खिड़की जाईए भूल, अब इस तरीके से जेल में कैदियों से बात करेंगे स्वजन; राज्य की सभी जेलों में हाईटेक व्यवस्था लागू

LHC0088 2025-10-10 02:36:37 views 1127
  

प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। (जागरण)



राज्य ब्यूरो, रांची। राज्य की जेलों में कैदियों की अपनों से मुलाकात की व्यवस्था अब बड़े स्क्रीन पर आ गई है। इसका नाम इन पेयर विजिटर इंटरकॉम वाइस लॉगर सिस्टम है। पहले खिड़की पर होने वाले मुलाकात में बातचीत में संकोच, कोलाहल व आवाज की अस्पष्टता से भी मुक्ति मिल गई है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

कैदियों को अपने स्वजनों से मुलाकात व बातचीत में आ रहे व्यवधान को दूर करने की यह कोशिश कारगर साबित होने लगी है। नए जेल मैनुअल में भी इसपर जोर था, उस अनुरूप सभी जेलों में यह व्यवस्था लागू करने की बाध्यता थी। इसे अब दूर कर लिया गया है।  

राज्य में छोटे-बड़े सभी जेलों की संख्या 31 है। इन सभी जेलों में मुलाकाती कक्ष को हाईटेक किया जा रहा है। 90 प्रतिशत से अधिक कार्य पूरे हो गए हैं। इसमें कैदी व उनके परिजन के बीच खिड़की के बदले में एक दीवार है। दोनों तरफ आठ-आठ, दस-दस केबिन बने हैं और उसमें इलेक्ट्रानिक स्क्रीन और इंटरकॉम लगे हैं। दीवार की एक तरफ कैदी व दूसरी ओर उसके स्वजन बैठकर दस मिनट तक एक-दूसरे को देखकर बात कर सकते हैं।  

इसका मतलब यह है कि कैदी अपने स्वजन को साफ-साफ देख सकेगा और स्वजन उस कैदी को देखेंगे। केबिन में इंटरकॉम पर दोनों के बीच बातचीत होगी, जिससे आवाज में स्पष्टता होगी। दोनों तरफ से एक-दूसरे की आवाज को बेहतर तरीके से सुन सकेंगे।

इससे बेहतर सुरक्षा व्यवस्था के साथ-साथ जेल प्रशासन को भी व्यवस्था बनाने में सहुलियत होगी। मुलाकाती कक्ष में इंटरकॉम के अलग-अलग यूनिट बने हैं, जिससे भीड़भाड़ की समस्या भी नहीं होगी। उक्त कक्ष की निगरानी सीसीटीवी कैमरे से होगी।

कैदी व स्वजन के बीच बातचीत की भी निगरानी जेल प्रशासन करेगा, ताकि विवाद की स्थिति में वह सबूत के तौर पर प्रस्तुत किया जा सके।
पहले खिड़की पर होता था कोलाहल, व्यवस्था बनाने में भी होती थी परेशानी

जेलों में कैदियों व उनके स्वजनों के बीच मुलाकात एक खिड़की से कराई जाती थी। इसमें एक खिड़की पर एक तरफ से चार-पांच कैदी व उसी अनुरूप दूसरी ओर से उनके स्वजन होते थे। ऊंची आवाज में बातचीत करनी पड़ती थी। कौन कैदी क्या बात करता था, स्वजन उसे क्या बाेलता था, यह दोनों तरफ समझने में दिक्कतें होती थीं।

अगर स्वजन महिला हो तो उसे बात करने में भी संकोच होता था। कोलाहल व विधि व्यवस्था का संकट रहता था। कैदी व स्वजन एक दूसरे को ठीक तरीके से अपनी बात भी नहीं पहुंचा पाते थे। नई व्यवस्था से उस समस्या का समाधान हो गया है।
अब 15 दिन में एक बार नहीं, सप्ताह में दो दिन कर सकेंगे मुलाकात

लागू नए जेल मैनुअल के अनुसार अब विचाराधीन कैदियों से उनके स्वजन सप्ताह में दो दिन मुलाकात कर सकेंगे। यानी महीने में आठ बार मुलाकात कर सकते हैं। पहले 15 दिन में केवल एक बार ही मिलने की व्यवस्था थी।

नए जेल मैनुअल में सजा से ज्यादा सुधार पर जोर है। विचाराधीन बंदियों में कुंठा का भाव न आए, उसे अपनी गलती पर पछतावा हो, वह जेल से अच्छा नागरिक बनकर निकले, इसी उद्देश्य से कैदियों की सुविधाएं बेहतर करने पर जोर दिया जा रहा है।
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