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MP में इस साल 55 बाघों की मौत, वन अधिकारियों का तर्क- इतनी मौतें स्वाभाविक; सीएम ने मांगी रिपोर्ट

cy520520 2025-12-30 01:27:45 views 462
  

बाघ का शव बरामद (प्रतीकात्मक चित्र)



डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्य प्रदेश में पिछले एक साल में 55 बाघों की मौत हुई है, इनमें 36 बाघों के शिकार की आशंका है। टाइगर स्टेट में इतनी बड़ी संख्या में बाघों की मौत ने वन्यजीव प्रबंधन व संरक्षण पर सवाल खड़े कर दिए हैं। वन विभाग के अधिकारी इतनी मौतों को स्वाभाविक मानते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
वन अधिकारियों का यह तर्क

उनका तर्क है कि बाघ शावकों की मौत में सर्वाइवल रेट 50 प्रतिशत से भी कम होता है। वे यह भी तर्क दे रहे हैं कि प्रदेश में मौतों के मुकाबले बाघों की संख्या बढ़ी है। इस तर्क से मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने इसे गंभीरता से लेते हुए वन विभाग से बाघों की मौतों पर रिपोर्ट मांगी है।
शिकार की आशंका

दरअसल, मप्र में बाघों की मौतों की चर्चा राष्ट्रीय स्तर पर हो रही है। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में एवं उससे सटे क्षेत्रों में बाघों के शिकार की आशंका जताई जा रही है। इस संबंध में वन विभाग ने अलर्ट भी जारी किया है और मैदानी अमले को पूर्व के आदतन शिकारियों की जानकारी जुटाने के निर्देश दिए हैं।

इधर, मप्र के वन बल प्रमुख वीएन अम्बाडे स्वयं भी बाघों की मौतों पर सवाल उठाते आए हैं, इसलिए माना जा रहा है कि जिम्मेदार वन अधिकारियों पर इस मामले में कार्रवाई भी संभव है।

इसकी वजह यह है कि संदिग्ध स्थितियों में मृत पाए गए जिन बाघों की मौत का कारण वन विभाग के अधिकारी हादसे या स्वाभाविक मौत बताकर स्वयं को बचाने की कोशिश करते आए हैं, उनकी मौत का कारण शिकार माना जा रहा है। पिछली गणना के अनुसार मप्र में 785 बाघ हैं। इस बार वन्यजीव गणना में बाघों की संख्या बढ़ने का अनुमान है।

यह भी पढ़ें- मध्य प्रदेश में नर बाघ की हत्या, झाड़ियों में मिला शव
लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई करेंगे

लगातार हो रही बाघों की मौत से नाराज वन बल प्रमुख वीएन अम्बाडे ने सख्ती दिखाते हुए स्पष्ट किया है कि अब पत्र नहीं लिखेंगे, लापरवाह व जिम्मेदार अधिकारियों पर सीधे कड़ी कार्रवाई करेंगे। प्रदेश के टाइगर रिजर्व के अंदर बाघ एवं अन्य वन्यजीवों के शिकार की घटनाएं एवं हड्डियां व अन्य अंग जब्त होना अत्यंत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।

उन्होंने बाघों की मौत की विभिन्न घटनाओं का जिम्मेदार लापरवाह अधिकारियों को बताया है। उन्होंने शीर्ष अधिकारियों को निर्देशित किया है कि समस्त प्रकरणों की विवेचना कर लापरवाह कर्मचारी-अधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई करते हुए मुख्यालय को प्रतिवेदन प्रेषित करें।
फरवरी और अक्टूबर में सर्वाधिक सात-सात बाघों की मृत्यु

इस वर्ष फरवरी और अक्टूबर में सर्वाधिक सात-सात बाघों की मृत्यु हुई। जनवरी में चार, फरवरी में सात, मार्च में दो, अप्रैल में व मई में छह-छह, जून व जुलाई में चार-चार, अगस्त में छह, सितंबर में एक, अक्टूबर में सात, नवंबर में दो और दिसंबर में अब तक छह बाघों की मौतों हुई हैं। इनमें 10 शावक और 11 बाघिन की मौतें दर्ज की गई हैं।
वर्ष 2025 में कब, कितने मरे बाघ

जनवरी : 4 - बाघिन 2, बाघ 2
फरवरी : 7 - बाघिन 2, बाघ 3, शावक 2
मार्च : 2 - बाघ
अप्रैल : 6 - बाघिन 3, बाघ 1, शावक 2
मई : 6 - बाघिन 2, बाघ 3, शावक 1
जून : 4 - बाघ 3, शावक 2
जुलाई : 4 - बाघ 3, शावक 1
अगस्त : 6 - बाघ 5, बाघिन 1
सितंबर : 1 - बाघिन
अक्टूबर : 7 - बाघ 5, शावक 2
नवंबर : 2 - बाघ 2
दिसंबर : 6 - बाघ 4, शावक 2


बाघों का सर्वाइवल रेट 50 प्रतिशत से भी कम होता है। रही शिकार की बात तो इसकी आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता। हमने हाई अलर्ट जारी किया है। शिकारियों की धरपकड़ भी की जा रही है। हाल ही में अंतरराष्ट्रीय शिकारियों को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश कर जेल भेजा गया है।
सुभरंजन सेन, मुख्य वन्यप्राणी अभिरक्षक, मप्र।
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