कानपुर ईशा हत्याकांड: प्यार से खून तक, शादीशुदा होने के विरोध पर दूसरी पत्नी की हत्या में दारोगा को उम्रकैद

Chikheang 2025-9-25 18:05:56 views 1239
  पत्नी ईशा सिंह की हत्या में उम्रकैद की सजा पाए दरोगा ज्ञानेंद्र सिंह को ले जाता पुलिस कर्मी। जागरण





जागरण संवाददाता, कानपुर। 10 साल पहले हुए चर्चित ईशा हत्याकांड में हत्यारोपित दारोगा ज्ञानेंद्र सिंह को अदालत ने दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है। ज्ञानेंद्र ने पहली पत्नी के होते हुए चोरी छिपे काकादेव निवासी ईशा से प्रेम विवाह कर लिया था, जो कि एक होटल में रिसेप्सनिस्ट थी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

विवाह और राज खुलने के बाद ज्ञानेंद्र ने ईशा की हत्या कर दी थी। हालांकि इस मामले में पुलिस की जांच में आए पांच अन्य आरोपितों को अदालत ने साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया है। दोषी करार दिए जाने के बाद दारोगा को न्यायिक अभिरक्षा में लेकर जेल भेज दिया गया।



काकादेव के नवीन नगर निवासी विनीता सचान ने 18 मई 2015 को काकादेव थाने में बेटी ईशा सिंह के अपहरण का मुकदमा दर्ज कराया। तहरीर में कहा गया कि ईशा सिंह का विवाह तत्कालीन मूसा नगर थानाध्यक्ष ज्ञानेन्द्र सिंह निवासी चित्रकूट के साथ 10 मार्च 2013 को हुआ था। विवाह के बाद ईशा ने एक पुत्री को जन्म दिया। बेटी के जन्म के कुछ समय बाद ईशा को मालूम पड़ा कि ज्ञानेन्द्र सिंह पहले से शादीशुदा है। इस बात को लेकर दोनों में झगड़ा होने लगा। इसके बाद ज्ञानेंद्र बेटी को मारने पीटने लगा।



17 मई 2015 को दोनों में समझौता करा दिया। 18 मई को दोपहर बाद तीन बजे ज्ञानेन्द्र सिंह आया और ईशा को मुक्ता देवी मन्दिर के दर्शन कराने के बहाने उनकी ही कार मांगकर ले गया। रात आठ बजे तक जब दोनों वापस नहीं लौटे तो उन्होंने ज्ञानेंद्र के मोबाइल पर फोन किया। बेटी व ज्ञानेंद्र दोनों के मोबाइल बंद थे। जिस समय यह घटना हुई, उस वक्त ज्ञानेन्द्र सिंह की पोस्टिंग प्रतापगढ़ में थी।

शासकीय अधिवक्ता फौजदारी प्रदीप कुमार बाजपेयी व वादी पक्ष के अधिवक्ता विष्णु कुमार सिंह ने बताया कि पुलिस ने जब जांच शुरू की तो सामने आया कि ज्ञानेंद्र सिंह ने अपने साथियों मनीष कठेरिया निवासी यू ब्लाक निराला नगर, अर्जुन सिंह निवासी जूही बरादेवी, अवंतिका निवासी जूही बरादेवी, आदर्श कुमार सविता निवासी दामोदर नगर और विकास कठेरिया निवासी निराला नगर के साथ मिलकर ईशा को मार डाला है।



मनीष ट्रेवल एजेंसी संचालक था और विकास उसका भाई है। पुलिस ने कौशांबी के महेवा घाट में सिर कटी लाश बरामद की थी, जिसमें हाथ के टैटू, उंगली में बंधी पट्टी, हाथ घड़ी व जेवरात से शव की पहचान ईशा के रूप में की गई थी। उन्होंने बताया कि जिस वक्त ज्ञानेंद्र कौशांबी में गंगा में फेंककर शव को ठिकाने लगाने की तैयारी कर रहा था, उसी वक्त वहां पर अन्य गाड़ियां आ गईं।

डरकर ज्ञानेंद्र सिर कटी लाश वहीं छोड़कर भाग गया और कार सवारों की सूचना पर शव बरामद हो गया। अपर सत्र न्यायाधीश चार शुचि श्रीवास्तव की कोर्ट ने आरोपित दारोगा को आजीवन कारावास व जुर्माना की सजा सुनाई व अन्य को दोष मुक्त कर दिया।


दस सालों से जेल में ही है दारोगा

दारोगा ज्ञानेंद्र सिंह को काकादेव पुलिस ने आठ अगस्त 2015 को गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद 22 अगस्त को चार्जशीट लगा दी गई और आठ जनवरी 2016 को इस मामले में पूरक चार्जशीट दाखिल की गई। हत्यारा दारोगा तब से जेल में ही है। उसे जमानत ही नहीं मिली।IND vs BAN, BAN vs IND, Asia Cup T20, Asia Cup Vishleshan, Ind beat Ban, India beat bangladesh, bangladesh national cricket team, india national cricket team, भारत बनाम बांग्‍लादेश, बांग्‍लादेश बनाम भारत, Abhishek Sharma, Hardik Pandya, Kuldeep Yadav, Jasprit Bumrah, Varun Chakravarthy, Dubai, cricket news, cricket news in Hindi, sports news, IND vs BAN news
मां व भाई आए थे, पूरे दिन रोते रहे

फैसले के दिन ईशा की मां विनीता सचान और भाई एश्वर्य सचान पूरे दिन कोर्ट में मौजूद रहे। इस दौरान दोनों ईशा को याद करके पूरे दिन रोते रहे। बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि अदालत ने फैसला सुना दिया है, मगर दूसरे आरोपितों को सजा के साथ ज्ञानेंद्र को फांसी की सजा मिलनी चाहिए थी, वह मामले को हाईकोर्ट में जाएंगे।


काकादेव एसओ रहते हुए आया था ईशा के संपर्क में

पुलिस सूत्रों के अनुसार ज्ञानेंद्र सिंह पूर्व में काकादेव में थानाध्यक्ष पोस्ट रहा था। उस दौरान जिस होटल में ईशा काम करती थी, वहां उसका आना जाना हुआ। दोनों की मुलाकात हुई और ज्ञानेंद्र ने प्रेमजाल में फंसाकर ईशा से शादी कर ली। यह हत्याकांड उस दौरान शहर के सबसे चर्चित हत्याकांडों में से एक था।
पहली बार तनाव में दिखा ज्ञानेंद्र

ईशा की मां विनीता सचान ने बताया कि ज्ञानेंद्र गिरफ्तार होने के बाद से जेल में है, मगर उसके चेहरे पर कभी तनाव था। धमकाने के अलावा वह लगातार यह दावा करता था कि उसे कुछ नहीं होगा, क्योंकि वह कानून जानता है। हालांकि बुधवार को जब उसे अदालत लाया गया तो पहली बार वह तनाव में था।


विवेचक की जांच पर अदालत ने उठाए सवाल

अदालत ने ईशा हत्याकांड की जांच करने वाले विवेचक उदय प्रताप सिंह की विवेचना पर सवाल उठाए हैं। शासकीय अधिवक्ता फौजदारी प्रदीप कुमार बाजपेयी ने बताया कि अदालत ने अपने आदेश में माना है कि विवेचना में घोर लापरवाही बरती है। शासकीय अधिवक्ता के मुताबिक विवचेक ने दारोगा ज्ञानेंद्र को बचाने की हर संभव कोशिश की है। अदालत ने पुलिस आयुक्त को विवेचक के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने के लिए भी कहा है।


आज तक ईशा का सिर नहीं तलाश पाई पुलिस

पुलिस ने कौशांबी में ईशा का धड़ बरामद किया था, मगर कटा सिर तलाश करने में नाकाम रही। इस मामले में अदालत ने भी नाराजगी जाहिर की है। शासकीय अधिवक्ता प्रदीप बाजपेयी ने बताया कि अदालत ने कहा है कि विवेचक ने रिमांड के दौरान ज्ञानेन्द्र के बयानों में मना करने का तर्क देते हुए कटा हुआ सिर बरामद करने की कोई जहमत नहीं उठाई। पुलिस चाहती तो सिर का कंकाल बरामद हो सकता था।  


सजा के बाद अब होगी बर्खास्तगी

हत्यारा दाराेगा अब तक निलंबित चल रहा था। गिरफ्तारी के तत्काल बाद उसे निलंबित कर दिया गया था। अब सजा मिलने के बाद उसके खिलाफ नियमानुसार बर्खास्तगी की कार्रवाई शुरू होगी।  
11 साल की हो चुकी है बेटी

ईशा की बेटी अब 11 साल की हो चुकी है। मां की मौत और पिता के जेल जाने के बाद से वह अपनी नानी और मामा के साथ रहती है।

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