महाराणा प्रताप चौक से कोहरे के बीच गुजरते वाहन।
जागरण संवाददाता, बांदा। न्यूनतम तापमान में पिछले दो दिनों से गिरावट आई है। दिन की अपेक्षा रात का तापमान आधे से भी कम पर पहुंच गया है। रात में घरों से बाहर निकलने पर हवा से गलन का एहसास हो रहा है। वहीं मुख्यालय के चौराहों व सार्वजनिक स्थलों पर अलाव की व्यवस्था नहीं दिख रही है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
रात में कोहरा बढ़ने से सीधा असर ट्रेनों पर पड़ा है। यहां से गुजरने वाली एक्सप्रेस ट्रेनें तीन घंटे से ज्यादा समय तक विलंब से चल रही हैं। यात्रियों को रेलवे प्लेटफार्म पर सर्दी में ट्रेनों का इंतजार करना पड़ रहा है।
रविवार को अधिकतम तापमान 23 व न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। जो शनिवार रात नौ डिग्री सेल्सियस से एक डिग्री अधिक दर्ज किया गया। रविवार सुबह घना कोहरा छाया रहा। 10 मीटर दूरी से आ रहे वाहन नजर नहीं आ रहे थे।
वाहनों की लाइटें जुगनू की तरह जलती दिखी। करीब साढ़े दस बजे के बाद धूप खिली, जिससे लोगों को थोड़ी राहत मिली, लेकिन शाम होते-होते तापमान में गिरावट से ठिठुरन बढ़ गई। आवागमन में बाइक चालकों को सर्दी से परेशानियों का सामना करना पड़ा।
सर्दी से राहत पाने के लिए कचहरी चौराहे, महाराणा प्रताप चौक, कालू कुआं चौराहा, स्टेशन रोड पर चाय की दुकानों में लोगों की भीड़ दिखी। नगर के विभिन्न सार्वजनिक स्थानों पर अलाव न जलने से लोग ठिठुरते रहे। वह गंतव्य को पहुंचने के लिए वाहनों के इंतजार में सर्दी से बचने की कोशिश में लगे रहे।
रोडवेज बस स्टैंड व स्टेशन में अलाव न जलने से यात्रियों को खासी परेशानी हुई। कानपुर के रंजीत सिंह व शहर के ब्रजेश कुमार, बिंदेश कुमार का कहना है कि दिसंबर माह शुरू हो गया लेकिन प्रशासन मौन है।
कस्बों के चौराहों एवं सार्वजनिक स्थानों पर सुबह-शाम अलाव जलने चाहिए। नगर पालिका ईओ श्रीचंद्र चौधरी ने बताया कि अभी पांच स्थानों पर अलाव जलाए जा रहे हैं। अब सर्दी बढ़ी है, स्थानों को चिह्नित कर अलाव के स्थान बढ़ाए गए हैं।
मौसम विज्ञानी दिनेश शाहा ने बताया कि आगे तापमान में और अधिक गिरावट आएगी। जिले का अधिकतम 23 व न्यूनतम 10 डिग्री सेल्सियस तापमान रहा।
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विलंब से आईं ट्रेनें
रेलवे स्टेशन में बुंदेलखंड एक्सप्रेस, संपर्क क्रांति, चित्रकूट एक्सप्रेस समेत मेमो व पैसेंजर ट्रेनें करीब दो से ढाई घंटे की देरी से आईं। इस दौरान यात्रियों को सर्दी में खासी परेशानी हुई। ट्रेन आने के इंतजार में ठिठुरते रहे। |