क्यों मनाते हैं सकट चौथ का व्रत? भगवान गणेश को क्यों समर्पित है ये पर्व

LHC0088 2025-12-17 19:03:44 views 712
  

Sakat Chauth 2026: सकट चौथ कथा (AI-generated image)



धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सकट चौथ का व्रत हिंदू धर्म (Hindu Religion) में माघ महीने की चतुर्थी को मनाया जाता है। इसे संकष्टी चतुर्थी, तिलकुट चौथ या माघी चौथ भी कहा जाता है। यह व्रत विशेष रूप से माताएं अपनी संतान की लंबी आयु, अच्छी सेहत और सुख-समृद्धि के लिए रखती हैं। आइए जानते हैं कि यह पर्व भगवान गणेश को क्यों समर्पित है और इसके पीछे की पौराणिक कथा क्या है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

भगवान गणेश को क्यों समर्पित है यह सकट?

शास्त्रों के अनुसार, माघ मास की इसी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश ने अपने जीवन का सबसे बड़ा संकट टाला था और अपनी बुद्धि का लोहा मनवाया था। इसी दिन उन्होंने अपने माता-पिता (शिव-पार्वती) की परिक्रमा कर यह सिद्ध किया था कि माता-पिता के चरणों में ही समस्त ब्रह्मांड का वास है। भगवान गणेश \“विघ्नहर्ता\“ हैं, यानी दुखों को हरने वाले। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से गणेश जी प्रसन्न होते हैं और संतान पर आने वाले सभी संकटों (सकट) को दूर कर देते हैं, इसीलिए इसे \“सकट चौथ\“ (Sakat Chauth) कहा जाता है।

स्वयं गणेश जी पर आए संकट का अंत

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन भगवान गणेश के जीवन का एक बड़ा संकट दूर हुआ था। माता पार्वती ने उन्हें अपने उबटन से बनाया था और भगवान शिव के साथ उनके युद्ध के बाद उन्हें हाथी का सिर लगाकर नया जीवन मिला था। यह दिन उनके पुनर्जन्म और मंगलकारी रूप की स्थापना का उत्सव भी है।

कब है 2026 का सकट चौथ व्रत?

वैदिक पंचांग के अनुसार, माघ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 06 जनवरी को सुबह 08 बजकर 01 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 07 जनवरी को सुबह 06 बजकर 52 मिनट पर होगा। इस वजह से 06 जनवरी 2026 को सकट चौथ का व्रत (Sakat Chauth का व्रत) रखा जाएगा।

व्रत का महत्व और परंपरा

इस दिन महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत रखती हैं और शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत खोलती हैं। पूजा में तिल और गुड़ के लड्डू (तिलकुट) का भोग गणेश जी को लगाया जाता है।

पूजा में तिल का महत्व

इस दिन गणेश जी को तिलकुट (तिल और गुड़) का भोग लगाया जाता है। माघ के महीने में तिल का दान और सेवन स्वास्थ्य और आध्यात्मिक दृष्टि से भी उत्तम माना जाता है, जो गणेश जी को अति प्रिय है।

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