंड पर कुछ हल्का फुल्का, कॉमेडी और ड्रामा से भरपूर यूनिक और हटकर कंटेंट देखना चाहते हैं तो ये सीरीज आपके लिए है।
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