दिल्ली पुलिस के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर लाइव स्ट्रीम के जरिए जागरूकता अभियान में शामिल वरिष्ठ नागरिक।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। साइबर धोखाधड़ी एक गंभीर और तेजी से बढ़ती समस्या बन चुकी है। जालसाज फर्जी काल, लिंक, ई-मेल और इंटरनेट मीडिया के जरिए लोगों की निजी जानकारी और बैंक विवरण हासिल कर ठगी कर रहे हैं। डिजिटल अरेस्ट, केवाईसी अपडेट, लोन और इनाम के नाम पर लोगों को भ्रमित किया जाता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इनमें सबसे अधिक बुजुर्ग और कम तकनीकी ज्ञान वाले लोगों को शिकार बनाया जा रहा है। इससे न केवल आर्थिक नुकसान होता है, बल्कि मानसिक तनाव भी बढ़ रहा है।
वरिष्ठ नागरिकों के लिए चलाया जागरूकता सेशन
इसी गंभीर समस्या को देखते हुए दिल्ली पुलिस पीआरओ ब्रांच ने इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस (आइएफएसओ), महिलाओं और बच्चों के लिए विशेष पुलिस इकाई (एसपीयूडब्ल्यूएसी) और दिल्ली के सभी पुलिस जिलों के साथ मिलकर रविवार को वरिष्ठ नागरिकों के लिए डिजिटल अरेस्ट के मुद्दे पर एक व्यापक साइबर क्राइम जागरूकता सेशन आयोजित किया।
यह कार्यक्रम दिल्ली के सभी पुलिस स्टेशनों के साथ-साथ सीनियर सिटिजन्स सेल, एसपीयूडब्ल्यूएसी यूनिट में एक साथ आयोजित किया गया।
लाइव स्ट्रीम किया गया सत्र
कार्यक्रम के दौरान साइबर सुरक्षा जागरूकता पर एक जानकारी भरा चर्चा सत्र आइएफएसओ के एसीपी मनोज कुमार और एसीपी, पीआरओ रंजय अत्रिश्या द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित हुआ। यह सत्र दिल्ली पुलिस के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर लाइव स्ट्रीम किया गया था। इस दौरान सभी पुलिस स्टेशनों और यूनिट्स में 250 स्क्रीन के साथ विशेष व्यवस्था थी। सत्र में हजारों की संख्या में प्रतिभागी जुड़े रहे।
सत्र में मौजूद वरिष्ठ नागरिकों को डिजिटल अरेस्ट के बारे में जागरूकता पर फोकस करने वाले खास तौर पर डिजाइन किए गए एजुकेशनल पैम्फलेट दिए गए। इसके अलावा, वेन्यू पर साइबर सेफ्टी पर स्टैंडी और पोस्टर लगाए गए थे और लाइव स्ट्रीम शुरू होने से पहले साइबर सेफ्टी जागरूकता के शार्ट वीडियो दिखाए गए।
लाइव स्ट्रीम किए गए संयुक्त डिस्कशन सेशन के दौरान वरिष्ठ नागरिकों को डिजिटल दुनिया और फिजिकल दुनिया के बीच के अंतर के बारे में बताया गया और कैसे साइबर अपराधी इस अंतर का फायदा उठाकर लोगों को निशाना बनाते हैं।
प्रतिभागियों को को साइबर अपराधियों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली उन तरकीबों के बारे में भी बताया गया जिनसे वे झूठे \“डिजिटल अरेस्ट\“ के हालात बनाते हैं। उन्हें एनफोर्समेंट एजेंसियों के नकली नोटिस के बारे में भी जागरूक किया गया, जिनका इस्तेमाल अपराधी आमतौर पर डराने-धमकाने के लिए करते हैं। आपराधिक न्याय प्रणाली में डिजिटल अरेस्ट जैसा कोई कान्सेप्ट नहीं
संदिग्ध कॉल से सावधान रहने की सलाह
वरिष्ठ नागरिकों को सलाह दी गई कि कोई भी संदिग्ध काल या मैसेज मिलने पर, वे शांत रहें, कोई भी निजी या फाइनेंशियल जानकारी शेयर न करें, अकेले न रहें बल्कि परिवार के सदस्यों से सलाह लें, संदिग्ध बातचीत के स्क्रीनशाट लें या सबूत संभाल कर रखें और घटना की जानकारी तुरंत सही अधिकारियों को दें।
साइबर क्राइम की रिपोर्ट करने का तरीका भी विस्तार से समझाया गया। यह दोहराया गया कि आपराधिक न्याय प्रणाली में \“डिजिटल अरेस्ट\“ जैसा कोई कान्सेप्ट नहीं है और प्रतिभागियों को हमेशा \“रुकें, सोचें और काम करें\“ के सिद्धांत को याद रखने और उस पर अमल करने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
जामा मस्जिद थाने में आयोजित सत्र में शामिल होकर पुलिस अधिकारियों द्वारा दी गई महत्वपूर्ण जानकारियों को बारीकी से समझने का मौका मिला। ऐसे सत्र समय-समय पर आयाेजित होने की आवश्यकता है ताकि कोई भी साइबर अपराधियों के झांसे में न आए। -
हाजी मोहम्मद नईम, स्थानीय निवासी
आए दिन जालसाजों द्वारा की गई ठगी की खबरें सुनकर डर सताता रहता है। नए नए तरीकों से जालसाज लोगों को डराकर उनके बैंक अकाउंट खाली कर रहे हैं। ऐसे में इस तरह के सत्र से काफी कुछ सीखने का मौका मिला। खासकर पता चला कि डिजिटल अरेस्ट जैसा आपराधिक न्याय प्रणाली में कोई कान्सेप्ट ही नहीं है। -
हस्नैन अखतर, स्थानीय निवासी |