क्राइम लिटरेचर फेस्टिवल में सत्र के दौरान पूर्व एसीपी व लेखक मधुकर झेंडे के समक्ष विचार रखते उत्तराखंड के पूर्व डीजीपी अशोक कुमार। जागरण
जागरण संवाददाता, देहरादून: क्राइम लिटरेचर फेस्टिवल में राष्ट्रीय सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करता सत्र \“डिस्मैंटलिंग टेरर नेटवर्क्स: लेसंस फ्राम रेड फोर्ट\“ सबसे अहम रहा। उत्तराखंड के पूर्व डीजीपी अशोक कुमार, सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल एके सिंह और सेवानिवृत्त कर्नल सुनील कोटनाला ने शम्स ताहिर खान के मार्गदर्शन में आतंकवाद रोधी रणनीतियों और खुफिया समन्वय पर चर्चा की। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
पूर्व डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि कश्मीर की समस्या की जड़ सीमा पार है। पाकिस्तान चुप बैठने वाला नहीं है, इसलिए हमें निरंतर सतर्क रहना होगा। केवल खुफिया जानकारी पर्याप्त नहीं है।
आतंकवाद से लड़ने के लिए ठोस कार्रवाई और अडिग इच्छाशक्ति की आवश्यकता है, ताकि जुल्म और जिहाद दोनों का सामना किया जा सके। उन्होंने कहा कि राज्य पुलिस अक्सर प्रतिस्पर्धा और सुरक्षा कारणों से जानकारी साझा नहीं करती, जबकि आधुनिक युद्ध में ड्रोन, साइबर हमले और जमीन पर संचालन का मिश्रण होता है।
लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार सिंह ने हमलों को रोकने में खुफिया जानकारी की अहमियत और स्वदेशी तकनीक के उपयोग की आवश्यकता पर जोर दिया। कर्नल सुनील कोटनाला ने बताया कि आतंकवादी मोबाइल आधारित कट्टरपंथ का उपयोग करते हैं, जिससे शहरी आतंकवाद के खिलाफ अभियान जटिल और आम नागरिकों के लिए जोखिमपूर्ण हो जाते हैं।
अपराध कथा तभी प्रभावशील जब लेखक अपराधियों की मानसिकता समझेंगे
समानांतर सत्रों में \“सिंस, सीक्रेट्स एंड सुपरहेरोएस\“ में रंजन सेन ने कहा कि अपराध कथा तभी प्रभावशाली होती है जब लेखक अपराधियों की मानसिकता को समझते हैं। विनय कंचन ने कानून और न्याय के बीच के ग्रे स्पेस को मजबूत कहानी कहने की जगह बताया। सुहैल माथुर ने बताया कि अपराध और नैतिक अस्पष्टता प्राचीन पौराणिक कथाओं में भी विद्यमान रही हैं।
इंटरनेट मीडिया व डेटिंग एप में छिपी कमजोरियों के खतरे के बारे में चेताया
\“डेंजर इन द डीएमएस\“ में अनिर्बन भट्टाचार्य ने इंटरनेट मीडिया और डेटिंग एप में छिपी कमजोरियों के खतरे के बारे में चेताया, जबकि जुपिंदरजीत सिंह ने कहा कि भारत में प्राकृतिक न्याय की तलाश अक्सर कानूनी प्रक्रिया से ऊपर होती है। गैर-कथा अपराध लेखन भावनात्मक रूप से चुनौतीपूर्ण और टीवी की ग्लैमर से बहुत दूर है।
वहीं \“इटारसी एक्सप्रेस-अ राइड थ्रू मिस्ट्री\“ सत्र में लेखक विवेक दुग्गल ने कहा कि उनकी कहानियां वास्तविक घटनाओं और कल्पना का मिश्रण होती हैं, जिससे पाठक हर भावना को महसूस करें और पूरी कहानी में जुड़े रहें।
क्रिकेट में भ्रष्टाचार व स्पाट फिक्सिंग के मामलों पर की चर्चा
दूसरे सत्रों में \“दिल्ली डिस्को: मिस्चेफ, मर्डर एंड मेहम आन द डांस फ्लोर\“ में लेखक शिखर गोयल और सुप्रिया चंदोक शामिल हुए। \“क्राइम, पावर व पब्लिक ट्रस्ट\“ में पूर्व दिल्ली पुलिस आयुक्त नीरज कुमार ने पुलिसिंग, साइबर अपराध, आतंकवाद और कानूनी सुधारों पर महत्वपूर्ण दृष्टिकोण साझा किए।
उन्होंने निर्भया मामला, 1993 मुंबई ब्लास्ट, दाऊद इब्राहिम की जांच और क्रिकेट में भ्रष्टाचार और स्पाट फिक्सिंग के बढ़ते मामलों पर खुलकर बात की। इसके बाद \“द लाइर अमंग अस\“ में कहानीकार विशाल पाल ने प्रियाक्षी राजगुरु गोस्वामी के साथ बातचीत की और जुपिंदरजीत सिंह द्वारा क्राइम रिपोर्टिंग पर आयोजित कार्यशाला में दर्शकों को विभिन्न दृष्टिकोणों से जुड़ने का मौका मिला। |