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अरावली पर्वत श्रृंखला का सीना छलनी कर रहे राजस्थान के ठेकेदार, डायनामाट लगाकर उड़ाए जा रहे पहाड़

cy520520 2025-12-29 13:26:30 views 948
  

पहाड़ पर डायनामाइट लगाकर विस्फोट करने से उड़ता धुआं। जागरण



यशपाल चौहान, आगरा। देश की सबसे पुरानी अरावली पर्वत श्रंखला को ताज ट्रेपेजियम जोन (टीटीजेड)में भी राजस्थान के ठेकेदार छलनी कर रहे हैं। डायनामाइट लगाकर किए जा रहे विस्फोट से पहाड़ों को पाताल की ओर ले जा रहे हैं। स्पष्ट सीमांकन न होने के कारण दिन में राजस्थान और रात में उत्तर प्रदेश की सीमा में अवैध तरीके से खनन भी किया जा रहा है। आसपास के गांव के लोग विस्फोटों के कारण रात में सो नहीं पा रहे हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

यहां से उड़ने वाले धूलकण से ताजमहल के लिए भी हानिकारक हो सकते हैं। मगर, जिम्मेदार विभाग कार्रवाई के बजाय आंखों पर पट्टी बांधकर बैठे हैं। दैनिक जागरण ने पड़ताल की तो यहां की चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई।
राजस्थान की सीमा पर क्रेशर लगाकर दिन-रात चल रहा है काम



खेरागढ़ तहसील के गांव कुल्हाड़ा के उत्तर में कास्तकारों के खेत समाप्त होने के बाद गाटा संख्या दो (रकबा 39.3850 हेक्टेयर) राजस्व अभिलेखों में पहाड़ के रूप में दर्ज है। ये पहाड़ अरावली पर्वत श्रंखला से हैं। मगर, अब यहां उत्तर प्रदेश की सीमा में बहुत कम पहाड़ दिखाई देते हैं। पहाड़ और कास्तकारों के खेतों के बीच में डामर की रोड है। कुल्हाड़ा गांव के उत्तर में राजस्थान के भरतपुर का मैरथा गांव है। मैरथा गांव की सीमा में राजस्थान से खनन के पट्टे है। यहां क्रेशर लगे हुए हैं। आसपास के पहाड़ पर खनन किया जा रहा है।
ठीक सीमांकन न होने का लाभ उठा रहे माफिया, नहीं हो रही है कार्रवाई

यहां मुड्डियां गाढ़ रखी हैं। कहने को यह सीमांकन करती हैं, लेकिन मुड्डियों को देखकर लगता है कि ये सुविधानुसार लगाई गई हैं। क्योंकि कोई मुड्डी आगे है तो कोई पीछे है। कुछ मुड्डियों को देखकर लग रहा है कि उन पर हाल में ही पीला पेंट किया गया है। मुड्डियों के पास ही पहाड़ की जगह करीब 60 से 70 फीट गहरा तालाब दिख रहा है, जिसमें पानी भरा हुआ है। ग्रामीणों ने बताया कि यहां से पत्थर का खनन कर लिया गया है। आठ वर्ष पहले खनन माफिया ने विस्फोट कर पहाड़ पर बने प्राचीन मंदिर को भी ध्वस्त कर दिया था। इसके बाद ग्रामीणों ने यहां धरना दिया।
खनन करने वालों ने मंदिर बनवाया

विरोध को देखते हुए बाद में खनन करने वालों ने मंदिर बनवाया। इसी मंदिर को अधिकारियों ने दोनों राज्यों की सीमा बता दिया। मगर, सुविधानुसार यह सीमा आगे-पीछे होती रहती है। यहां से थोड़ी दूरी पर स्थित पहाड़ पर खनन चल रहा था। यहां से गाड़ियां पत्थर लेकर क्रेशर की ओर जा रही थीं। कुछ ग्रामीणों ने बताया कि दिन राजस्थान की सीमा में खनन होता है और रात में खनन ठेकेदार उत्तर प्रदेश की सीमा में अवैध रूप से खनन करते हैं।
रात में डायनामाइट से विस्फोट

रात में डायनामाइट से विस्फोट किया जाता है। इसके कारण सो भी नहीं पाते हैं। तेज विस्फोट से मिर्चपुर गांव के कुछ घरों में दरारें भी आ गई हैं। दो राज्यों की सीमा पर टीटीजेड में अवैध खनन चल रहा है। मगर, खनिज विभाग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व पुलिस प्रशासन के अधिकारी चुप बैठे हैं।


जगह-जगह खनन


दैनिक जागरण की टीम रविवार को जब पहाड़ के पास पहुंची तो वहां बड़ी संख्या में लाेग पत्थर तोड़ते दिखे। गाड़ी को देखकर वे भाग निकले। कुछ लोगों ने अपने औजार रेत में दबा दिए। ये आसपास के गांव के लोग हैं, जो दिनभर खनन में लगे रहते हैं। पत्थर इकट्ठा होने पर ट्रैक्टरों से ले जाते हैं।

डायनामाइट से विस्फोट



पहाड़ को तोड़ने के लिए दिन में ही डायनामाइट का प्रयोग हो रहा है। टीम जब पहाड़ पर पहुंची तो वहां कई युवक काम करते मिले। कैमरा देखते ही सभी ने अपने चेहरे गमछे से ढंक लिए। कुछ भागकर नीचे उतर गए। एक युवक मुंह ढंककर पास आया और बोला कि ये तो राजस्थान की सीमा में खनन हो रहा है।

सरकार से ठेके लेने के बाद हो रहा है। मुंह ढंककर आने और अन्य साथियों के भागने के प्रश्न पर वह चुप हो गया। एक रसीद दिखाकर यह साबित करने लगा कि सबकुछ सही है। मगर, श्री श्याम धर्मकांटा की रसीद पर ट्राली में लोड पत्थर का वजन 4.8 किलोग्राम लिखा था। इस पर कुछ और प्रश्न करने पर वह कतराने लगा। कहने लगा विस्फोट होने वाला है, नीचे चले जाओ भाई साहब।


अरावली पर्वत श्रंखला



गुजरात से दिल्ली तक 692 किलोमीटर लंबी पर्वत श्रंखला का 80 प्रतिशत विस्तार क्षेत्र राजस्थान में है। इसकी औसत ऊंचाई 930 मीटर है।
अरावली पर्वत श्रंखला की सबसे ऊंची चोट माउंट आबू में 1722 मीटर
इस पर्वत श्रंखला की उत्पत्ति 45000 लाख वर्ष पहले की मानी जाती है।
अरावली पर्वत श्रंखला की अनुमानित आयु 570 मिलियन वर्ष
(विकीपीडिया के अनुसार)


यहां होता है अवैध खनन


कुल्हाड़ा, मिर्चपुर, नगला पुछरी, निमैना, पिपरैठा, भवनई, तुर्कपुरा, रिछोहा, गुआमद, बरिगवां खुर्द, तांतपुर में यह पर्वत श्रंखला है। सबसे अधिक खनन कुल्हाड़ा के पास हो रहा है।




यह गंभीर पर्यावरणीय मुद्दा है। सुप्रीम कोर्ट की बंदिशों के बाद भी खनन बिना अधिकारियों की मिलीभगत के नहीं हो सकता है। वायु गुणवत्ता खराब हो रही है। पत्थर का खनन रेड कैटेगिरी में आता है। वायु गुणवत्ता को और खराब करने में यह भी कारक है। अधिकारी आंख बंद कर बैठे हैं। डॉ. शरद गुप्ता, पर्यावरण कार्यकर्ता
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