नैपकान 2025: फेफड़ों की गंभीर बीमारियों के कारणों, समय पर पहचान और आधुनिक इलाज पर मंथन

Chikheang Yesterday 15:37 views 471
  

दीर्घकालिक खांसी पर विशेष चर्चा



जागरण संवाददाता, पटना। फेफड़ों से जुड़ी बीमारियां अब केवल इलाज तक सीमित समस्या नहीं रहीं, बल्कि यह एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती बनती जा रही हैं। वायु प्रदूषण, धूम्रपान, वेपिंग, तंबाकू सेवन, असुरक्षित कार्यस्थल और बदलती जीवनशैली फेफड़ों की बीमारियों के प्रमुख कारण बन चुके हैं। यह बातें पटना के ज्ञान भवन में तीन दिनों तक चले सांस संबंधी रोगों के वैज्ञानिक सम्मेलन नैपकान 2025 के समापन सत्र में रविवार को विशेषज्ञों ने कहीं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

सम्मेलन के अंतिम दिन फेफड़ों की बीमारियों की समय पर पहचान, उनके बढ़ते कारणों और आधुनिक उपचार तकनीकों पर विस्तार से चर्चा की गई।

सम्मेलन सचिव डा. सुधीर कुमार ने बताया कि नैपकान का मुख्य उद्देश्य चिकित्सकों को नवीन शोध, तकनीकों और उपचार पद्धतियों से अवगत कराना है, ताकि वे जमीनी स्तर पर रोगियों को बेहतर इलाज और प्रबंधन उपलब्ध करा सकें।

उन्होंने कहा कि पल्मोनरी हाइपरटेंशन और पल्मोनरी एम्बोलिज़्म जैसी जानलेवा बीमारियों की देर से पहचान मरीजों के लिए घातक साबित हो सकती है, जबकि समय पर जांच और इलाज से कई जिंदगियां बचाई जा सकती हैं।

नोएडा से आए डा. प्रणय विनोद ने अस्थमा प्रबंधन पर जोर देते हुए कहा कि अस्थमा नियंत्रण के लिए सही इनहेलर तकनीक, नियमित फॉलो-अप और मरीजों को बीमारी के प्रति शिक्षित करना बेहद जरूरी है।

वहीं डा. कुमार अभिषेक और डा. राजीव रंजन ने बताया कि फेफड़ों के अल्ट्रासाउंड और प्वाइंट-ऑफ-केयर जांच जैसी आधुनिक तकनीकों से गंभीर मरीजों में त्वरित और सटीक चिकित्सकीय निर्णय लेना संभव हो सका है।

वैज्ञानिक सत्रों में डा. उदय कुमार, डा. विजय कुमार, डा. अभय कुमार, डा. पवन अग्रवाल और डा. आशीष सिन्हा ने अपने-अपने विषयों पर क्लिनिकल अनुभव साझा किए और जटिल मामलों में अपनाई गई नई उपचार रणनीतियों की जानकारी दी।
दीर्घकालिक खांसी पर विशेष चर्चा

सम्मेलन में क्रॉनिक खांसी पर केंद्रित सत्रों में विशेषज्ञों ने चेतावनी दी कि लंबे समय तक बनी रहने वाली खांसी को हल्के में लेना खतरनाक हो सकता है।

डा. एके जनमेजा सहित अन्य विशेषज्ञों ने बताया कि धूम्रपान, वेपिंग, तंबाकू और शराब का सेवन श्वसन नलिकाओं को स्थायी रूप से नुकसान पहुंचाता है, जिससे सीओपीडी, अस्थमा और फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।

उन्होंने दवाओं के साथ पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन, योग और श्वसन व्यायाम को भी उपचार का अहम हिस्सा बताया।

लखनऊ से आए डा. सूर्य कांत ने कहा कि धूल, रसायन और प्रदूषित हवा के लंबे संपर्क से टीबी, संक्रमण और ऑटोइम्यून रोगों का जोखिम बढ़ जाता है।

सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन, वायु गुणवत्ता और माइक्रोप्लास्टिक जैसे उभरते खतरों को भी फेफड़ों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर चुनौती बताया गया। समापन सत्र में विशेषज्ञों ने फेफड़ों की बीमारियों पर निरंतर शोध, जागरूकता और आधुनिक इलाज को आमजन तक पहुंचाने का संकल्प लिया।
like (0)
ChikheangForum Veteran

Post a reply

loginto write comments
Chikheang

He hasn't introduced himself yet.

410K

Threads

0

Posts

1310K

Credits

Forum Veteran

Credits
139470

Get jili slot free 100 online Gambling and more profitable chanced casino at www.deltin51.com, Of particular note is that we've prepared 100 free Lucky Slots games for new users, giving you the opportunity to experience the thrill of the slot machine world and feel a certain level of risk. Click on the content at the top of the forum to play these free slot games; they're simple and easy to learn, ensuring you can quickly get started and fully enjoy the fun. We also have a free roulette wheel with a value of 200 for inviting friends.