2025 के 10 बड़े बिल
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। साल 2025 में दुनिया भर की संसद में कई बिल पास किए। उनमें से कुछ ने जोरदार बहस छेड़ दी। कभी विपक्ष ने संसद के भीतर हंगामा किया तो कभी सडकों तक भी उतर आए।
इनमें से कुछ नागरिकों और विपक्षी नेताओं ने राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के मुकाबले अधिकारों, सुरक्षा और अर्थव्यवस्था को लेकर चिंता जताई। यहां उन बिलों पर एक नजर डालते हैं जिन्होंने 2025 में दुनिया भर में सुर्खियां बटोरीं।
1. वन बिग ब्यूटीफुल बिल एक्ट
जनवरी में सत्ता में लौटे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने जुलाई में व्हाइट हाउस में अपने \“वन बिग ब्यूटीफुल बिल\“ पर कानून के तौर पर साइन किया। यह मुख्य रूप से उन परिवारों के लिए टैक्स में कटौती पर फोकस है जो हर साल $217,000 या उससे ज्यादा कमाते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इसके साथ ही सेना और सीमा सुरक्षा के लिए फंडिंग बढ़ाने और सोशल प्रोग्राम्स को बदलने पर भी ध्यान देता है। इस बिल के बाद ही अरबपति एलन मस्क और ट्रंप के रिश्ते में खटास आने लगी। विवाद तब और बढ़ गया जब मस्क में खुलेतौर पर बिल की आलोचना की।
2. एपस्टीन फाइल्स ट्रांसपेरेंसी एक्ट
इस साल नवंबर में पास हुए \“एपस्टीन फाइल्स ट्रांसपेरेंसी एक्ट\“ के तहत जस्टिस डिपार्टमेंट को कुख्यात यौन अपराधी जेफरी एपस्टीन से जुड़ी लगभग सभी फाइलों को जारी करने के लिए 30 दिन का समय दिया गया। इस कानून के तहत, जस्टिस डिपार्टमेंट को 19 दिसंबर तक दिवंगत एपस्टीन से जुड़े रिकॉर्ड का जखीरा जारी करना था। एपस्टीन पर नाबालिग लड़कियों को फंसाने का आरोप है।
एपस्टीन की मौत उसकी गिरफ्तारी के बाद हिरासत में साल 2019nमें हुई थी। वह सालों तक एलीट लोगों के बीच रहा और उसके बड़े बिजनेसमैन, राजनेताओं, शिक्षाविदों और मशहूर हस्तियों से संबंध थे, जिन पर सैकड़ों लड़कियों और युवा महिलाओं की सेक्स के लिए तस्करी करने का आरोप था।
3. भारत में ऑनलाइन गेमिंग प्रमोशन और रेगुलेशन बिल
इस साल संसद ने \“ऑनलाइन गेमिंग प्रमोशन और रेगुलेशन बिल\“ पारित किया। इस बिल का मुख्य उद्देश्य पैसे से खेले जाने वाले ऑनलाइन गेम्स के संचालन, सुविधा और विज्ञापन पर रोक लगाया जाए। इस बिल को अगस्त में संसद ने विपक्ष के कड़े विरोध के बीच पास कर दिया।
विपक्ष ने आरोप लगाया कि यह कानून बिना किसी चर्चा के पास किया गया था। इस कानून के तहत ऑनलाइन मनी गेमिंग संचालित करने पर 3 साल तक की जेल या 1 करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। इस बिल से सबसे तगड़ा झटका Dream11 को हुआ। जिसके बाद कंपनी ने भारतीय मेंस क्रिकेट टीम की जर्सी से स्पॉन्सरशिप वापस ले ली।
4. पाकिस्तान में 27वां संवैधानिक संशोधन विधेयक
पाकिस्तान की नेशनल असेंबली ने साल 2025 में 27वां संवैधानिक संशोधन विधेयक पास किया। ये संसोधन राष्ट्रपति के साथ-साथ मौजूदा सेना प्रमुख को भी आजीवन सुरक्षा देता है। 27वां संशोधन एक नए चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज के पद के तहत सैन्य शक्ति को भी मजबूत करता है।
इन बदलावों से सेना प्रमुख आसिम मुनीर (जिन्हें इस साल की शुरुआत में फील्ड मार्शल के पद पर प्रमोट किया गया था) को थल सेना, वायु सेना और नौसेना पर कमांड मिल गई।
यह संशोधन राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी को किसी भी आपराधिक मुकदमे से भी बचाता है, हालांकि अगर वह या कोई अन्य पूर्व राष्ट्रपति बाद में कोई और सार्वजनिक पद संभालते हैं तो यह छूट लागू नहीं होगी।
पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के नेतृत्व वाली विपक्षी पार्टियों ने बिल की प्रतियां फाड़ दीं। विपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार \“सुप्रीम कोर्ट के लिए मौत की घंटी बजा रही है।\“
5. इराक का व्यक्तिगत स्थिति कानून संशोधन
इस साल जनवरी में इराकी संसद ने 1959 के व्यक्तिगत स्थिति कानून में संशोधन किया ताकि लोगों को शादी, विरासत, तलाक और बच्चों की कस्टडी जैसे पारिवारिक मामलों के लिए धार्मिक या नागरिक नियमों में से चुनने की अनुमति मिल सके।
इस संशोधन के तहत, शिया बंदोबस्ती कार्यालय ने \“व्यक्तिगत स्थिति मामलों पर जाफरी (शिया) फैसलों की संहिता स्थापित की, जिसे संसद ने मंजूरी दी। यह संशोधन एक आदमी को अपनी पत्नी को सूचित किए बिना अपने विवाह अनुबंध को शिया धार्मिक संहिता द्वारा शासित करने की अनुमति देता है।
हालांकि पत्नी यह मांग कर सकती है कि उसकी सहमति के बिना बहुविवाह या तलाक न हो, लेकिन अगर पति इन शर्तों का उल्लंघन करता है तो भी शादी या तलाक वैध रहता है। संशोधन के एक पिछले संस्करण को नारीवादियों और नागरिक समाज समूहों से इस डर से विरोध का सामना करना पड़ा था कि यह मुस्लिम लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र घटाकर नौ साल कर देगा।
6. भारत में राइट टू डिस्कनेक्ट बिल
सांसद सुप्रिया सुले ने इस महीने लोकसभा में \“राइट टू डिस्कनेक्ट बिल, 2025\“ पेश किया। यह कानून हर कर्मचारी को काम के घंटों के बाद, छुट्टियों में काम से संबंधित फोन कॉल और ईमेल से डिस्कनेक्ट होने का अधिकार देता है।
बिल के अनुसार, कोई भी कर्मचारी फोन कॉल, टेक्स्ट, ईमेल, वीडियो कॉल आदि जैसे सभी तरह के कम्युनिकेशन का जवाब देने से मना करने पर किसी भी अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना नहीं करेगा। प्रस्ताव में उन संगठनों पर कुल कर्मचारी वेतन का 1 प्रतिशत जुर्माना लगाने का भी सुझाव दिया गया है जो इस अधिकार का उल्लंघन करते हैं।
7. भारत में गिरफ्तार मंत्रियों को बर्खास्त करने का बिल
गंभीर आपराधिक आरोपों में गिरफ्तार या हिरासत में लिए गए चुने हुए प्रतिनिधियों को पद से हटाने के लिए एक बिल अगस्त में संसद में पेश किया गया था। प्रस्तावित कानून में प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री और केंद्र शासित प्रदेशों के मंत्री शामिल होंगे।
अब तक, संविधान के तहत, केवल दोषी ठहराए गए जन प्रतिनिधियों को ही पद से हटाया जा सकता था। प्रस्तावित कानून कहता है कि एक प्रधानमंत्री, कोई भी केंद्रीय मंत्री, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री और मंत्री, जिन्हें गिरफ्तार किया जाता है और लगातार 30 दिनों तक हिरासत में रखा जाता है, उन्हें 31वें दिन तक इस्तीफा देना होगा या उन्हें अपने आप हटा दिया जाएगा।
हालांकि, किस तरह के आपराधिक आरोपों पर विचार किया गया था, इसका कोई विवरण नहीं था, लेकिन कथित अपराध के लिए कम से कम पांच साल की जेल की सज़ा होनी चाहिए। इसमें हत्या जैसे गंभीर अपराध और बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार भी शामिल होगा।
विपक्षी नेताओं का तर्क है कि ये बिल किसी व्यक्ति के दोषी साबित होने तक निर्दोष माने जाने के कानून के मौलिक सिद्धांत का उल्लंघन करते हैं। अगर वे गंभीर आपराधिक मामलों में गिरफ्तारी के एक महीने के भीतर जमानत पाने में विफल रहते हैं तो प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को अपने आप बर्खास्त करने का सहारा लेते हैं।
8. भारत में वक्फ संशोधन अधिनियम
1995 के वक्फ कानून में संशोधन संसद से पारित हो गए और अप्रैल में राष्ट्रपति की सहमति मिल गई, जिससे पूरे देश में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। नए वक्फ कानून का उद्देश्य मौजूदा प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव करना था।
जिसके अनुसार केवल वही व्यक्ति जो कम से कम पांच साल से इस्लाम का पालन कर रहा हो, वह वक्फ घोषित कर सकता है। संपत्ति को वक्फ घोषित करने वाले व्यक्ति को उस समय उसका मालिक होना चाहिए। \“उपयोग द्वारा वक्फ\“ के प्रावधान को हटाता है, जिसके तहत संपत्तियों को केवल धार्मिक उद्देश्यों के लिए लंबे समय तक उपयोग के आधार पर वक्फ माना जा सकता था।
वक्फ घोषणा से दाता के उत्तराधिकारी, जिसमें महिला उत्तराधिकारी भी शामिल हैं, के विरासत अधिकारों से इनकार नहीं होना चाहिए। वक्फ के रूप में पहचानी गई कोई भी सरकारी संपत्ति अब ऐसी नहीं रहेगी। वक्फ बोर्ड की किसी संपत्ति के वक्फ होने की जांच करने और निर्धारित करने की शक्ति को हटाता है।
इसमें सेंट्रल वक्फ काउंसिल और वक्फ बोर्ड के गठन में बदलाव का भी प्रस्ताव था। 1995 के वक्फ एक्ट के तहत सभी काउंसिल सदस्यों का मुस्लिम होना जरूरी था और उनमें से कम से कम दो महिलाएं होनी चाहिए थीं। नए कानून में कहा गया कि दो सदस्य गैर-मुस्लिम होने चाहिए और मुस्लिम सदस्यों में से दो महिलाएं होनी चाहिए।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर में वक्फ (संशोधन) एक्ट, 2025 के कई अहम प्रावधानों पर रोक लगा दी, जिसमें यह क्लॉज भी शामिल था कि पिछले पांच सालों से इस्लाम का पालन करने वाले ही किसी संपत्ति को वक्फ के तौर पर समर्पित कर सकते हैं, लेकिन उसने पूरे कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। मुस्लिम संगठनों ने इन संशोधनों को असंवैधानिक और वक्फ जमीन पर कब्ज़ा करने की साजिश बताया था।
9. MANREGA की जगह जी राम जी बिल
विकसित भारत-रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) बिल, या जी राम जी बिल, इस महीने संसद में विपक्षी सांसदों के विरोध के बीच पास हो गया। विपक्षी सांसद नाम को लेकर नाराज थे, जिसमें महात्मा गांधी के बजाय भगवान राम का नाम लिया गया है।
साथ ही इसके प्रावधानों को विपक्ष ने \“सामंती\“ बताया। विपक्ष का कहना है कि यह ग्रामीण गरीबों के लिए रोजगार की गारंटी को खत्म कर देगा।नया बिल 2005 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली UPA सरकार द्वारा बनाए गए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (MNREGA) की जगह लेगा।
10. ऑस्ट्रेलिया सोशल मीडिया बिल, अब कानून बन गया है
ऑस्ट्रेलिया 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। पिछले साल पारित कानून में फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और टिकटॉक सहित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को 10 दिसंबर से 16 साल से कम उम्र के यूजर्स को हटाने या 49।5 मिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर ($32।9 मिलियन) तक का जुर्माना भरने का आदेश दिया गया था।
ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने कहा, \“यह सुधार ऑस्ट्रेलियाई बच्चों की जिंदगी बदल देगा, जिससे वे अपना बचपन जी सकेंगे।\“ यूट्यूब, मेटा और दूसरे सोशल मीडिया दिग्गजों ने इस बैन की निंदा की। कई किशोरों ने भी कहा कि वे इस बैन के खिलाफ हैं।
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