अब जागरूक होने लगे आदिवासी। फोटो जागरण
डॉ. प्रणेश, साहिबगंज। जिले में बांग्लादेशी घुसपैठ की बात वर्षों से उठती रही है। घुसपैठिए आदिवासियों लड़कियों से शादी कर लेते हैं और उनके नाम से आदिवासी जमीन की खरीद कर अपना घर बना लेते हैं।
महिलाओं को आरक्षित सीटों से चुनाव लड़ाकर उनको मिले अधिकारों का भी प्रयोग करते है। कुछ जगह पर यह काम गैर आदिवासी करते हैं। आदिवासियों में जागरूकता की कमी से इस तरह की घटनाएं लगातार बढ़ रही है। इसे देखते हुए आदिवासी समाज के कुछ बुद्धिजीवी लगातार जागरूकता अभियान भी चला रहे हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
जिले में इसका अब सकारात्मक प्रभाव दिखने लगा है। कई जगह लोग इस प्रकार जमीन के कब्जे का विरोध करने लगे हैं। दो दिन पूर्व के मुकेश सोरेन की अगुवाई में संगठन से जुड़े सदस्यों ने सकरीगली, छोटी भगियामारी, संताली टोला, मुस्लिम टोला, बिंद टोला महलदार टोला सहित अन्य गांवों में नगाड़ा बजाकर लोगों को जागरूक किया।
इस क्रम में कई लोगों ने गैर आदिवासी के हाथ अपनी जमीन न बेचने की बात कही। बैसी ने तालझारी थाने में आवेदन देकर इस तरह की गतिविधियों पर रोक लगाने का अनुरोध किया है। अब ग्रामीण उपायुक्त से मिलने की तैयारी कर रहे हैं।
हजारों एकड़ आदिवासी जमीन पर कब्जा
पूरे जिले में बड़े पैमाने पर आदिवासियों की जमीन पर कब्जा किया जा रहा है। मोतीझरना में आदिवासी जमीन पर मुस्लिमों ने पूरी बस्ती बसा ली है। पिछले दिनों दैनिक जागरण में इस संबंध में खबर प्रकाशित हुई जिसके बाद कुछ दिनों तक वहां कोई गतिविधि नहीं हुई लेकिन अब पुन: वहां आवास का निर्माण हो रहा है।
जिला मुख्यालय के पास जिलेबिया घाटी में पहाड़िया समुदाय की जमीन पर कई जगह पक्का निर्माण कराया जा रहा है। इसी साल जुलाई में राजमहल थाना क्षेत्र के कल्याणचक में एक आदिवासी की जमीन को लेकर दो पक्षों में वहां गोलीबारी की घटना हुई थी।
दरअसल, आदिवासी जमीन का विधिवत निबंधन नहीं होता। दान पत्र के माध्यम से इसकी खरीद-बिक्री होती है। ऐसी स्थिति में इसका सही-सही आंकड़ा जिला प्रशासन को भी नहीं मिल पाता है जिससे कानूनी कार्रवाई में समस्या होती है।
कई बार गलत तरीके से आदिवासी जमीन की खरीद बिक्री की सूचना पर प्रशासनिक अधिकारी कार्रवाई को पहुंचे तो मूल रैयत सामने आ गए। इसके बाद कार्रवाई रोकनी पड़ी। तालझारी प्रखंड में कुछ लोगों द्वारा आदिवासियों की जमीन लीज पर लेकर उसे बेचने की बात भी सामने आ रही है।
आदिवासियों को बहला-फुसलाकर उनकी जमीन गैर आदिवासी खरीद लेते हैं। आदिवासी लड़कियों से शादी कर भी उनकी जमीन पर कब्जा किया जा रहा है। इससे आदिवासियों का अस्तित्व खतरे में है। अगर आदिवासी लड़की से कोई शादी कर लेता है तो उसे आदिवासी के नाम पर मिलने वाली सुविधाओं से वंचित किया जाना चाहिए तभी आदिवासियों का अस्तित्व बचेगा। -मुकेश सोरेन, एभेन अखाड़ा जागवार बैसी |
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