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IIT Kanpur में छात्र आत्महत्या मामला: जीएसवीएम प्रोफेसर के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम करेगी जांच

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जागरण संवाददाता, कानपुर। आइआइटी कानपुर के बीटेक छात्र जयसिंह मीणा की आत्महत्या मामले की जांच के लिए संस्थान ने तीन सदस्यीय समिति का गठन कर दिया है। जीएसवीएम मेडिकल कालेज के मनोरोग विभाग के अध्यक्ष डा. धनंजय चौधरी के नेतृत्व में जांच टीम अपनी रिपोर्ट तैयार करेगी। आइआइटी के उपनिदेशक प्रो. ब्रजभूषण ने कहा कि अगर परिवार की ओर कोई शिकायत मिलती है और किसी पर कोई आरोप लगाया जाता है तो समिति के जांच दायरे में उसे शामिल किया जाएगा।


आइआइटी के बायोलाजिकल साइंसेस और बायो इंजीनियरिंग विभाग के छात्र जयसिंह मीणा के मामले में आइआइटी प्रशासन ने जांच समिति के गठन की अधिसूचना मंगलवार की शाम को जारी कर दी है। समिति के सदस्य इस मामले में छात्र के अकादमिक करियर की जानकारी जुटाने के साथ ही उसके मित्रों, सहपाठियों, परिवार के सदस्यों और शिक्षकों से भी बात करेंगे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

  

बताया जाता है कि छात्र ने आइआइटी के सेंटर फार मेंटल हेल्थ वेलबीइंग के कई काउंसिलिंग सेशन में हिस्सा लिया था। पिछले कुछ महीने से वह सेंटर में काउंसिलिंग के लिए नहीं पहुंचा था। उसका अकादमिक करियर भी ठीक रहा है। अभी तक उसका शैक्षिक प्रदर्शन 5.2 रहा है। डिग्री पूरी करने पर उसे प्लेसमेंट प्रक्रिया में भी शामिल होने का मौका मिल सकता था। एनईपी के तहत वह प्रमाण पत्र लेकर जूनियर इंजीनियर के तौर पर भी करियर शुरू कर सकता था। उपनिदेशक प्रो. ब्रजभूषण ने कहा कि इससे पहले छात्र ने किसी तरह की कोई शिकायत संस्थान में नहीं दी थी। परिवार के सदस्यों ने भी कभी निदेशक कार्यालय या शिक्षकों को कोई शिकायत या जानकारी नहीं दी है।

  
ये है पूरा मामला

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) में बीटेक छात्र ने पहले बाएं हाथ की कलाई की नस काटी और फिर फंदा लगाकर जान दे दी। कमरे में एक नोटबुक मिली, जिसमें छात्र ने ‘सारी एवरीवन’ लिखा था। पुलिस के अनुसार, छात्र की आखिरी बार बात रविवार रात अपने भाई से हुई थी। आत्महत्या करने वाले छात्र की बीटेक डिग्री दो साल से अटकी है। दूसरा साल है जब वह प्लेसमेंट प्रक्रिया में शामिल नहीं हो पाया। अगले महीने से शुरू होने वाले प्लेसमेंट अभियान में शामिल होने की उम्मीद कम थी, क्योंकि अब तक एक प्रश्नपत्र में उसकी बैक पेपर परीक्षा बाकी है। इसलिए प्रथमदृष्टया तनाव या अवसाद आत्महत्या का कारण हो सकता है। पुलिस व आइआइटी प्रशासन इसकी जांच कर रहा है।

  
इसी साल तीन छात्र और कर चुके आत्महत्या


इसी साल आइआइटी में तीन छात्र व एक साफ्टवेयर डेवलेपर आत्महत्या कर चुके हैं, जबकि दिसंबर 2023 से दिसंबर 2025 के बीच दो साल में आठ होनहारों ने आत्महत्या की। दावा है कि संस्थान में 10 मनोवैज्ञानिक व मनोचिकित्सक तैनात हैं, जो 24 घंटे उपलब्ध रहते हैं। आनलाइन हेल्पलाइन भी 24 घंटे सक्रिय है। हर 30 स्नातक छात्र पर एक फैकल्टी एडवाइजर भी नियुक्त है, लेकिन आत्महत्याएं थम नहीं रही हैं। अजमेर के अवधपुरी निवासी 26 वर्षीय जय सिंह मीणा कानपुर आइआइटी में बायोलाजिकल इंजीनियरिंग के अंतिम वर्ष के छात्र थे। वह आइआइटी के हास्टल नंबर दो के कमरा नंबर 148 में सहपाठी के साथ रहते थे।
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