IIT-IIM जैसे संस्थानों में नहीं भर पा रहे आरक्षित पद, हल निकालने में जुटी सरकार; क्यों आ रही समस्या?

cy520520 2025-10-8 02:36:28 views 724
  केंद्रीय विश्वविद्यालय पंजाब के कुलपति की अगुवाई में उच्चस्तरीय समिति गठित (फाइल फोटो)





अरविंद पांडेय, जागरण, नई दिल्ली। आरक्षण की व्यवस्था भले ही समाज के पिछड़े वर्ग को आगे बढ़ाने में एक बड़ा योगदान दे रही है लेकिन आईआईटी, आईआईएम जैसे देश के उच्च शिक्षण संस्थानों के सामने कुछ समस्या भी आ रही है। कई बार आरक्षित वर्गों से ही उपयुक्त शिक्षकों के न मिलने से स्थान खाली रह जाता है और उसका खामियाजा छात्रों को होता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

2014 से पहले व्यवस्था थी तीन बार विज्ञापन के बावजूद अगर उपयुक्त शिक्षक न मिले तो पद को अनारक्षित कर दिया जाता था। लेकिन अब यह सख्त नियम लागू है कि पद अनारक्षित नहीं होगा। राजनीतिक नेतृत्व इसमें किसी भी नरमी के लिए तैयार नहीं है। सरकार ने इसका स्थाई हल खोजने के लिए केंद्रीय विश्वविद्यालय पंजाब के कुलपति डॉ. आरपी तिवारी की अगुवाई में उच्चस्तरीय समिति गठित की है, जो इस दिशा में तेजी से काम कर रही है।


विश्वस्तरीय रैंकिंग में पिछड़ रहे संस्थान

माना जा रहा है कि जल्द ही वह इसे पर अपनी रिपोर्ट देगी। शीर्ष संस्थानों की मानें तो शिक्षकों के खाली पदों के चलते जहां वह विश्वस्तरीय रैंकिंग में पिछड़ रहे है, वहीं इसका असर छात्रों के अध्ययन पर भी पड़ रहा है। मौजूदा समय में देश में करीब 11 सौ विश्वविद्यालय, इनमें 56 केंद्रीय विश्वविद्यालय, 23 आईआईटी, 26 ट्रिपलआईटी, 21 आईआईएम, 31 एनआईटी और 26 एम्स जैसे शीर्ष केंद्रीय शैक्षणिक संस्थान है।



डॉ. आरपी तिवारी की रिपोर्ट में क्या सुझाव आते हैं यह तो देखना होगा लेकिन शिक्षा मंत्रालय के पूर्व उच्च शिक्षा सचिव आर सुब्रमण्यम के मुताबिक उच्च शिक्षण संस्थानों में आरक्षित वर्ग के शिक्षकों के खाली पदों को भरना निश्चित ही एक बड़ी चुनौती है। इससे छात्रों के साथ संस्थानों को भी नुकसान होता है। सरकार को इसे लेकर एक व्यापक योजना बनानी चाहिए।
शिक्षकों की पात्रता के मानकों में बदलाव

आरक्षित वर्ग के प्रतिभाशाली छात्रों की पहले से पहचान करके उन्हें शिक्षक बनाने की दिशा में आगे बढ़ाना चाहिए। ऐसे में इस वर्ग का जल्द ही एक बड़ा पूल तैयार हो जाएगा और यह दिक्कत सदैव के खत्म हो जाएगी। इसके साथ ही आरक्षित वर्ग के अपने खाली पदों को भरने के लिए खूब प्रचार-प्रसार करना चाहिए।



यूजीसी के पूर्व अध्यक्ष डॉ. एम. जगदीश कुमार के मुताबिक उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए यूजीसी पिछले वर्ष ही एक ड्राफ्ट लेकर आयी है। इसमें शिक्षकों की पात्रता के मानकों में बदलाव किया गया है। कला-संगीत, योग जैसे कई क्षेत्रों में शिक्षकों को पीएचडी या मास्टर की डिग्री न होने के बाद भी सिर्फ उनके प्रोफेशनल अनुभव के आधार पर नियुक्ति देने की सिफारिश की गई है। इससे कई क्षेत्रों में आरक्षित वर्ग के शिक्षकों की कमी खत्म हो जाएगी।



शिक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक अकेले केंद्रीय विश्वविद्यालयों, ट्रिपल आईटी व आईआईएम में एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के शिक्षकों के चार हजार से अधिक पद खाली पड़े है। इनमें 2630 पद केंद्रीय विश्वविद्यालयों में ही खाली पड़े है। वहीं ट्रिपल आईटी में 468 पद और आइआइएम में भी 391 पद खाली है। सरकार इन पदों को जल्द भरना चाहती है।

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